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#हताश
deepjams4 · 5 months
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बाइस्कोप!
आओ बच्चो…………आओ बाइस्कोप दिखाऊँ
तुम्हें बचपन की कहानियों में छुपे रहस्य बताऊँ
ये छोटी सी ताकी बड़ी बड़ी कहानियाँ दिखलाए
मनोरंजन ही नहीं जीवन से परिचय भी करवाए!
इन कहानियों का…………मैं तो बस सूत्रधार हूँ
देस-परदेस की कहानियाँ बताने को बेक़रार हूँ
आज की कहानी के
टिकट का दाम है ……बस चार आना …….चार आना….
चार आना……हो सके तो लाना…..न हो तब भी आना….
रोकूँगा नहीं….बाइस्कोप के मज़े उठाने...भाग के आना….
भाग के आना…..भाग के आना….
आओ बैठो ताकी का ढक्कन हटाओ
बस अपनी आँख……ताकी में गढ़ाओ
और अब…….मेरी ही बात सुनते जाओ
बाइस्कोप देखो…...और मज़ा उठाओ
इस कहानी में एक देश में राज-काल है
जिसकी जनता का बड़ा ही बुरा हाल है
पनपता हुआ पूँजीवाद है….अधर में लटकता समाजवाद है
जेबें ख़ाली लिए खोखली….लाल रंगी वामपन्थी आवाज़ है
भौतिकवाद…..यथार्थवाद…..भक्तिवाद..….. दार्शनिकवाद
सब के सब ही बेहाल हैं वहाँ..…निरर्थक बना आदर्शवाद है
भोली प्रजा को भरमाते………धर्माधिकारियों की भरमार है
आशाएँ खोजती प्रजा पर……….....निराशा का दुष्प्रभाव है
पूँजीवादी हर तरफ़ फिरता है ख़ुशहाली की ढींगे हाँकता
वामपंथी ग़रीबी लाचारी बर्बादी की बस चीखें ही मारता
अस्तित्व खो चुका समाजवादी है अपने अवसर तलाशता
प्रजा हुई गरीब ….और बेईमान सेठ हुआ अमीर
हर चीज़ हड़पकर कहे….ये बस है उसका नसीब
स्वाँग रचे है राजा……मगर लूट में है पूरा शरीक
एक वज़ीर है……..वो राजा के बड़ा ही करीब है
मगर बंदा दिखता बड़ा ही अजीब-ओ-गरीब है
राजपाठ चलाने को……..वज़ीर ही ज़िम्मेदार है
धनवानों से उसका रिश्ता बड़ा ही बाकमाल है
हिस्सा है उसका भी जितना सेठ लूटता माल है
राजकोष का तो उसने किया पूरा ही बंटाधार है
हाँ फ़ौज का मुखिया…घुड़सवार सिपहसलार है
जनता पे ज़ुल्म ढानेवालों का वो बना सरदार है
लूट का धन बटोरकर….वो भी बना मालामाल है
ज़ुल्मियों से डरे जनता…भविष्य बना अंधकार है
कुछ बोले बिना चुपचाप सहे….जनता लाचार है
सत्ता की सबके सिरों पे…जो लटकती तलवार है
देखो धर्माचार्य बनके कैसे धोखा करे पाखंड रचे
नाम भुनाए लूट मचाए…भगवान को बदनाम करे
डरे हुए लोगों पर…लेकर नाम प्रभु का प्रपंच रचे
यहाँ चापलूसों की चापलूसी ही राजा का प्राश् है
चरमराती व्यवस्था में….. मूल्यों का हुआ ह्रास है
प्रशासन की बैंड बज गई न्याय प्रणाली हताश है
झूठी खबरें फैलाने वाले तंत्र से….प्रजा निराश है
जातिगत समीकरणों की चपेट में आया समाज है
धर्मों में आपसी लड़ाइयों का पनप रहा पिशाच है
चारों तरफ़ दिखाई देता बस विनाश ही विनाश है
मगर प्रजा की व्यथा का सत्ता को कहाँ आभास है
बच्चो ये तो बस कहानी है…तुम नन्हे फूलों को चेतानी है
सूत्रधार ने यही बात तुम्हें……..बस फिर याद दिलानी है
कभी भूला बिसरा ही न देना…..तुम आपसी सौहार्द कहीं
चापलूसों की चालों से……तुम सतर्क रहना हर पल सभी
याद होगी बूढ़े किसान और उसके झगड़ते बेटों की कहानी
सुनाई थी न तुम्हें… जो गट्ठर में बँधी लकड़ियों की ज़ुबानी
मौक़ापरस्त बहुत हैं यहाँ तुम उनकी बातों में कभी न बहना
गट्ठर में बँधी लकड़ियों की तरह ही मज़बूती से इकट्ठे रहना
प्रलोभनों से विचलित न होना दुख सुख सब मिलके सहना
याद रहे ये देश है तुम्हारा इसका नाता तुमसे सदा है रहना
गरीब जनता की आवाज़ बनके उनके हक़ की बातें कहना
चाहे संघर्ष जीवन में आयें कितने भी उन्हें बस हँसके सहना!
