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#नवजात की
best24news · 2 years
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Rewri Crime: नवजात की मौत को लेकर Kosli Hospital में हंगामा
Rewri Crime: नवजात की मौत को लेकर Kosli Hospital में हंगामा
रेवाडी:  कोसली सामान्य अस्पताल(Kosli Hospital)  में डिलीवरी के कुछ समय बाद ही नवजात बच्चे की मौत हो गई। चार बहनो के बाद पैदा हुए भाई की मौत होने से परिवार में मातम छा गया। बच्चे की मौत पर गुस्साए परिजनों ने हंगामा कर दिया। परिजनो ने आरोप लगाए कि अस्पताल स्टाफ ने परिजनों के साथ अभद्रता की। परिजनों और डॉक्टरों की बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें कहा कि यह अस्पताल लोगों को…
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guiasmaternos · 1 year
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प्राथमिक देखभाल: आपके बच्चे के कल्याण की गारंटी
आपके बच्चे की कल्याण सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण देखभाल की खोज करें। यह व्यापक मार्गदर्शिका स्वच्छता, पोषण, नींद और बच्चे के विकास पर मार्गदर्शन प्रदान करती है।
मातृत्व के आश्चर्यमय दुनिया में आपका स्वागत है, जहाँ प्रत्येक दिन नया साहस, प्यार और हां, आपके प्रिय बच्चे की महत्वपूर्ण देखभाल की चरणबद्ध और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। चाहे आप पहली बार की माता हो या एक अनुभवी वेटरन, एक नवजात शिशु की देखभाल एक समझदार ज्ञान और विश्वसनीय मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इस व्यापक मार्गदर्शिका में, हम उन महत्वपूर्ण देखभाल की खोज करेंगे जो आपके बच्चे के…
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helputrust · 6 months
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सभी स्कूलों और कॉलेजों में बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए-श्री नीरज सिंह
आपातकाल की स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट दूसरों की जान बचाने में मददगार है-डॉ. पियाली भट्टाचार्य
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज पर काम कर रहा है-हर्ष वर्धन अग्रवाल
हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं-डॉ रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 07.04.2024 | विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा रामायण पार्क, सेक्टर -25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "बेसिक लाइफ सपोर्ट" कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में डॉ. पियाली भट्टाचार्य, सलाहकार, Lucknow Academy of Pediatrics एवं बाल रोग विशेषज्ञ, एस.जी.पी.जी.आई, Lucknow Academy of Pediatrics से  डॉ निर्मला जोशी, अध्यक्ष, डॉ अमित कुमार रस्तोगी, उपाध्यक्ष तथा डॉ उत्कर्ष बंसल, सचिव ने सेक्टर 25 के निवासियों को हार्ट अटैक आने पर मरीज को दिये जाने वाले प्रारंभिक उपचार का प्रशिक्षण दिया । कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी, श्री नीरज सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही l कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा दीप प्रज्वलन से हुआ |
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि “आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना के दिन मनाया जाता है | इस दिन लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याओं एवं अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है | इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (My Health, My Right)” जिसके तहत आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा बेसिक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट लोगों को नई चिकित्सा तकनीकों के बारे में जागरूक करने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है । ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर नि:शुल्क होम्योपैथी परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर, रक्तदान शिविर, मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर, कैंसर और स्वाइन फ्लू के लिए जागरूकता शिविर और मुफ्त नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें समाज के निर्धन, गरीब और असहाय लोगों की निरंतर मदद की जा रही है |”
