Muzaffarpur: बागमती नदी में हुए नाव हादसे में 14 लापता, तलाश जारी
Muzaffarpur: जिले के बेनीबाद ओपी क्षेत्र अन्तर्गत बागमती नदी में गुरुवार सुबह नाव पलटने से उसपर सवार 34 में से 14 अबतक लापता हैं। इनमें बच्चे, महिलाएं और पुरुष हैं। सभी मधुरपट्टी और भटगामा गांव के रहने वाले हैं। एसडीआरएफ की चार टीमें खोजबीन कर रही हैं। घटना में 20 बच्चों को बचा लिया गया है। बताया गया है कि नाव पर सवार होकर 30 से अधिक बच्चे स्कूल जा रहे थे। इसी दौरान बेनीबाद ओपी स्थित मधुरपट्टी…
कल हम सपरिवार bsp से लेवई आ गए हैं, कल दोपहर बाद bsp से निकले थे, यहां आते आते शाम हो गया था । यहां आकर हम लोग पिंटू के शॉप में रुके थे, समय वही 18 बजे रहे होंगे। फिर वहां कुछ समय रुकने के बाद लेवई आए। छोटू का दुकान बढ़िया चल रहा है, बिजली से सम्बन्धित सभी कार्य करते हैं।
आज मैडम को लेकर अकलतरा गया था, बेटू को उनके मौसी के पास छोड़कर सुबह गए थे, वहां अकलतरा 11:45 बजे पहुंचे है। पार्वती Dr के यहां मैडम जी को दिखाए, hospital मुझे समझ नहीं आया, न वो हॉस्पिटल है और न ही घर। दोनों का कॉम्बिनेशन है, ट्रीटमेंट कैसे करता है, मेरे समझ से बाहर है, खैर उनके यहां कुछ minutes रुके उसके बाद हटरी तरफ़ गए थे, वहां पर गांव का राम विलास मिला, वे अपने बीवी के साथ में था। हम दोनों और वे दोनों mini mall shopping करने गए थे, शुभम k mall.... इससे पहले दिसंबर में गए थे, जब मां की दसगात्र में गांव आए थे, सामान अच्छा देता है👍...
वापसी में बस में वही साली लोग मिले जो जाते समय साथ में गए थे, बस एक अतिरिक्त साली जी मिले.... इधर के बहुत सारे बच्चे by bus पढ़ने जाते हैं, इतना दूर और मेहनत करते हैं, डेली बच्चें by bus बलौदा पढ़ते जाते हैं, हाई स्कूल से कॉलेज तक के सभी बच्चें..... तभी इधर के बच्चें पढ़ाई के महत्त्व को समझते हैं, पढ़ाई क्या होता है, इधर के बच्चो से ज्यादा ओर कौन जान सकता है, हर मौसम में by bus पढ़ने जाते है।
कल ब्लॉग नही कर पाया था, नेटवर्क प्रॉब्लम के कारण, जिससे मेरा एक दिन का ब्लॉग छूट गया। आज भी नेटवर्क प्रॉब्लम हो रहा था किंतु मैं परछी में बैठकर ब्लॉग कर रहा हूं, यहां पर नेटवर्क बढ़िया है, जिससे ब्लॉग हो रहा है, घर में तो गायब नेटवर्क.....