बस खेल ख़त्म हुआ अब…. आँख ताकी से हटाओ
अपनी अपनी ताकी का ढक्कन…..वापिस लगाओ
तुम जाओ खेलो कूदो भागो दौड़ो और मौज मनाओ
बाइस्कोप लेकर मैं सूत्रधार अब यहाँ से जाता हूँ
इंतज़ार करना मेरा……
जब तक खोजकर एक नयी कहानी सुनाने लाता हूँ!
©deepjams4- some_wandering_thoughts
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shayriara · 11 months
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#Aas
दुनिया से निराश खुद को हताश किये बैठे है
हम आज के युवा मौत की आस लिए बैठे है...
Duniya se niraash khud ko hataash kiye baithe hai
Hum aaj ke yuva mout ki aas liye baithe hai..
- Krishna Sharma (कृष्णा शर्मा)
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hi-avathisside · 4 months
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उन दोस्तों के लिए जिन्होंने कभी वादे किए थे बिछड़ने से पहले कि हम हर रोज बात करेंगे, साथ रहेंगे, बाकी सबकी तरह नहीं जो सिर्फ एक दूसरे का हाल पूछते हैं, हम हमेशा सच्चे वाले दोस्त रहेंगे ।
आज दोस्त की याद बहुत आ रही है, वो सब छोटे-छोटे लम्हें जो गुज़रे थे साथ में, सब जैसे खुली किताब के पन्नों की तरह मुझे वापस याद आ रहे हैं। एक बार फिर काश मुझे बुला लो उस क्लास में एक बार फिर बैठने दो अपने साथ,
काश, ये जिंदगी ऐसी ना होती,
काश ऐ जिंदगी तू मुझे ऐसे परेशान ना करती ,
काश तू मुझे ऐसे हताश ना करती ।
"किसी शाम मुझे भी याद कर लिया करो, मैं दोस्त पुराना हूँ मगर ज़िंदा हूँ । "
-अहमद फ़राज़
"तुमने कहा था हर शाम तेरा हाल पूछेंगे, तुम बदल गए हो क्या या तुम्हारे शहर में शाम ही नहीं होती ?"
-परवीन शाकिर
missing school so bad. Just take me back once more. Once more.
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ipaceinmypen · 6 months
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क्या तुम अपने दोस्त के साथ cigarette पीते वक़्त उस लड़की की बात करते हो जिसका नाम लेकर वो तुम्हें चिढ़ाता है? क्या तुम भी उसकी छोटी-छोटी बातों को सुलझाकर फिर से जोड़त��� हो?
क्या तुम भी ये सोचकर हताश हो जाते हो कि वो तुम्हारी आधी-रात की जाम और दिन की दस कश को कभी नहीं समझ पाएगी, भले ही वो समझना चाहती हो?
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iskconchd · 2 years
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श्रीमद्‌ भगवद्‌गीता यथारूप 1.12 https://srimadbhagavadgita.in/1/12 तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः । सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् ॥ १.१२ ॥ TRANSLATION तब कुरुवंश के वयोवृद्ध परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह-गर्जना की सी ध्वनि करने वाले अपने शंख को उच्च स्वर से बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ । PURPORT कुरुवंश के वयोवृद्ध पितामह अपने पौत्र दुर्योधन का मनोभाव जान गये और उनके प्रति अपनी स्वाभाविक दयावश उन्होंनेउसे प्रसन्न करने के लिए अत्यन्त उच्च स्वर से अपना शंख बजाया जो उनकी सिंह के समान स्थिति के अनुरूप था । अप्रत्यक्ष रूप में शंख के द्वारा प्रतीकात्मक ढंग से उन्होंने अपने हताश पौत्र दुर्योधन को बता दिया कि उन्हें युद्ध में विजय की आशा नहीं है क्योंकि दुसरे पक्ष में साक्षात् भगवान् श्रीकृष्ण हैं । फिर भी युद्ध का मार्गदर्शन करना उनका कर्तव्य था और इस सम्बन्ध में वे कोई कसर नहीं रखेंगे । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 1.12 tasya sañjanayan harṣaṁ kuru-vṛddhaḥ pitāmahaḥ siṁha-nādaṁ vinadyoccaiḥ śaṅkhaṁ dadhmau pratāpavān TRANSLATION Then Bhīṣma, the great valiant grandsire of the Kuru dynasty, the grandfather of the fighters, blew his conchshell very loudly, making a sound like the roar of a lion, giving Duryodhana joy. PURPORT The grandsire of the Kuru dynasty could understand the inner meaning of the heart of his grandson Duryodhana, and out of his natural compassion for him he tried to cheer him by blowing his conchshell very loudly, befitting his position as a lion. Indirectly, by the symbolism of the conchshell, he informed his depressed grandson Duryodhana that he had no chance of victory in the battle, because the Supreme Lord Kṛṣṇa was on the other side. But still, it was his duty to conduct the fight, and no pains would be spared in that connection. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #education #india #creativity #inspiration #life #quotes #devotion
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cutemessindites · 3 days
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मक़ाम