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, "आप सभी को विश्व स्वास्थ्य दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जन सेवा के कार्यों में लगा हुआ है | मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल की प्रशंसा करता हूं जो सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों का सदुपयोग करते हुए निरंतर जनहित में कार्य कर रहे हैं | बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी ट्रेनिंग है जो हार्ट अटैक की स्थिति में अस्पताल पहुंचने तक किसी की भी जान बचा सकती है | मेरा मानना है कि बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण को हर किसी को सीखना चाहिए और हर स्कूल और कॉलेज में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए, खासकर युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए | इस अवसर पर श्री नीरज सिंह ने स्वयं भी प्रशिक्षण प्राप्त किया |”
डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि "बेसिक लाइफ सपोर्ट (बी.एल.एस.) चिकित्सकीय देखभाल की ट्रेनिंग है जिसका उपयोग जीवन-घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या चोटों के पीड़ितों के लिए तब तक किया जाता है जब तक कि वह अस्पताल में संपूर्ण चिकित्सकीय देखभाल के लिए ना पहुंच जाये । बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण का उद्देश्य आम लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दम घुटने जैसी आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार देने की सही तकनीक के बारे में जागरूक करना है । यह जीवन बचाने और हृदय, गुर्दे और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। हार्ट अटैक के कारण मृत्यु दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है | इस आधुनिक दुनिया में लोग अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के कारण चिंता, अवसाद, न��ंद की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन के कारण मोटापे से पीड़ित हो गए हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं | ऐसी स्थिति में बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग होना अत्यंत आवश्यक है जिससे हम किसी को जरूरत पड़ने पर मदद कर सकें |” प्रशिक्षकों द्वारा नवजात शिशु से लेकर बड़े बच्चों की सांस की नली में कुछ फस जाने, उनके गले में कुछ अटक जाने की स्थिति में कैसे उनकी जान बचाई जा सकती है, यह भी प्रशिक्षण के माध्यम से बताया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद देते हुए कहा कि, “हम मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह का अत्यधिक आभार प्रकट करते है कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम में से जनहित के लिए समय निकालकर यहां आए तथा हम सबका मार्गदर्शन किया, साथ ही  इस कार्यशाला के कुशल प्रशिक्षकों एवं प्रतिष्ठित चिकित्सकों का भी धन्यवाद है जिनके सहयोग से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आदर्श वाक्य है स्वस्थ लोग, स्वस्थ समाज एवं ट्रस्ट निरंतर इसी दिशा में कार्य कर रहा है |”
कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री नीरज सिंह, प्रशिक्षकों डॉ निर्मला जोशी, डॉ पियाली भट्टाचार्य, डॉ अमित कुमार रस्तोगी एवं डॉ उत्कर्ष बंसल को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया | कार्यशाला की समाप्ति पर सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया | कार्यशाला में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉक्टर संतोष कुमार श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पार्षद श्री भृगुनाथ शुक्ला, सेक्टर 25 के निवासियों तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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dhanu-j-92 · 2 months
