जन्माष्टमी की रात कर ले ये उपाय | Janmashtami Upay
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लालबागचा राजा विसर्जन 2022: जानें कि LIVE स्ट्रीम कहां देखना है क्योंकि भक्तों ने भगवान गणेश को विदा किया
लालबागचा राजा विसर्जन 2022: जानें कि LIVE स्ट्रीम कहां देखना है क्योंकि भक्तों ने भगवान गणेश को विदा किया
छवि स्रोत: पीटीआई लालबागचा राजा 2022
लालबागचा राजा विसर्जन 2022: जैसे ही 9 सितंबर, 2022 को 10 दिनों तक चलने वाले उत्सव का समापन होता है, भक्त भगवान गणेश के विसर्जन के विशाल जुलूस में भाग लेते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश की विशाल मूर्ति को दो साल बाद पानी उर्फ विसर्जन के लिए पंडाल से ले जाया जाएगा. आइए नजर डालते हैं 14 फीट लंबी गणेश प्रतिमा के विसर्जन समारोह की कुछ तस्वीरों पर।
10 दिनों के…
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#GodMorningFriday
पूर्ण संत
जो भी संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रों के विरुद्ध साधना करवा रहा है।
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#अविनाशी_परमात्मा_कबीर
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
Sant Rampal Ji Maharaj
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जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
राजा सिकन्दर लोदी का जलन का रोग पूर्ण परमात्मा कबीर जी के आशीर्वाद मात्र से समाप्त हो गया था ।
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
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संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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Shraddha TV Satsang 27-01-2024 || Episode: 2453 || Sant Rampal Ji Mahara...
#MustListenSatsang
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
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अपना नाम ,पूरा पता, पिनकोड ,मोबाइल नंबर हमें Whatsapp करें +91 7496801825
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"Sant Rampal Ji Maharaj"
➡️ सुनिए जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन :-
➜ पापुलर TV 📺 पर शाम 7:30 से 8:30
➜ श्रद्धा Tv 📺 दोपहर - 2:00 से 3:00
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मुसलमानों का मानना है कि अल-खिद्र अमर है और आज भी धरती पर जीवित (जिंदा) है व मौजूद है और अल्लाह की राह पर जो उलझन में हैं, उनका मार्ग दर्शन करता है। 🌹
#अविनाशी_परमात्मा_कबीर
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Satsang Ishwar TV | 13-04-2024 | Episode: 2357 | Sant Rampal Ji Maharaj ... #MustListenSatsang
वेदों में प्रमाण है, कबीर साहेब भगवान हैं।
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
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➡️ सुनिए जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन :-
➜ श्रद्धा टीवी 📺 दोपहर - 2:00 से 3:00
➜साधना टीवी 📺 पर शाम 7:30 से 8:30
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🦋हरि आये हरियाणे नू🦋
राजस्थान के प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव पीर के अनुसार जगत के कल्याण के लिए भारतवर्ष में उत्पन्न मसीह जाट वर्ण से होगा और वह कबीर प्रभु के गुण गाएगा। उनकी यह भविष्यवाणी जाट वर्ण में उत्पन्न हरियाणा के संत रामपाल जी पर खरी उतरती है। जिनका 8 सितंबर को जन्म दिवस है।
8 सितंबर को उस महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ, जिनके विषय में अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चार्ल्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