आज शाम को बारिश हुई है, खेत खलिहान में बढ़िया पानी भरी हुई है, फसल के लिए बढ़िया वातावरण निर्मित है।
जिला पोषण समिति की बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सम्पन्न
रिर्पोट,दिलीप कुमार
बस्ती – जिलाधिकारी रवीश गुप्ता की अध्यक्षता में जिला पोषण समिति की बैठक कलेक्टेªट सभाकक्ष में सम्पन्न हुआ। बैठक में उन्होने पाया कि वर्तमान में 1897 सैम बच्चे चिन्हित किये गये है, जिसमें 1847 बच्चे सामुदायिक प्रबंधन के पाये गये है, जिसमें 1224 बच्चों को दवा उपलब्ध करायी गयी है। इसके अतिरिक्त 50 बच्चें संदर्भन हेतु चिन्हित हुए है, जिसके सापेक्ष 11 बच्चों का संदर्भन हुआ है।…
jamshedpur rural-घाटशिला अनुमंडल में धूमधाम से मना स्वतंत्रता दिवस समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ एसडीओ ने राष्ट्रीय ध्वज को दी सलामी
घाटशिला: घाटशिला अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में स्वतंत्रता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर सांकृतिक कार्यक्रमों के बीच घाटशिला राजस्टेट मैदान में मुख्य अतिथि अनुमंडल पधाधिकारी सच्चिदानंद महतो व एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर ने झंडोतोलन कर तिरंगे को सलामी दी. इस दौरान विभिन्न स्कूली बच्चें तथा पुलिस बल के जवानों के परेड का एसडीओ व एसडीपीओ ने निरीक्षण किया. कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए…
A Se Baby Boy Names in Hindi with Meaning | Bhakti Aanand
कोई भी कपल अगर नए नए माता पिता बनने वाले होते हैं तो घर में बच्चें के आने से पहले ही धूम मची होती होती है। ऐसे में ना केवल होने वाले माता पिता बल्कि पूरा परिवार बच्चें का नाम खोजने में लग जाता है। या यूँ कहना गलत नहीं होगा की की घर में नन्हें मेहमान का आना किसी त्योहार से कम नहीं है। वही हिंदी भाषा और हिन्दू धर्म में में नाम एक व्यक्ति की पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। आपको यहाँ दी गयी नाम की लिस्ट आपको स्टाइलिश और न्यू लगेगी। यहाँ आपको एक से बढ़ कर एक अक्षर “अ” से नाम मिल जायेंगें।
अब आर्थिक कमजोर बच्चें भी पढ़ रहे प्राइ��ेट स्कूल में : दिवाकर तिवारीसतना। धवारी स्थित तक्षशिला पूर्व माध्यामिक विद्यालय में निःशुल्क नव प्रवेशी छात्र उत्सव धूमधाम से समारोहपूर्वक मनाया गया। नए छात्रों को तिलक लगा माला पहनाकर बच्चों सहित अभिभावकों का स्वागत सम्मान किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीआरसीसी सोहावल दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि गरीब मध्यम वर्ग के अभिभावक पहले पैसे के…
खेलने के दौरान घर में रखे पुआल में लगी आग , दो बच्चे जिंदा जले
हजारीबाग। जिले के बरकट्ठा प्रखंड के चेचकपी में दिल दहला देने वाली ह्रदय विदारक घटना घटी। एक घर में रखे पुआल में आग लगने से दो बच्चों की दर्दनाक मौत हो गयी। मरने वाले में 4 वर्षीय साक्षी कुमारी (पिता तालेवर सिंह) और 3 वर्षीय अविनाश कुमार (पिता पिंटू सिंह) के है। घटना की सूचना पाकर पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए हजारीबाग भेज दिया। पोस्टमार्टम करने के बाद शव को परिजन को…
आज बढ़िया दिन रहा, भाई साहब का आवास योजना का पहला किस्त आया है, अब मकान बनाने का प्रोसेस प्रारंभ किया जाएगा।
गीता बहन के बच्चें बहुत सरारती हैं , पूरा दिन उछलकूद करते रहते हैं, खासकर भांजा जी बहुत शरारती है, उसे समझाने का कोई मतलब नही होता, वे एक बात कॉमेंट कर दिया तो खुद का नहीं सुनता, ऐसा है वो.....
ऑफिस में विश्वकर्मा जयंती मनाया गया.....