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ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
शिशुम् न त्वा जन्यम् वर्धयन्ती माता विभति सचनस्यमाना धनोः अधि प्रवता यासि हर्यन् जिगीषसे पशुरिव अवसृष्टः ।।
अनुवादः हे पूर्ण परमात्मा ! जब आप (शिशुम्) शिशु रूप धारण करते हो अर्थात् नवजात शिशु के रूप में प्रकट होते हो तो (त्वा) आपको कोई (माता) माता (जेन्यम्) जन्म देकर (विभर्ति) पालन पोषण करके (न वर्धयन्ती) बड़ा नहीं करती। अर्थात् पूर्ण परमात्मा का जन्म माता के गर्भ से नहीं होता। (सचनस्यमाना) वास्तव में आप अपनी रचना (धनोः अधि) शब्द शक्ति के द्वारा करते हो तथा (हर्यन्) भक्तों के दुःख हरण हेतु (प्रवता) नीचे के लोकों को मनुष्य की तरह आकर (यासि, प्राप्त करते हो। (पशुरिव) पशु की तरह कर्म बन्धन में बंधे प्राणी को काल से (जिगीषसे) जीतने की इच्छा से आकर (अ सृष्टः) सुरक्षित रचनात्मक विधि अर्थात् शास्त्रविधि अनुसार साधना द्वारा पूर्ण रूप से मुक्त कराते हो।
भावार्थ: हे पूर्ण परमात्मा, जब आप एक शिशु का रूप धारण करते हैं अर्थात् शिशुरूप में जब आप यहां आते हैं, तो आपव जन्म किसी मां के द्वारा नहीं होता अर्थात् पूर्ण परमात्मा कभी भी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता है। वास्तव में, आप अपर्न रचना शब्द शक्ति द्वारा करते हैं, और भक्तों के कष्टों को समा करने के लिए, आप मानव के रूप में आकर निम्न लोकों को प्राप्त होते हैं। आप यहां जीवों को इस नश्वर लोक से मुक्त कराने के उद्देश्य से आते हैं, जो कर्म के बंधन में एक जानवर की तरह, काल द्वारा जकड़े हुए है। आप उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित रचनात्मक विधि अर्थात् पूजा की शास्त्र-आधारित विधि द्वारा मक्त कराते हैं।"
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jyotishgher · 5 months
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शकुन शास्त्र के 12 सूत्र
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घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं।
https://www.jyotishgher.in
1-दूध का शकुन
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सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है।
2-दर्पण का शकुन
हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ होता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श्रृंगार सहित खुद को टूटे दर्पण में देखती है तो भी अपशकुन होता है। तात्पर्य यह है कि दर्पण का टूटना हर दृष्टिकोण से अशुभ ही होता है। इसके लिए यदि दर्पण टूट जाए तो इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकटठा करके बहते जल में डाल देने से संकट टल जाते हैं।
3-पैसे का शकुन
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आज के इस युग में पैसे को भगवान माना जाता है। जेब को खाली रखना अपशकुन मानते हैं। कहा जाता है कि पैसे को अपने कपड़ों की हर जेब में रखना चाहिए। कभी भी पर्स खाली नहीं रखना चाहिए।
4-चाकू का शकुन
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चाकू एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चल सकता। इसकी जरूरत हर छोटे-छोटे कार्य में पड़ती है। इससे जुड़े भी अनेक शकुन-अपशकुन होते हैं। डाइनिंग टेबल पर छुरी-कांटे का क्रास करके रखना अशुभ मानते हैं, इसके कारण घर के सदस्यों में झगड़ा हो जाता है। मेज से चाकू का नीचे गिरना भी अशुभ होता है। नवजात शिशु के तकिए के नीचे चाकू रखना शुभ होता है तथा छोटे बच्चे के गले में छोटा सा चाकू डालना भी अच्छा होता है। इससे बच्चों की बुरी आत्माओं से रक्षा होती है व नींद में बच्चे रोते भी नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको चाकू भेंट करे तो इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक सिक्का अवश्य दें।
5-झाडू का शकुन