साथ निभाते- निभाते लोगों का गुज़ारी एक उम्र भर, फिर भी पाया है ख़ुद को अकेला ही अक़्सर। होते तो हैं शामिल ज़िंदगी की दौड़ में सब, मगर बनता नहीं यूँ ही कोई हमसफ़र! है आज फिर दिल मेरा हताश, ज़्यादा की ख़्वाइश नहीं बस चार क़दम की है बात कि मिल जाए मेरी ज़मीं को ये खुला आकाश, और मेरे इन हाथों को तेरा साथ! यूँ तो वाक़िफ़ हूँ बख़ूबी अपनी क़िस्मत से, गुज़ारी भी है ये ज़िंदगी मैंने बहुत हिम्मत…
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drsunildubeyclinic · 8 days
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Indigenous Sexual Treatment: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
पुरुषों के गुप्त व यौन रोगों के कारण, लक्षण और रामबाण आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
युवावस्था या जवानी में जिस सुख की लत लग जाती है, उसके परिणामस्वरूप पुरुषों में गुप्त रोग और बुरी आदतें विकसित हो जाती हैं। अधिकांश गुप्त व यौन रोग 14 से 18 वर्ष की आयु में शुरू होते हैं। अनैतिक लोगों के संपर्क में आने वाले, अश्लील बातें करने वाले, रोचक शब्दों में यौन-सुख का विस्तार से वर्णन करने वाले, मासूम बच्चों को अपने पास बैठाकर इस सुख का अनुभव कराने वाले लोग जिम्मेदार कारक होते है। परिणामस्वरूप, विवाह होने पर वह पुरुष स्त्री से सही से यौन क्रिया भी नहीं कर पाता है। उसके पनीले में साधारण उत्तेजना होती भी है, तो स्त्री के संपर्क में आते ही पानी जैसा क्ष्राव छोड़ जाता है और व हताश होकर अपने पनीले को बाहर निकाल लेता है। इसके बाद वह इस यौन सम्बन्ध में काफी प्रयास करता है, किन्तु वह न तो खुद यौन सुख का आनन्द पाता है और न ही अपने साथी को सुख दे पाता है।
कई बार तो लोग शर्म के मारे आत्महत्या तक की कोशिश करते हैं जो उनके निराशावाद को दर्शाता है। ऐसे रोगियों का पाचन तंत्र, मस्तिष्क, शुक्र नलिकाएं, श्वसन नलिकाएं आदि सभी खराब हो जाती हैं। लेकिन ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि हर बीमारी का कोई न कोई इलाज व समाधान अवश्य होता है। यहां हम आपको कुछ घरेलू उपाय भी बताएंगे, जिनका इस्तेमाल करने के बाद काफी हद तक आप अपने गुप्त व यौन बीमारियों से छुटकारा पा सकते है। लेकिन अगर समस्या बढ़ जाती है और घरेलू उपायों से फायदा नहीं हो रहा है तो किसी यौन रोग विशेषज्ञ (सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर) से जरूर संपर्क करें (बिल्कुल भी शर्म न करें)…
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स्वप्नदोष को कैसे ठीक करें:
स्वप्नदोष को रात्रि स्खलन के नाम से भी जाना जाता है। स्वप्नदोष एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो कि व्यक्ति को रात में अपने यौन स्वप्न के दौरान वीर्यपात या वीर्य स्खलन हो जाता है। वैसे यह प्रकिया पुरुषों में अधिक होती है परन्तु यह समस्या कुछ स्त्रियों में भी पाया जाता है जिसमें उनकी वैजिनल चिपचिपी और गीली हो जाती है। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य जो कि पटना के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी है, कहते है कि रात्रि स्खलन कि यह समस्या ज्यादातर युवा पुरुषो में देखी जाती है। स्वप्नदोष ज्यादातर उन पुरुषों को होता है जो वास्तविक यौन सुख से वंचित रह जाते हैं और लंबे समय तक यौन क्रिया के बारे में सोचते रहते हैं। कभी-कभी स्वप्नदोष नुकसान की बात नहीं होती है लेकिन कुछ युवा पुरुषों में यह अत्यधिक हो जाता है जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है और वे दिन-प्रतिदिन दुबले व कमजोर होते जाते हैं।
ऐसे लोगों को इलाज की जरूरत होती है। वैसे तो बाजार में कई तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर कोई खास फायदा नहीं करती साथ-ही-साथ उनके कई साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं। लेकिन आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों व रस-रसायन का इस्तेमाल करके आसानी से इसका इलाज कर सकते हैं।
स्वप्नदोष से छुटकारा पाने के लिए आप निम्नलिखित घरेलू उपचार आजमा सकते हैं, आपको निश्चित रूप से लाभ होगा…
रोजाना आंवले का मुरब्बा खाएं और ऊपर से गाजर का जूस पिएं।
तुलसी की जड़ का एक टुकड़ा पीसकर पानी के साथ पिएं। इससे लाभ होता है। अगर जड़ न मिले तो बीज के 2 चम्मच शाम को लें।
लहसुन की दो कलियां पीसकर निगल लें। कुछ देर बाद गाजर का जूस पीएं।
आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण और एक चम्मच आक की छाल का चूर्ण दूध के साथ लें।
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रात को सोते समय 10-12 काली तुलसी के पत्ते पानी के साथ लें।
रात को एक लीटर पानी में त्रिफला चूर्ण भिगो दें, सुबह उसे मसलकर बारीक कपड़े से छानकर पी लें।
2 चम्मच अदरक का रस, 3 चम्मच प्याज का रस, 2 चम्मच शहद, 2 चम्मच गाय का घी मिलाकर सेवन करने से न केवल स्वप्नदोष ठीक होगा बल्कि पुरुष शक्ति भी बढ़ेगी।
नीम के पत्तों को रोजाना चबाने और खाने से स्वप्नदोष पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
ऊपर जो भी उपाय आप अपनाएं उसका लगातार 6 महीने तक प्रयोग करें जिससे आपको लाभ अवश्य मिलेगा। अगर आप बीच में दवा लेना बंद कर देंगे तो आपको उतना लाभ नहीं मिलेगा।
वीर्य पतला होने के कारण और घरेलू उपचार...
आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका वीर्य पतला हो गया है, लेकिन चिंता न करें, इसका इलाज घरेलू स्तर पर भी संभव है। आइये सबसे पहले जानते हैं कि वीर्य पतला होने के क्या कारण हैं और इसका घरेलू उपाय क्या है। डॉ. सुनील दुबे, बिहार के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक है जो दुबे क्लिनिक में प्रैक्टिस करते है और सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों का इलाज करते है। उन्होंने अपने आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मेडिकल साइंस में बहुत सारे आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार की सफलतापूर्वक खोज की है। आज के समय में, भारत के कोने-कोने से गुप्त व यौन रोगी उनके मार्गदर्शन में अपना इलाज करवाते है और स्वस्थ्य यौन जीवन पाते है।
वीर्य पतला होने के कारण...
बुरी संगत में पड़ना, वेश्याओं के पास जाना, अत्यधिक संभोग करना, हस्तमैथुन की आदत का शिकार हो जाना आदि कारणों से वीर्य पतला हो जाता है। वीर्य का पतला होना वास्तव में इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति का वीर्य दुर्बल और कमजोर हो गया है। कामुक विचारों और अश्लील साहित्य को पढ़ने से उत्पन्न अत्यधिक उत्तेजना के कारण वीर्यपात हो जाता है। यदि यह स्थिति लगातार बनी रहे तो वीर्य पतला हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, अन्य कई गुप्त व यौन रोग के होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
वीर्य पतला होने के लक्षण…
वीर्य का मुख्य कार्य प्रजनन करना है। अगर वीर्य पतला और कमजोर हो जाए तो नपुंसकता के लक्षण दिखने लगते हैं और प्रजनन में बाधा आती है। इसके अलावा शीघ्रपतन जैसी समस्या भी होती है, इसलिए इसका इलाज करना जरूरी है।
शीघ्रपतन के लिए कारगर घरेलू उपचार….
शीघ्रपतन कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की मानसिकता या आदत का नतीजा है। संभोग के दौरान दूसरे साथी के स्खलन से पहले ही स्खलन हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है। यानी महिला के संतुष्ट होने से पहले पुरुष का स्खलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है। वास्तव में, आयुर्वेद चिकित्सा-उपचार में इस गुप्त रोग का इलाज संभव है और रोगी इसमें सुधार कर सकता है।
कारण…
शीघ्रपतन का मुख्य कारण पुरुष का रवैया या आदत है। इसके अलावा अगर व्यक्ति को हस्तमैथुन की लत है तो वह भी शीघ्रपतन से ग्रसित हो जाता है। हस्तमैथुन करने वाला व्यक्ति कामी, अधीर, और जल्दबाज़ हो जाता है। इसलिए वह संभोग के दौरान धैर्य नहीं रख पाता और उसका स्खलन जल्दी हो जाता है। कामवासना के बारे में सोचने से भी व्यक्ति शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है। थकान और कमजोरी और किसी बीमारी से ग्रसित होने या आत्मविश्वास की कमी के कारण भी शीघ्रपतन होता है।
लक्षण…
यदि कोई शीघ्रपतन का शिकार है, तो संभोग के दौरान स्खलन जल्दी हो जाता है और महिला संतुष्ट नहीं हो पाती है।
घरेलू उपचार…
जामुन: शीघ्रपतन को रोकने के लिए जामुन की गुठली को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और 2.5 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लें। एक महीने तक लगातार ऐसा करने से यह रोग नियंत्रण में आ जाता है।
इमली: शीघ्रपतन से पीड़ित पुरुषों के लिए इमली के बीज बहुत उपयोगी साबित हुए हैं। इमली के बीजों को 4-5 दिन तक पानी में भिगोकर रखें, गुठली निकालकर चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है और वीर्य स्तंभन होता है।
खजूर: रोजाना दो खजूर खाने से शीघ्रपतन की समस्या नियंत्रित होने लगती है।
ईसबगोल: ईसबगोल, खसखस ​​का शर्बत और मिश्री को 5-5 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शीघ्रपतन ठीक हो जाता है।
अदरक: आठ माशा सफेद प्याज का रस, छह माशा अदरक का रस, चार माशा शहद और तीन माशा शुद्ध घी मिलाकर दो महीने तक नियमित सेवन करने से शीघ्रपतन रुक जाता है।