देश विदेश के अनेकों महापुरुषों ने धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में अपने लेखों में वर्णन किया है कि वो मानव इतिहास का सबसे महानतम व्यक्ति बनेगा व जनता का अपार समर्थन प्राप्त करेगा। उसके विचारों का बोलबाला पूरे विश्व मे होगा व सभी लोग उसके बताए मार्ग पर चलने के लिए बाध्य होंगे।
युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
भगवान 8 सितंबर 1951 को धरती पर अवतरित हो चुके हैं संत रामपाल जी महाराज के रूप में।
जगत का तारणहार
गरीब दास जी की वाणी है कि:-
"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा।।"
परमेश्वर का नुमाइंदा संत दिल्ली मण्डल में उत्पन्न होगा। उस संत द्वारा बताया हुआ तत्वज्ञान पूरे विश्व को स्वीकृत होगा। यह भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने भी की है। वह जगत के तारणहार संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारत के धनाना गांव में हुआ जो पहले दिल्ली क्षेत्र में पड़ता था।
सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हर इंसान सुखी होगा और पृथ्वी स्वर्ग समान बनेगी।
जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक संत तुलसीदास जी ने 7 सितम्बर 1971 को भविष्यवाणी की थी कि वह अवतार जो पूरे विश्व में शांति स्थापित करेगा, भारत को विश्व गुरु बनायेगा, उसकी एक भाषा, एक झंडा होगा। वह 20 वर्ष का हो गया है। संत रामपाल जी ही वह अवतार हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951को हुआ था जोकि 7 सितम्बर 1971 को पूरे 20 वर्ष के थे।
#PropheciesAboutSantRampalJi
#SantRampalJi_AvataranDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
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पवित्र पुस्तक "धरती पर अवतार"
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#अविनाशी_परमात्मा_कबीर
💠जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
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*#Mysterious_Prophecies*
*#Great_Prophecies_2024*
🔮नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी की किताब सेंचुरी में लिखा है कि
वह शायरन (धार्मिक नेता) नया ज्ञान आविष्कार करेगा। वह सत्य मार्ग दर्शन करवाने वाला तारणहार एशिया खण्ड में जिस देश के नाम महासागर (हिन्द महासागर) है। उसी नाम वाले (हिन्दुस्तान) देश में जन्म लेगा। वह ना क्रिश्चन, ना मुस्लमान, ना ज्यू होगा वह निःसंदेह हिन्दू होगा। अन्य भूतपूर्व धार्मिक नेताओं से महतर बुद्धिमान होगा और अजिंकय होगा। (नास्त्रेदमस भविष्यवाणी के शतक 6 श्लोक 70 में महत्वपूर्ण संकेत संदेश बता रहा है) उस से सभी प्रेम करेगें। उसका बोल बाला रहेगा। उसका भय भी रहेगा।
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#SundayThoughts
सतगुरुदेव जी कहते हैं कि जो संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रों के विरुद्ध साधना करवा रहा हैAnd look at evening 7 30 O'clock on Sadhana Channel me
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18.02.2023, लखनऊ | स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की 187वीं जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, "रामकृष्ण परमहंस स्वतंत्रता-पूर्व भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत थे जिनकी आज 187वीं जयंती मनाई जा रही है । रामकृष्ण जी एक महान संत थे और समाज में आध्यात्मिकता का ज्ञान प्रसार करने के कारण उन्हें परमहंस की उपाधि मिली । अपने ज्ञान के प्रकाश के कारण उन्होंने नरेंद्र नाम के एक साधारण बालक को, जो अध्यात्म से कोसों दूर तर्क में विश्वास रखता था, उसे अध्यात्म से परिचित कराया । भगवान की शक्ति से असीम शक्तियों का ज्ञान कराके, उन्हें नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बना दिया । देश को ऐसा बेटा दिया जिसने