जब सुबह सुबह आपको नाश्ता में कुछ अलग खाने को मिल जाए फिर क्या कहना, बहुत मजा आता है, आज मैडम के द्वारा इडली सांभर का निर्माण किया गया था, जिसे खाकर ऑफीस गया था
😋😋
बेटू अब समझदार हो गई है, गंदगी को साफ करना सीख गई है, घर में जहां गंदगी दिखती है, उसे साफ करने लग जाती है, झाड़ू अपने तरीका से लगाती हैं।
प्रेम अनंत काल से पवित्र माना जाता है, और प्रेम विवाह सुखी जीवन का मूलमंत्र, ऐसा नहीं है सुसंगत विवाह में प्रेम नहीं होता है, सुसंगत विवाह में मनुष्य के मन में एक इक्षा सदैव रहता है जो कि उसके मन में अनंत काल तक खटकती है, किंतु प्रेम विवाह में मनुष्य को अपने अनुसार पति/पत्नी चुनने का मौका रहता है, जिसके साथ वो खुशी के संग अपने पूरे जीवन को व्यतीत कर सके!!
किंतु आज के दौर में जैसे-जैसे प्रेम विवाह का दर बढ़ रहा है उसी तेजी से तलाक का दर भी बढ़ रहा है, वैसे भारत में केरल शिक्षा दर में प्रथम स्थान पर है किंतु तलाक लेने के मामले में भी केरल ने ही सर्वप्रथम स्थान पर कब्जा कर रखा है, जिसका मूल कारण भी शिक्षा है, जब बच्चे उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं तो गार्जियन को लगता है अब बच्चे समझदार हो चुके हैं, क्योंकि उनके पास जीवनयापन के लिए एक परमानेंट नौकरी है, और उनके चुने हुये साथी के साथ विवाह करवा देते हैं, यूपी-बिहार में अभी भी प्रेम विवाह में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है प्रेमियों को, किंतु अब बच्चें कही भाग ना जाये या आत्महत्या ना कर ले उस विवशता में बच्चों के फैसले को स्वीकार कर लेते हैं गार्जियन, उनको लगता हैं बच्चे खुश रहेंगे तो हम खुश रहेंगे, पर गार्जियन को इस बात का तनिक भनक नहीं होता इस विवाह से पहले उनके बच्चों ने काफी शर्त पहले ही मनवा लिया है एक-दूसरे से!!
विवाह दो आत्माओं का मेल है ऐसा कहा जाता है किंतु ना तो ये त्रेता युग है ना ही कोई यहाँ पर शिव, फिर भी प्रेम अभी भी अपने मर्यादा और संस्कार के वजह से जीवित है, नहीं तो 87% प्रेम तो वासनाओं से घिरा है और जिसका आंखों देखा हाल आपको आपके आस-पास ही देखने को मिलेगा, और ना जाने इस चक्कर में लाखों लड़कियों और हजारों लड़कों ने अपने जीवन को मृत्यु में तब्दील कर लिया है इसका एक अहम विषय स्वत्रंत रहना भी है!!
अब आते हैं मुद्दे पर प्रेम में पड़े लड़के और लड़कियाँ इतना केयर एक दूसरे को करते हैं मानो प्रेम का मतलब सिर्फ ख़ुशियाँ ही हो, लड़के हर बात पर हाँ भरने लगते हैं मतलब लड़की को पाने के लिए और अगर उसके संग भविष्य देख रहे हैं तो, नहीं बुझे मने विवाह करने लिए लड़की को इतना भाव देते हैं जिससे लड़की को भी लगता है सच में जीवन इसके संग बिताने के अलावा और कोई दूसरा लड़का हो ही नहीं सकता, उधर लड़की सब लड़को को इतना केयर, बातों में सहमति, घर-परिवार के संग रिश्ता, मतलब लगता है जैसे फ़िल्म सीरियल में होता है कुछ भी हो जाये पर परिवार के संग रहूंगी और कुछ इमोशनल लड़के उनके इन सब केयर को देख जुट जाते हैं परिवार को मनाने में, आग दोनों तरफ लग जाती है शादी की, फिर सैकडों योजन का कष्ट दोनों उठा कर मना ही लेते हैं अपने परिवार को, जहां नहीं मानते हैं परिवार वाले वहाँ हम जैसे लफंडर दोस्त है ना पेपर पर सिग्नेचर करने के लिए!!