आम: आम की कलियों को छाया में सुखाकर, पीसकर छान लें और इस मिश्रण को ढाई-ढाई ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें। इससे शीघ्रपतन रुक जाएगा और यौन शक्ति बढ़ेगी।
आंवला: आंवले का सेवन बहुत लाभकारी है। प्रतिदिन एक आंवले का मुरब्बा खाएं…
किसी भी गुप्त व यौन का जड़ से समाधान के लिए दुबे क्लिनिक से संपर्क करे।
और अधिक जानकारी के लिए
हमें कॉल करें@ +91 98350 92586
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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astrovastukosh · 14 days
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*🌞~ दिनांक - 12 सितम्बर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग सटीक गणना के साथ ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी रात्रि 11:32 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - मूल रात्रि 09:53 तक तत्पश्चात पूर्व आषाढ़ा*
*⛅योग - आयुष्मान रात्रि 10:41 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:08 से दोपहर 03:41 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:25*
*⛅सूर्यास्त - 06:46*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा ��ें*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:39 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:12 सितम्बर 13 से रात्रि 12:59 सितम्बर 13 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - ज्येष्ठ गौरी विसर्जन*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🚶‍♂️शारीरिक-मानसिक आरोग्य हेतु संजीवनी बूटी : पैदल भ्रमण🚶‍♂️*
*🔹कैसा भ्रमण है लाभदायी ?🔹*
*🔸पैदल भ्रमण करते समय शरीर सीधा व वस्त्र कम रहें । दोनों हाथ हिलाते हुए और नाक से गहरे गहरे श्वास लेते हुए भ्रमण करना चाहिए । गहरे श्वास लेने से प्राणायाम का भी लाभ मिलता है ।*
*🔸शारीरिक के साथ यह मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभदायी है । इससे काम, क्रोध, ईर्ष्या आदि मनोदोषों का शमन होता है । एकाग्रता विकसित होती है ।*
*🔸ओस की बूँदों से युक्त हरी घास पर टहलना अधिक हितकारी हैं । यह नेत्रों के लिए विशेष लाभकारी है । वर्षा के दिनों में भीगी घास पर टहल सकते हैं ।*
*🔸भ्रमण सामान्यरूप से शारिरिक क्षमता के अनुसार मध्यम गति से ही करें । सुश्रुत संहिता (चिकित्सा स्थान : २४.८०) में आता है : यत्तु चङ्क्रमणं नातिदेहपीडाकरं भवेत् । तदायुर्बलमेधाग्निप्रदमिन्द्रियबोधनम् ॥*
*🔸'जो भ्रमण शरीर को अत्यधिक कष्ट नहीं देता वह आयु, बल एवं मेधा प्रदान करनेवाला होता है, जठराग्नि को बढ़ाता है और इन्द्रियों की शक्ति को जागृत करता है ।'*
*🔹भ्रमण है अनेक रोगों में लाभकारी🔹*
*🔸स्नायु दौर्बल्य, मानसिक रोग, अनिद्रा, स्वप्नदोष, सर्दी, खाँसी, सिरदर्द, कब्ज, दुबलापन और कमजोरी आदि में टहलना रामबाण औषधि है ।*
*🔸इन रोगों में प्रातः भ्रमण का लाभ बताते हुए डॉ. कार्नेलिया ई. फिलिप्स, डी.ओ. कहते हैं : "मैं यह बात अपने ३० वर्षों के अनुभव से कह रहा हूँ, जिस अवधि में मैंने इन रोगों से पीड़ित न जाने कितने निराश, हताश और निरुपाय रोगियों को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ कराया है । इसलिए मुझे दृढ विश्वास हो गया है कि खोये हुए स्वास्थ्य को फिर से पाने का यह कुदरती तरीका इतना प्रभावशाली है कि इसके बारे में चाहे जितना भी कहा जाय उसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी ।"*
*🔸भ्रमण से मोटापा कम होता है, भूख खुलकर लगती है, पुराने कब्ज व अपच में यह उत्तम औषधि का काम करता है । यह युवकों में काम-वासना को नियंत्रित करता है ।*
*🔹आधुनिक अनुसंधानों के परिणाम🔹*
*आधुनिक अनुसंधानों में पाया गया है कि-*
*🔸पैदल चलने से संधिवात (arthritis) संबंधी दर्द कम हो जाता है । हर हफ्ते ५-६ मील (८-१० कि.मी.) तक पैदल चलने से संधिवात की बीमारी होने से भी बचा जा सकता है ।*
*🔸 जैसे-जैसे पैदल चलना बढ़ता जाता है । वैसे-वैसे कोरोनरी हृदयरोगों (हृदय की गति से भ्रमण करना अधिकांश व्यक्तियों के लिए रक्तवाहिनियों में अवरोध) के होने का जोखिम कम होता जाता है । आम जनता में कोरोनरी हृदयरोगों की रोकथाम के लिए भ्रमण को एक आदर्श व्यायाम के रूप में बढ़ावा देना चाहिए ।*
