बिना सफर बिना मंज़िल का
एक रास्ता होना चाहता हूँ,
कहीं दूर किसी जंगल में
ठहरा दरिया होना चाहता हूँ,
एक ज़िन्दगी होना चाहता हूँ
बिना रिश्तों और रिवाजों की,
दूर आसमां से गिरते
झरने में कहीं खोना चाहता हूँ,
मैं आज 'मैं' होना चाहता हूँ
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तलाश
कभी हादसों की डगर मिले कभी मुश्किलों का सफ़र मिले,
ये चराग़ हैं मेरी राह के मुझे मंज़िलों की तलाश है !!
कोई हो सफ़र मे जो साथ दे मैं रुकूं जहाँ कोई हाथ दे,
मेरी मंज़िलें अभी दूर है मुझे रास्तों की तलाश है !!
जो ख़ुशी गले न लगे कभी उसे हंस के गले से उतार दो,
करें गर्दिशों से वो दोस्ती जिन्हें आसरों की तलाश है !!
कई मोड़ आयेंगे राह में कहीं थक के बैठ न जाऊँ मैं,
मेरी ज़िन्दगी की हक़ीक़तों को नयी हदों की तलाश है !!
मैं उदास रस्ता हूँ शाम का तेरी आहटों की तलाश है,
ये सितारे सब हैं बुझे बुझे मुझे जुगनुओं की तलाश है !!
वो जो एक दरिया था आग का सभी रास्तों से गुज़र गया,
हमें कब से रेत के शहर में नयी बारिशों की तलाश है !!
कोई दर्द हो या हो ख़ुशी कोई ख़्वाब हो या हक़ीक़तें,
जहाँ सच के चेहरे दिखायी दे उन्ही आइनो की तलाश है !!
वो जो बाग़ सारा उजाड दे मुझे ऐसा हार नहीं चाहिये,
मेरे आसुओं को जो गूंथ ले उन्हीं डोरियों की तलाश है !!
यूँ निकल पड़ा हूँ सफ़र पे मैं मुझे मंज़िलों की तलाश है,
नये रास्ते नये आसमाँ नये हौसलों की तलाश है !!
जहाँ बंदिशों की हो हद ख़त्म उसी हसीं सहर की तलाश है,
जहाँ रंग-ओ-ख़ुश्बू का हो मिलन मुझे उस उफ़ुक़ की तलाश है !!
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Tere bin saans na le mere din raat
Khali khali lagte hain laqeeron wale haath
Saath mere chalte chalte raste na modi’n
Nain na jodi kitte nain na jodi’n
Tennu vaasta Khuda da mera dil na todi’n
Nain na jodeen kitte nain na jodi'n
Na kisi apne na paraaye ki tarah
Mere saath rehna mere saaye ki tarah
Laazmi main tere liye
Tu zaroori mere liye
Aansu ye bichhode wale
Palkon pe naa chhodin
Nain na jodi kitte nain na jodi’n
Tennu vaasta Khuda da mera dil na todi’n
Nain na jodeen kitte nain na jodi'n
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ख्वाहिश
ख्वाहिश है किसी दिन,
तुम्हारी गोद मे सिर रख के सोने की...
और तुम्हारी कविताओं की दुनिया में खोने की...
नींद में लगातार तुम्हारीं आवाज कानों में आती रहे...
मैं सोया रहूँ रात भर पर ये बातें मुझे जगाती रहे...
तुम्हें जिया है मैंने हरपल कहानियों में...
कविताओं में हर लेख में...
हर एक ख्वाहिश के साथ...
हर एक तमन्ना, हर एक सपनें के साथ...
जैसा मैं चाहता हूँ, मैंने ठीक वैसी ही...
दुनिया बनायी है, तुम्हारे साथ...
मेरी और तुम्हारी नही, हम दोनों की...
सिर्फ हमारी...
मुझे बेहद पसंद है तुम्हारे करीब जाना...
और ख्याली कल्पनाओं में तुम्हारी कहानियों में खो जाना...
ये रात के वो पहर है...
जिनमें सिर्फ तुम, मुझमें सिर्फ तुम होती हो...
बिना किसी परवाह, बिना किसी बंधन के...
ख्वाबों से लेकर हकीकत तक...
मेरे समीप मेरे करीब...
गुँजते है स्वर तुम्हारें...
वो गीतों वाले, कहानियों वालें...
हमेशा की तरह, तुम्हारीं अनुपस्थिति में भी...
और हमेशा इन्हें सुननें की चाहत...
दिल में अक्सर बनी रहती है...
क्या लौटा सकती हो वो सबकुछ वैसे ही...
रातें बातें और वही वैसे ही खुद को भी...
हमेशा के लिए...
जैसा मैं चाहता था, जैसा मैं चाहता हूँ...
सब कुछ पहले सा...
क्या लौटा सकती हो...
वो बातों का सुकून, वो खुद को तुम...
मेरी ना होकर, मेरी होती थी जब...
क्या लौटा सकती हो...
चाहतें अधूरी ही रहेंगी मैं ये जानता हूँ....
हाँ मैं ये भी जानता हूँ की हमें जलना होगा...
उन सब चीजों, उन सब बातों और उन चाहतों के लिए...
जो हमारें बीच कभी थी ही नही,
फिर भी ये हमें बिना विरोध किये सहना होगा...
करना होगा वो सब जो हमनें कभी सोचा ही नही...
एक दिन जब मैं बिना बतायें कहीं चला जाऊँगा...
और लौटकर आनें की भी कोई उम्मीद ना होगी...
और ना ही कोई आवाज मुझ तक कभी पहुचेंगी...
तब तुम बिल्कुल भी मेरे लिए उदास मत होना...
बल्कि खुश होना की अब हम दोनों को ही...
अब राहत की जिदंगी मिलेगी...
तब ना मुझे तुमसें कोई शिकायत होगी...
और ना ही तुमकों मुझसे शिकायत होगी...
तब तुम आजाद रहना मेरी तरफ से....
ना ही बातों का कोई सिलसिला होगा...
ना ही कोई ताम झाम होगा...
तुम स्वतंत्र रहना...
तब मेरी तरफ से...
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मंज़िल भी उसी की थी
रास्ता भी उसी का था
मैं सिर्फ अकेला था
बाकी सब कारवां भी उसी का था
मेरे साथ चलने की सोच भी उसी की थी
फिर मुझे छोड़ने का फैसला भी उसी का था
मेरी आँखों मे सपना भी उसी का था
अब आंसू का समंदर भी उसी का है
मेरा दिल अब अक्सर सवाल करता है मुझ से
की सब कुछ उसी का था पर
क्या खुदा भी उसी का था
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Zindagi
Kaisa sulook zindagi tu kar rhi hai,
Mujhe paraya tu mujhi se kar rhi,
Jaise ki akhiri si saans chl rahi hai,
Yaadon se teri lipatakar,
Fariyad itni kare,
Yaha waha h tu,
Mujhme rawa h tu...
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