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घर के एक कोने में पड़े हुए झाडू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है। इससे भी कई शकुन व अपशकुन जुड़े हैं। दीपावली के त्यौहार पर नया झाडू घर में लाना लक्ष्मी जी के आगमन का शुभ शकुन है। नए घर में गृह प्रवेश से पूर्व नए झाडू का घर में लाना शुभ होता है। झाडू के ऊपर पांव रखना गलत समझा जाता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति घर आई लक्ष्मी को ठुकरा रहा है। कोई छोटा बच्चा अचानक घर में झाडू लगाने लगे तो समझ लीजिए कि घर में कोई अवांछित मेहमान के आने का संकेत है। सूर्यास्त के बाद घर में झाडू लगाना अपशकुन होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है।
6-बाल्टी का शकुन
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सुबह के समय यदि पानी या दूध से भरी बाल्टी दिखाई दे तो शुभ होता है। इससे मन में सोचे कार्य पूरे होते हैं। खाली बाल्टी देखना अपशकुन समझा जाता है, जो बने-बनाए कार्यों को बिगाड़ देता है। रात को खाली बाल्टी को प्रायः उल्टा करके रखना चाहिए एवं घर में एक बाल्टी को अवश्य भरकर रखें, ताकि सुबह उठकर घर के सदस्य उसे देख सकें।
7-लोहे का शकुन
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घर में लोहे का होना शुभ कहा जाता है। लोहे में एक शक्ति होती है, जो बुरी आत्माओं को घर से भगा देती है। पुराने व जंग लगे लोहे को घर में रखना अशुभ है। घर में लोहे का सामान साफ करके रखें।
8-हेयरपिन का शकुन
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हेयरपिन एक बहुत ही मामूली सी चीज है, परंतु इसका प्रभाव बड़ा आश्चर्यजनक होता है। यदि किसी व्यक्ति को राह में कोई हेयरपिन पड़ा मिल जाये तो समझो कि उसे कोई नया मित्र मिलने वाला है। वहीं यदि हेयर पिन खो जाये तो व्यक्ति के नए दुश्मन पैदा होने वाले हैं। हेयरपिन को घर में कहीं लटका दिया जाए तो यह अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
9-काले वस्त्र का शकुन
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काले वस्त्र बहुत अशुभ माने जाते हैं। किसी व्यक्ति के घर से बाहर जाते समय यदि कोई आदमी काले वस्त्र पहने हुए दिखाई दे तो अपशकुन माना जाता है, जिसके बुरे प्रभाव से जाने वाले व्यक्ति की दुर्घटना हो सकती है। अतः ऐसे व्यक्ति को अपना जाना कुछ मिनट के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
10-रुई का शकुन
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रूई का कोई टुकड़ा किसी व्यक्ति के कपड़ों पर चिपका मिले तो यह शुभ शकुन है। यह किसी शुभ समाचार आने का संकेत है या किसी प्रिय व्यक्ति के आने का संकेत है। कहा जाता है कि रूई का यह टुकड़ा व्यक्ति को किसी एक अक्षर के रूप में नजर आता है व यह अक्षर उस व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर होता है, जहां से उस व्यक्ति के लिए शुभ संदेश या पत्र आ रहा है।
11-चाबियों का शकुन
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चाबियों का गुच्छा गृहिणी की संपूर्णता का प्रतीक है। यदि गृहिणी के पास चाबियों का कोई ऐसा गुच्छा है, जिस पर बार-बार साफ करने के बाद भी जंग चढ़ जाए तो यह एक अच्छा शकुन है। इसके फलस्वरूप घर का कोई रिश्तेदार अपनी जायदाद में से आपको कुछ देना चाहता है या आपके नाम से कुछ धन छोड़कर जाना चाहता है। चाबियों को बच्चे के तकिए के नीचे रखना भी अच्छा होता है, इससे बुरे स्वप्नों एवंबुंरी आत्माओं से बच्चे का बचाव होता है।
12-बटन का शकुन
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कभी-कभी कमीज़, कोट या अन्य कोई कपड़े का बटन गलत लग जाए तो अपशकुन होता है, जिसके अनुसार सीधे काम भी उल्टे पड़ जाएंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़े को उतारकर सही बटन लगाने के बाद पहनें। यदि रास्ते चलते आपको कोई बटन पड़ा मिल जाए तो यह आपको किसी नए मित्र से मिलवाएगा।
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sstkabir-0809 · 11 months
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( #MuktiBodh_Part118 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part119