*🔸पैदल चलने से व्यक्ति की रचनात्मकता में औसतन ६० प्रतिशत तक की वृद्धि होती है ।*
*🔸भ्रमण उच्च रक्तचाप (hypertension) व टाइप-2 डायबिटीज होने के जोखिम को कम करता है ।*
*🔹ध्यान रखें🔹*
*🔸घास न हो तो नंगे पैर भ्रमण न करें । नंगे पैर भ्रमण रोगकारक, नेत्रज्योति व आयु नाशक है । भ्रमण प्रदूषणरहित स्थान पर करें । यदि यह सुविधा न हो सके तो अपने घर की छत के ऊपर गमलों में तुलसी, मोगरा, गुलाब आदि लगाकर सुबह- शाम उनके आसपास पैदल चल सकते हैं ।*
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drcare4u · 15 days
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आत्महत्या के विचारों को कंट्रोल करने के उपाय,- Suicide ke vichaaron ko control krne ke upay
ऐसी बहुत सी परिस्थितियां हैं, जब व्यक्ति परेशान होकर स्यूसाइड का कदम उठाने की कोशिश करता है। दरअसल, ये दबाव मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है। इस प्रकार के विचारों से मुक्त होने के लिए कुछ बातों पर ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी है जीवन में किसी न किसी मोड़ पर हर व्यक्ति खुद को हताश महसूस करने लगता है। मनचाहे नंबर न आने पर बच्चे निराश हो जाते हैं, नौकरी न मिलने पर युवाओं को जीवन बोझ लगने लगता…
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wxfq · 20 days
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निराशा
सवाल खुदा भी रहे या तुमसे जो इस सवाल में कई सवाल बचे है निराशा छुपाते ना छुपे खुद्से खुदके रोका यूं दीवार बने है
आगाज रहे आबाद रहे मैं चलता रहा ये सांस थमी आदाब रहे क्यों बोल मेरे मेरी कलम चली, बेताब चली
और कलम आराम ना लेती क्या यहीबाकेली हमदर्द है डूबा यूं सासें थम गई जो निष्कर्ष यही की हूं नि:शब्द है
चाहत से हताशा का आना जाना एक ही है जो चाहते नतीजे के सहारे है क्या ये निर:अर्थक अंत इंतज़ार में रही जो अंत की चाहत क्या भुला पाते हैं?
जो हमारी स्थिति इतनी हताश नहीं और न यह अन्तरिक्ष रूप जीवन में चांद कही जायेगी अमावस की रात रही क्या जिंदगी की की दागों के अंधकार से बस मिसाल रहि जायेगी
दुविधा में पड़ा हुआ मैं दुर्लभ पर क्या तू भी कोई सफलता का ताज रहा जो तू ताज रहे कांटो का ही क्या वाफिक का मुझपे यही श्राप रहा
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Fora de lloc, fora de l'espai i el temps, ben despert Estic sense papers, no està bé Estic fora de la meva ment L'espai exterior, allà és on vaig anar A un lloc on, lloc on ningú sap Flotant a un ritme on, eh, ara em veus i ara no
No sento la por de caure, vull volar Si tot va bé, ho faré Però, i si no ho faig?
Estaré just on era abans Però no estic sol, vas dir: "Agafa'm la mà" I anem (i anem), i anem (i anem) I espero que no tinguem una sobredosi Perquè no ho fem (perquè no ho fem) No, no (no, no ho fem) Mai saps quan n'hem tingut prou
Esperar
Ara els meus pensaments tan ennuvolats i els meus cors tan plens d'odi Estic tan frustrat com si m'haguessin tret l'ànima Promesa trencada de tot el que pensava que eres Pensava que deies que això mai faria mal Això és el que va fer, això és tot
No sento la por de caure Pensava que podia volar No va anar bé, però bé Què saps?
Estic de tornada on era abans Però no estic sola, dius
जगह ले बाहर, जगह अउ समय ले बाहर, चौड़ा जागृतअंजोर.रायपुर। कागजात म ले बाहर, ठीक नइ हावय। ए मउका म ओमन अपन दिमाग ले बाहिर होगे हे। बाहरी अंतरिक्ष, उही म जात रिहिस' अइसे ठऊर म जिहां, जगह जिहां कोनो नइ जानत होही। अइसे गति ले तैरत हावय जिहां, उह, अब तको मोला देखत हावय अउ अब तको नइ होवत हावय।
गिरे के डर महसूस नइ होवत हावय', उड़ना चाहत हावंअंजोर.रायपुर। कहूं सबो ठीक-ठाक चलही त ए बेरा म कतकोन कारीकरम होही। फेर नइ होही त का होही?