विवाह तो जैसे-तैसे हो जाता है किंतु प्रेम का जूस तब निकलता है जब घर के छ���टे-छोटे झगड़े, आपसी मन-मुटाव और सोशल मीडिया पर समय व्यतीत, मतलब जो काम पहले बढ़िया लग रहा था अब उसी काम के कारण दोनों के रिश्तों में दरार भी शुरू होने लगता है, किंतु इसका खामियाजा यहाँ भी परिवार ही भरता है, अगर लड़की/लड़का समझदार है तो वो समाज के बीच एक उदाहरण हो जाते हैं किंतु जहाँ लड़का अपना सब कुछ लड़की के प्रति समर्पित कर दे पर लड़की को सिर्फ अपने बच्चें और पति संग रहने का फैसला हो, या अपने मायके वालों को ज्यादा तबज्जो देना, ससुराल वालों के प्रति सिर्फ दिखावा, उसी का उल्टा लड़का करने लगे तब वहाँ से शुरू होती है दरारें और फिर लड़की के बार-बार कहने पर अगर लड़का उसके हिसाब से ना चले तो तानों से शुरू लड़ाई, गली-गलौज फिर थाना-पुलिस होते कोर्ट वाली आर्केस्ट्रा तक पहुँच जाती है, क्योंकि गलती लड़के का है, उसने पहले इतने सपने दिखा दिये जो लड़की को लगा अब उसके साथ गलत हो रहा है, और अपने दोस्त या परिवार के सहारे वो उसी व्यक्ति से दूर होना चाहती है जिसके संग उसने बुन रखे थे मृत्युकाल तक के सपने!!
गलतियाँ कभी एक तरफा नहीं होता है, यहाँ लड़कियाँ भी गलत होती है, शुरू में अपने व्यवहार और प्रेम से लड़को का दिल जीतती है, हर काम के लिए संग खड़ी रहती है, चाहे वो एकता हो या जोड़ना, मतलब ऐसा रूप दिखाती है मानों कोई देवी हो, अगर वो बाहर वालों के लिए इतना कर रही है तो घरवालों के संग कितना प्रेम करेंगी, और लड़कियाँ भी वो हर काम करती है जिससे लगता है समाज में हम एक उदाहरण बनेंगे किंतु कुछ समय उपरांत उसका उल्टा होता है जो एक-दूसरे के मनमुटाव का अहम कारण बनता है, वैसे प्रेम में पैसों का भी एक अहम किरदार है पर जो समझदार जोड़े होते हैं वो उसमें भी निर्वहन करते हैं वो कभी भी पैसों के वजह से तलाक को अहम कारण नहीं बनने देते हैं, इन्ही छोटी-छोटी बातों को दोनों विवाह उपरांत संभाल नहीं पाते हैं जो दो परिवारों को दुश्मन भी बनाती है और प्रेम के प्रति लोंगो को घृणित करती है, अगर हम थोड़ा समझदार हो जाये और परिस्थितियों को खुद समझे देखे कहाँ-कहाँ हम गलत जा रहे हैं, पहले हमने ऐसा क्या किया जो अब चूक हो रही है तो प्रेम विवाह में तलाक दर की संख्या को हम घटाने में काफी कामयाब रहेंगे और प्रेम का जो ओहदा है समाज में उसमें चार चांद भी लगायेंगे!!
ज्यादा लिखना मतलब बकलोली करने जैसा लगेगा, हमें हर रिश्ते में कुछ ना कुछ कमी मिलेगा इसलिए रिश्तों से भागने की वजह हमें उसी रिश्ते को अगर ठीक करने से खुशी मिले तो जरूर कोशिश करे,अरे सिंपल सी बात है भाई अगर बाहर लड़ाई-झगड़ा, मारा-पीट हो जाता है तो उनसे फिर से हम जुड़ जाते हैं, फिर अपने परिवार के लोंगो के संग चंद शब्द से आखिर दूरी क्यों? मिलबैठकर और बातें समझकर ही हम किसी भी रिश्ते को एक मजबूती से स्थापित कर सकते हैं , नहीं तो रिश्तों का शतरंज युगों से चला आ रहा है चाहे वो पांडव-कौरवों का हो या राम-कैकेय माते का, क्योंकि हर रिश्ते में कुछ ना कुछ खोना पड़ता है, पर अगर हम उसको जोड़कर रखने में सक्षम है तो फिर उसके बाद कि खुशी आपको शायद एक ऐसा एहसास जरूर करवा देगी जो जोड़ना ही प्रेम का पहला और आखिरी पड़ाव है!!