देश को सरहदों से पार जाकर सम्मान दिलाया । जिन्होंने युवाओं को जागरूक कर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की | राम कृष्ण परमहंस के विचार मनुष्य को जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं । रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे । इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया । उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया । स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे । साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं । वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं ।"
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🦋हरि आये हरियाणे नू🦋
राजस्थान के प्रसिद्ध संत बाबा रामदेव पीर के अनुसार जगत के कल्याण के लिए भारतवर्ष में उत्पन्न मसीह जाट वर्ण से होगा और वह कबीर प्रभु के गुण गाएगा। उनकी यह भविष्यवाणी जाट वर्ण में उत्पन्न हरियाणा के संत रामपाल जी पर खरी उतरती है। जिनका 8 सितंबर को जन्म दिवस है।
8 सितंबर को उस महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म हुआ, जिनके विषय में अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चार्ल्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
देश विदेश के अनेकों महापुरुषों ने धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में अपने लेखों में वर्णन किया है कि वो मानव इतिहास का सबसे महानतम व्यक्ति बनेगा व जनता का अपार समर्थन प्राप्त करेगा। उसके विचारों का बोलबाला पूरे विश्व मे होगा व सभी लोग उसके बताए मार्ग पर चलने के लिए बाध्य होंगे।
युग परिवर्तन प्रकृति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
भगवान 8 सितंबर 1951 को धरती पर अवतरित हो चुके हैं संत रामपाल जी महाराज के रूप में।
जगत का तारणहार
गरीब दास जी की वाणी है कि:-
"साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्���ल लीजै वासा।।"
परमेश्वर का नुमाइंदा संत दिल्ली मण्डल में उत्पन्न होगा। उस संत द्वारा बताया हुआ तत्वज्ञान पूरे विश्व को स्वीकृत होगा। यह भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने भी की है। वह जगत के तारणहार संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारत के धनाना गांव में हुआ जो पहले दिल्ली क्षेत्र में पड़ता था।
सुखी होगा हर इंसान, धरती बनेगी स्वर्ग समान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से हर इंसान सुखी होगा और पृथ्वी स्वर्ग समान बनेगी।
जयगुरुदेव पंथ के प्रवर्तक संत तुलसीदास जी ने 7 सितम्बर 1971 को भविष्यवाणी की थी कि वह अवतार जो पूरे विश्व में शांति स्थापित करेगा, भारत को विश्व गुरु बनायेगा, उसकी एक भाषा, एक झंडा होगा। वह 20 वर्ष का हो गया है। संत रामपाल जी ही वह अवतार हैं जिनका जन्म 8 सितम्बर 1951को हुआ था जोकि 7 सितम्बर 1971 को पूरे 20 वर्ष के थे।
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#सच्चा_सतगुरु_कौन
जो भी संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रो के विरूद्ध साधना करवा रहा है। इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।
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#गरिमा_गीता_की_Part_121
‘‘मुझ दास (रामपाल दास) को तत्व भेद प्राप्ति’’