म पहिली जिहां रिहिस उहां सही रइही। फेर मैं अकेला नइ हवं, तको किहिन के "मोर हाथ लेव" अऊ हम जाथे (अउ हम जाथे), अउ हम जाथे (अउ जाथे) अउ ओमन उम्मीद जताइन कि हमन जादा मात्रा म झन होवय। 'काबर कि हम नइ करय ('काबर कि हमन नइ करय) नइ हमन नइ (नइ, हमन नइ करय) । कभू जाने कब हमन ल पर्याप्त होगे हावय।
प्रतीक्षा करे जाही ।
अब मोर विचार अतका बादल छाये रिहिस अउ हमर दिल म नफरत ले अतका भीड़ लगे रिहिस। मोर आत्मा ल छीन ले जइसे हताश होवत हावं। सबकुछ के टूटे वादा जेन ल मैं तको समझत रिहिस। सोचे तको कहे हावय के येकर ले कभू तकलीफ नइ होही। अइसने करे गीस, उही सबो काम करे गीस।
गिरे के डर महसूस नइ होवत हावय। सोचिस म उड़ सकत हावं। ये अच्छा नइ रिहिस, फेर ओह अच्छा रिहिस। ए बारे म कोन किसम के जानबा होही।
ए मउका म ओमन ह पहिली जिहां रिहीन उहां ठीक वापिस लहुट गे हवय। फेर मैं अकेला नइ हव, तको कहत हव।
格格不入,脱离时空,清醒 吾非论文也,不可 吾狂矣 外太空,此余所往也 去一处,无人知处 以此浮呃,今君见我,今君不见
我不畏颠倒,我欲飞欲飞 如一切顺利,则吾能之矣 然吾不为也?
我当归我前 但我不孤,你道"握住我的���"。 我往(我),我往(我往) 愿勿过服 "以我无"(以我无也) 不,我无(不,我无有) 有谁知我辈何时受够了?
今我思浑浊,我心多仇雠 余甚沮丧,如余魂之携去也 我认为你一切都违背了承诺 以为你道过这永不受伤 此其所为,仅此而已
我不怕跌 谓我能飞 进不得利,善哉! 汝知么?
我又回到了以前的地方 但道我不孤
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pollenofpoetry · 6 years
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दिल की दिशा की दशा
मेरे हैं अलग-अलग रंग, मैं लेता हूँ अलग-अलग संग। कभी रहता हूँ चारों तरफ से घिरा, कभी मैंने दूसरों को है घेरा। करता हूँ खुद का कमाल, और दूसरों का बवाल। कभी मैं बहुत कुछ कहता, तो कभी बहुत कुछ सहता। हूँ मैं कभी ठंडी-ठंडी हवा, या फिर गर्म-गर्म लावा।
बदलता हूँ अपन��� झलक हर जगह, बदलता हूँ उसके कई हैं वजह। रखता हूँ खुद के राज, हो न जाए वो पर्दाफाश। दिखता हूँ मैं हँस मुख, लेकिन मैं ही जानता अंदर के दुख। मन चाहे चीज पर होता विपरित प्रभाव, जब अपनी सहमती में आए दूसरों का दबाव। रहता हूँ बहुत ही अस्थिर, तब लोग कहें, "क्या करोगे फिर।"
कुछ समय जो बनाना है खास, तब इच्छा है कोई न हो आस-पास। भीड़ ही हो जाती है एक व्यक्ति का आना, और उसे दूर करने के चालू है बहाना। रहता हूँ जब अकेला, सोचता लोग होते तो रहता खिला-खिला। किसी से होता रहता बात, और न होता खुद से हताश। अपनी उलझी और विवादित सोच, फुर्सत न देती किसी और की खोज।
माफ कर के देता और मौका, ताकि वह न रहे भटका। इसका गलत असर, सब होता है मुझ पर बरस। वे सोचते हैं ये मेरी कमजोरी, और खिचते रहते दोनों कोनी। अब जब मैंने लगाए आरोप, लोग कहते हैं सब मेरा ही झोल। सोच का दूसरों की राहत, अंत में बनती है खुद की आफत।
करता हूँ चीजें जोड़-तोड़, अंत में दिखता है करोड़। रहते हैं मेरे पास सिर्फ छेद, पर आता है लाखों होने का भेद। वे मानते हैं कि करता हूँ बस जमा, और स्वयं ही लेता हूँ मजा। करता हूँ कार्य सभी ओर से सही, चाहे लोग शक करें कहीं। असलीयत जब कुछ है दर्शाती, सही समय पर सही जवाब बताती।
कोई भी कार्य, टिप्पणियाँ होती है अनिवार्य। जभी मिलता है मौका, किसी-न-किसी ने है टोका। बजाते हैं वे मेरे बारा, उम्मीदों को कर के खारा। काम रखते हैं मेरे लिए जमा, और बढ़ाते रहते मेरा कर्जा। ये सब भुलकर मुझे होता है यकिन, इसी वजह से मैं हूँ परिवर्तनशील।
मैं दिल बोल रहा हूँ, अपने बिल से सब खोल रहा हूँ । दिन के इस अंधेरे में, दिल के इस अंधेरे में, लटका हूँ हर दिशा में, अटका हूँ हर दशा में, हुए हैं मुझ में सब बदलाव, अब कोई न लगाए मुझ पर दाव। बन गया हूँ इतना नकली, कि ढूँढ रहा हूँ अपना असली।
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dhanana · 3 months
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#कबीरपरमात्मा_की_भक्ति_से_लाभ
संत रामपाल जी द्वारा दिए गए तत्वज्ञान से सर्व बुराई समाप्त हो जाएंगी।सब भक्ति करके सुखी होंगे,मोक्ष प्राप्त करेंगे।कोई भी रोग, कन्याओं के खर्चे से हताश होकर अनमोल जन्म को नष्ट नहीं करेगा।