राजीव इंटरनेशनल स्कूल में हुआ दो दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन
राजीव इंटरनेशनल स्कूल में हुआ दो दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन
पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती हैं, ऐसे में यदि पुस्तक मेले से छात्र-छात्राओं को रूबरू होने का सुअवसर मिले तो इससे अच्छी बात दूसरी हो ही नहीं सकती। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले मथुरा जनपद के राजीव इंटरनेशनल स्कूल में दो दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। एक ही छत के नीचे हजारों तरह की पुस्तकें पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खुशी से खिल उठे।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल में दो दिवसीय पुस्तक मेले के आयोजन का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में अध्ययन-अध्यापन के प्रति रुचि जागृत करना था। इस पुस्तक मेले में आगरा और दिल्ली के प्रकाशकों ने अपने-अपने स्टॉलों में ज्ञानवर्द्धक पुस्तक��ं का संग्रह रखा। पुस्तक मेले में पुस्तकों की प्रदर्शनी के साथ-साथ उनकी बिक्री की भी व्यवस्था की गई थी। पुस्तक मेले में हर आयु वर्ग के विद्यार्थियों को अपनी-अपनी पसंद की पुस्तकें देखने और खरीदने का सुअवसर मिला।
पुस्तक मेले में छोटे बच्चों के लिए पंचतंत्र के साथ-साथ अन्य मनोरंजक कहानियों की रंग-बिरंगी किताबें थीं तो बड़े बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक उपयोगी पुस्तकें भी स्टॉलों में पाई गईं। काल्पनिक, हॉरर, थ्रिलर, बायोग्राफी जैसी विविध प्रकार की पुस्तकों को एक ही छत के नीचे पाने की खुशी जहां छात्र-छात्राओं में साफ देखी गई वहीं उन्होंने इसका लाभ उठाते हुए जमकर पुस्तकों की खरीददारी भी की। पुस्तक मेले में अभिभावकों की पसंद का भी पूरा ध्यान रखा गया था। इस अवसर का लाभ उठाते हुए विद्यार्थियों के साथ-सा�� अभिभावकों ने भी अपनी-अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें खरीदीं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने पुस्तक मेले के आयोजन को समसामयिक बताते हुए कहा कि मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक पुस्तकें छात्र-छात्राओं ही नहीं हर आयु वर्ग के लोगों के लिए न केवल उपयोगी होती हैं बल्कि उनका जीवन पर्यंत मार्गदर्शन भी करती हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पुस्तकें प्रगति एवं बुद्धि के विकास में सहायक होती हैं। पुस्तकें ही हमारी हर मुश्किल में सहायता करती हैं तथा अज्ञान के अंधकार से हमें ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती हैं।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में जब विद्यार्थियों की मौलिकता सोशल मीडिया या मोबाइल में लुप्त होती जा रही हो, ऐसे समय में उस अंधकार से उन्हें सिर्फ अच्छी पुस्तकें ही निकाल सकती हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि पुस्तकों को मनुष्य का सच्चा मित्र कहा जाता है, इन्हें पढ़कर ही हम ज्ञान पाते हैं। आज हम किसी विषय के बारे में जो कुछ जानते हैं उसका आधार किताबें ही हैं। बच्चें पुस्तक पढ़कर ही सीखना शुरू करते हैं।
विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने कहा कि इस प्रकार के पुस्तक मेले बड़े उपयोगी होते हैं क्योंकि हमें एक ही स्थान पर सभी प्रकार की पुस्तकें देखने, पढ़ने एवं चुनने का अवसर मिलता है। विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए समय-समय पर ऐसे पुस्तक मेलों का आयोजन किया जाना बहुत जरूरी है।