एक दिन इस दास (रामपाल दास) ने अपने पूज्य गुरूदेव स्वामी रामदेवानंद जी से पूछा कि हे गुरूवर! यह सारनाम क्या है? जिसके विषय में बार-बार सतग्रन्थ साहेब तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वाणी में आता है। तब उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने मेरे से इस विषय में नहीं पूछा। लाखों का समूह है। परंतु ये प्रभु नहीं चाहते ये तो माया चाहते हैं या प्रभुत्ता। गुरु जी ने कहा कि आपके दादा गुरु जी ने मुझे कहा था कि आपसे कोई एैसी बात पूछे तो उसे यह वास्तविक मन्त्र तथा सारशब्द का भेद देना। वह पूर्ण संत होगा तथा कबीर परमेश्वर का वास्तविक भक्ति मार्ग प्रारम्भ होगा। ऐसा कह कर पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानन्द जी महाराज ने उनके पास उपस्थित संगत को अपनी कुटिया से बाहर कर दिया तथा सर्व भेद समझाया और कहा कि रामपाल तेरे समान संत इस पृथ्वी पर नहीं होगा। मुझे तेरा ही इंतजार था। सतलोक प्रस्थान करने से पूर्व सर्व आश्रम त्याग कर मुझ दास के पास जीन्द(हरियाणा) कुटिया में स्वामी जी चालीस दिन रहे तथा कहा कि किसी को नहीं बताना कि मैंने तेरे को सारनाम तथा सारशब्द दिया है। क्योंकि तेरे दादा गुरु जी की आज्ञा थी कि जो शिष्य सारशब्द के विषय में पूछे केवल उसी को बताना। वह एक ही होगा। अन्य को सारशब्द नहीं देना। इसलिए अन्य जो शिष्य हैं वे अधिकारी नहीं हैं। उन्हें पता चलेगा तो वे द्वेष करेंगे तथा पाप के भागी हो जाएंगे। यदि ये सर्व इसी जन्म में या अगले जन्मों में तेरे (रामपाल दास के) बनेंगे तो इनका उद्धार होगा।
मुझ दास के पास चालीस दिन जीन्द कुटिया में ठहर कर स्वामी जी 24 जनवरी 1997 को पंजाब में बने आश्रम कस्बा तलवण्डी भाई में गए। वहाँ पर 26 जनवरी 1997 को सुबह 10 बजे सतलोक प्रस्थान किया। सन् 1994 को मुझ दास को नाम दान करने का आदेश दिया तथा अपने सर्व शिष्यों से कह दिया कि आज के बाद यह रामपाल ही तुम्हारा गुरु है। आज के बाद मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूँ। जिसने कल्याण करवाना हो, इस रामपाल से उपदेश प्राप्त करो। इन शब्दों द्वारा पूज्य गुरुदेव ने भी नकली शिष्यों का भार अपने सिर से डाल दिया। यह सारशब्द अभी तक पूर्ण रूप से गुप्त रखना था।
पूज्य गुरुदेव के सतलोक सिधारने के पश्चात् यह दास(रामपाल दास) बहुत अकेलापन महसूस करने लगा। बहुत चिंतित रहने लगा। अब मेरे साथ कौन रहेगा ? मैं क्या करूँ ? इतनी बड़ी जिम्मेवारी को यह अकेला दास कैसे निभा पाएगा ? परमेश्वर कबीर साहेब जी ने सारनाम व शब्द देना मना किया हुआ है। मेरी यह चिंता गहन होने लगी। मार्च 1997 में फाल्गुन शुक्ल एकम संवत् 2054 को दिन के दस बजे परमेश्वर कबीर साहेब जी अपने वास्तविक रूप में मुझे मिले तथा कहा कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। अब सारनाम तथा सारशब्द प्रदान करने का समय आ गया है तथा कहा कि संत गरीबदास से भी मैंने ही कहा था कि आप की परम्परा में केवल एक संत को सारनाम व शब्द बताना है। उसे कसम दिलाना है कि केवल एक ही शिष्य को वह भी सारनाम व शब्द बताए जो ऐसे प्रश्न पूछे। यह परम्परा संत गरीबदास जी से संत शीतल दास जी को तथा अब केवल तेरे(रामपाल दास) तक पहूँची है। यह रहस्य जान बूझ कर रखा था। कहा पुत्र निश्ंिचत हो कर मेरा गुनगान कर। अब सारी पृथ्वी पर तत्व ज्ञान फैलेगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा कि अभी किसी से मत कहना कि मुझे कबीर प्रभु मिले थे। आप पर कोई विश्वास नहीं करेगा। तुझे कुछ समय उपरांत फिर मिलूँगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी दास को समय-समय पर दर्शन देकर कृत्यार्थ करते रहते हैं। अब परमेश्वर का स्पष्ट संकेत हो गया है। इसलिए दास वर्णन कर रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आदरणीय गरीबदास जी की वाणी “सुमरण का अंग” में लिखा है कि ‘सोहं ऊपर और है, सत सुकृत एक नाम‘। जो अभी तक संत गरीबदास पंथ में उस सारनाम का ज्ञान नहीं था। अब इस दास (रामपाल दास) से विमुख हुए गुरु द्रोही ही उन्हें बताने लगे हैं। लेकिन अब शिक्षित समाज है, इनकी दाल नहीं गलने देगा। कुछे बातें ऐसी होती हैं जो गुप्त रखनी होती है। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने स्वामी रामानन्द जी को भी यही कसम दिलाई थी कि मेरा भेद मत देना।
आप मेरे गुरु बने रहो तथा संत धर्मदास जी को भी यही कहा था कि -