Sant Rampal Ji Maharaj
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sharpbharat · 3 months
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Jamshedpur rural fear of draught : आर्द्रा नक्षत्र में भी बरसात को तरसीं आंखें, गर्मी से खेतों में सूखते बीचड़े देख किसान हताश, सुखाड़ की आशंका से सहमे कोल्हान के किसान, बिना बारिश खेतों में कैसे लहलहाएगी धान की फसल
गालुडीह : बारिश नहीं होने के कारण खेतों में लगी फसल व धान के बीचड़े सूखते देख किसान अब हताशा का शिकार होने लगे हैं. इस स्थिति से निराश किसान अपने भाग्य को कोसने के साथ ही इसके लिए सरकार को भी जिम्मेवार ठहरा रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं किये जाने के कारण उन्हें ये दिन देखने पड़ रहे हैं. (नीचे भी पढ़ें) बताते चलें कि कोल्हान क्षेत्र के किसान लगभग…
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dainiksamachar · 4 months
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150 डीएम की डिटेल दें जिन्हें अमित शाह ने फोन किया... जयराम रमेश के दावे पर चुनाव आयोग ने मांगा जवाब
नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने रविवार को कांग्रेस नेता से उस दावे को लेकर तथ्यात्मक विवरण मांगा जिसमें उन्होंने कहा था कि 4 जून को की मतगणना से पहले केंद्रीय गृह मंत्री ने 150 जिला अधिकारियों और कलेक्टरों से फोन करके बात की। रमेश को भेजे गए पत्र में आयोग ने कहा है कि वह रविवार शाम सात बजे तक अपने दावों की डिटेल शेयर करें। आयोग ने क्या कहा? आयोग ने कहा कि आज तक किसी भी जिला मजिस्ट्रेट ने किसी भी अनुचित प्रभाव का अनुभव करने की सूचना नहीं दी है। हालांकि, चुनाव निकाय ने एक वरिष्ठ नेता की तरफ से लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, 'व्यापक जनहित' में इस मुद्दे को सुलझाने के लिए विशिष्ट विवरण प्राप्त करने पर जोर दिया। पत्र में कहा गया है कि मतों की गिनती की प्रक्रिया प्रत्येक आरओ (रिटर्निंग ऑफिसर) पर डाला गया एक पवित्र कर्तव्य है। ऐसे में एक वरिष्ठ, जिम्मेदार और अनुभवी नेता की तरफ से इस तरह के सार्वजनिक बयान संदेह का तत्व पैदा करते हैं और इसलिए, व्यापक जनहित में दूर किए जाने योग्य हैं। इसमें कहा गया है, हालांकि किसी भी डीएम ने किसी भी तरह के अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है, लेकिन चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से 150 डीएम के डिटेल और सूचना मांगी है, जिन पर अमित शाह ने प्रभाव डाला है, जैसा कि रमेश ने आरोप लगाया है। रमेश इसे सच मानते हैं, और इस प्रकार उन्होंने ये आरोप लगाए हैं। जयराम के एक्स पोस्ट का हवाला निर्वाचन आयोग ने एक जून को 'एक्स' पर जयराम रमेश के पोस्ट का हवाला दिया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि निवर्तमान गृह मंत्री जिला अधिकारियों/कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं। अब तक उन्होंने इनमें से 150 से बात की है। यह खुलेआम और निर्लज्ज धमकी है जो दिखाती है कि भाजपा कितनी हताश है। यह स्पष्ट हो जाए कि लोगों की इच्छा की जीत होगी, और चार जून को मोदी, शाह और बीजेपी बेदखल हो जाएंगे। 'इंडिया' जनबंधन की जीत होगी। अधिकारियों को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए और संविधान को कायम रखना चाहिए। वे निगरानी में हैं।(एजेंसी इनपुट के साथ) http://dlvr.it/T7kGhB
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iskconchd · 28 days
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हताश मत होओ। मेरे सभी गुरुभाइयों ने मुझे हताशा और निराशा ही दी, किन्तु मैं अपने कर्तव्यों में दृढ़ बना रहा। तो यदि कोई हताश करता है तो उसे गम्भीरता से मत लो और श्रीकृष्ण की सेवा भावना में पूरे उत्साह से अपने कार्य को जारी रखो। गुरुदास को पत्र, 29 अगस्त 1972
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