“गुप्त कल्प तुम राखो मोरी, देऊं मकरतार की डोरी”
भावार्थ है कि अन्य किसी को मेरे विषय में मत बताना। क्योंकि कोई आप पर विश्वास नहीं करेगा और जो भक्ति मार्ग मैं तुझे बता रहा हूँ यह किसी को मत बताना। मैं तुझे सतलोक जाने की वह(मकरतार अर्थात् मकड़ी के तार की तरह अभेद भक्ति मार्ग जिस के सहारे प्राणी भ्रमित न होकर सतलोक चला जाता है वह प्रभु पाने की) विशेष विधि बताता हूँ जिसके द्वारा आप सतलोक पहुँच जाओगे। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपने प्रिय शिष्य धर्मदास जी साहेब से कहा था कि यह सारशब्द मैं तुझे प्रदान करता हूँ। परंतु आप यह सारशब्द अन्य किसी को नहीं देना। तुझे लाख दुहाई है अर्थात् सख्त मना है। यदि यह सारशब्द किसी अन्य के हाथ में पड़ गया तो आने वाले समय में जो बिचली(मध्य वाली) पीढ़ी पार नहीं हो पावेगी। धर्मदास जी ने शपथ ली थी कि प्रभु आपके आदेश की अवहेलना कभी नहीं होगी। इसलिए धर्मदास जी ने अपने किसी भी वंशज को यह वास्तविक नाम जाप तथा सारशब्द नहीं बताया। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि संत धर्मदास जी ने पुरी(जगन्नाथ पुरी) में शरीर त्यागा। जहाँ कबीर परमश्वेर ने एक पत्थर चैरा(चबुतरा) जिस पर बैठ कर समुंद्र को रोक कर श्री जगन्नाथ जी के मन्दिर की रक्षा की थी। संत धर्मदास जी तथा धर्मपत्नी भक्तमति आमिनी देवी दोनों की यादगार वहाँ पुरी में बनी है। यह दास कई सेवकों सहित इस तथ्य को आँखों देख कर आया है। बाद में श्री चुड़ामणी जी को (जो संत धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर की कृपया से नेक संतान प्राप्त हुई थी।) कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी पुत्र चूड़ामणी जी को केवल प्रथम मन्त्र जो सात नामों का है, प्रदान किया। वह प्रथम वास्तविक नाम भी धर्मदास की सातवीं पीढ़ी में काल का दूत महंत बना उसने काल के बारह पंथों में एक टकसारी पंथ भी है, उसके प्रवर्तक की बातों में आकर प्रथम नाम छोड़कर जो वर्तम���न में दामाखेड़ा (छत्तीसगढ़) की गद्दी वाले महंत एक पूरा श्लोक अजर नाम, अमर नाम पाताले सप्त सिंधु नाम दीक्षा में देते हैं, नामदान करने प्रारम्भ कर दिये। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री चूड़ामणी जी की महंत परम्परा में यह वास्तविक मंत्र नहीं दिया जाता केवल मनमुखी नाम दिए जाते हैं जो अजर नाम, अमर नाम, पाताले सप्त सिंधु नाम, आदि... हैं। इससे सिद्ध हुआ कि यह भी मनमुखी साधना तथा गद्दी
परम्परा चला रहे हैं।
सतलोक आश्रम बरवाला (हिसार) में मुझ दास(रामपाल दास) से उपदेश लेने से सर्व सुख व लाभ भी प्राप्त होंगे तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त होगा। कहते हैं - आम के आम, गुठलियों के दाम।
कृप्या निःशुल्क प्राप्त करें।
गरीब, समझा है तो शिर धर पाव। बहुर नहीं है ऐसा दाव।।
मुझ दास की प्रार्थना है कि मानव जीवन दुर्लभ है, इसे नादान संतों, महंतों व आचार्यों, महर्षियों तथा पंथों के पीछे लग कर नष्ट नहीं करना चाहिए। पूर्ण संत की खोज करके उपदेश प्राप्त करके आत्म कल्याण करवाना ही श्रेयकर है। सर्व पवित्र सद्ग्रन्थों के अनुसार अर्थात् शास्त्र अनुकूल यथार्थ भक्ति मार्ग मुझ दास(रामपाल दास) के पास उपलब्ध है। कृपया निःशुल्क प्राप्त करें।
सर्व पवित्र धर्मों की पवित्र आत्माऐं तत्वज्ञान से अपरिचित हैं। जिस कारण नकली गुरुओं, संतों, महंतों तथा ऋषियों तथा पंथों का दाव लगा हुआ है। जिस समय पवित्र भक्त समाज आध्यात्मिक तत्वज्ञान से परिचित हो जाएगा उस समय इन नकली संतों, गुरुओं व आचार्यों को छुपने का स्थान नहीं मिलेगा। सर्व प्रभु प्रेमियों का शुभ चिन्तक तथा दासों का भी दास।
“सत् साहेब”
संत रामपाल दास
सतलोक आश्रम बरवाला, जिला हिसार (हरियाणा)।
दूरभाष: 8222880541ए 8222880542
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