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 232-233
कुछ वर्षों के बाद दुर्वासा के शॉप के कारण द्वारिका में अनहोनी घटनाऐं होने लगी। आपसी झगड़े होने लगे। एक-दूसरे को छोटी-सी बात पर मारने लगे। सारी द्वारिका मेंउपद्रव होने लगे। द्वारिका नगरी के बड़े-सयाने लोग मिलकर श्री कृष्ण जी के पास गए तथा
दुःख बताया कि नगरी में किसी को किसी का बोल अच्छा नहीं लग रहा है। बिना बात के मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। छोटे-बड़े की शर्म नहीं रही है। क्या कारण है तथा यह कैसे शान्त होगा? श्री कृष्ण जी ने बताया कि ऋषि दुर्वासा के शॉप के कारण यह हो रहा है। इसका समाधान सुनो! नगरी के सर्व नर (छोटे नवजात लड़के साहित) यादव प्रभास क्षेत्र में उसी स्थान पर यमुना नदी में स्नान करो जिस स्थान पर कड़ाही का चूर्ण डाला था। शॉप ��े बचने के लिए द्वारिका नगरी के सब बालक, नौजवान तथा वृद्ध स्नान करने गए। स्नान करके बाहर निकलकर एक-दूसरे से गाली-गलौच करने लगे और उस कड़ाही के चूरे से उत्पन्न घास को उखाड़कर एक-दूसरे को मारने लगे। तलवार की तरह घास से सिर कटकर दूर गिरने लगे। कुछ व्यक्ति बचे थे। अन्य सब के सब लड़कर मर गए। उन बचे हुओं को ज्योति निरंजन काल ने स्वयं श्री कृष्ण में प्रवेश करके उस घास से मार डाला। अकेला श्री कृष्ण बचा था। एक वृक्ष के नीचे जाकर लेट गया। एक पैर को दूसरे पैर के घुटने पर रखकर लेट गया। दांये पैर के तलुए (पँजे) में पदम जन्म से लगा था जो चमक रहा था। जिस बालिया नाम के भील शिकारी ने मछली से निकले कड़ाही के कड़े का विष लगाकर तीर बनवाया था। वह शिकारी उसी तीर को लेकर उस स्थान पर शिकार की तलाश में आया जिस वृक्ष के नीचे श्री कृष्ण लेटे थे। वृक्ष की छोटी-छोटी टहनियाँ चारों और नीचे पृथ्वी को छू रही थी। लटक रही थी। उन झुरमुटों में से श्री कृष्ण के पैर का पदम ऐसा लग रहा था जैसे किसी मृग की आँख चमक रही हो। शिकारी बालिया ने आव-देखा
न ताव, उस चमक पर तीर दे मारा। तीर निशाने पर लगा। पैर के तलवे में विषाक्त तीर लगने से श्री कृष्ण की चीख निकली। बालिया समझ गया कि किसी व्यक्ति को तीर लगा है। निकट जाकर देखा तो कोई राजा है। पूछने पर पता चला कि श्री कृष्ण है। अपनी गलती की क्षमा याचना करने लगा कहा कि भगवान! धोखे से तीर लग गया। मैंने आपके पैर के पदम की चमक मृग की आँख जैसी लगी। क्षमा करो। श्री कृष्ण ने कहा कि बालिया तेरा कोई दोष नहीं है, होनी प्रबल होती है। मैंने तेरा बदला चुकाया है। त्रोतायुग में तू कसकंदा का राजा सुग्रीव का भाई बाली था। मैं अयोध्या में रामचन्द्र नाम से राजा दशरथ के घर जन्मा था। उस समय मैंने तेरे को वृक्ष की ओट लेकर धोखा करके लड़ाई में मारा था। अब तू मेरा एक काम कर। द्वारिका में जाकर बता दे कि सर्व यादव दुर्वासा के शॉपवश आपस में लड़कर मर गए हैं। कुछ समय उपरांत द्वारिका की स्त्रियों की भीड़ लग गई। हाहाकार मच गया। पाण्डव श्री कृष्ण के रिश्तेदार थे। वे भी आ गए। श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि आप सर्व गोपियों यानि यादवों की स्त्रियों को अपने पास ले जाना। यहाँ कोई नर यादव नहीं बचा है। आसपास के भील इनकी इज्जत खराब करेंगे। पाण्डवों से कहा कि तुम राज्य अपने पौत्र को देकर हिमालय में जाकर घोर तप करो और अपने युद्ध में किए पापों का नाश करो। अर्जुन ने पूछा भगवान! एक प्रश्न आज मैं आपसे करूँगा। आप सत्य उत्तर देना। आप अंतिम श्वांस गिन रहे हो, झूठ मत बोलना। श्री कृष्ण ने कहा कि प्रश्न कर। अर्जुन बोला! आपने गीता का ज्ञान कुरूक्षेत्र के मैदान में महाभारत युद्ध से पहले सुनाया था। उसमें कहा था कि अर्जुन! युद्ध कर ले। तुम्हें कोई पाप नहीं लगेंगे। तू निमित मात्र बन जा। सब सैनिक मैंने मार रखे हैं। तू युद्ध नहीं करेगा तो भी मैं इन्हें मार दूँगा। जब युद्धिष्ठिर को भयंकर स्वपन आने लगे। आपसे कारण जाना तो आपने बताया था कि युद्ध में किए बंधुघात के पाप के परिणाम स्वरूप कष्ट आया। समाधान यज्ञ करना बताया। उस समय मैं आपसे विवाद नहीं कर सका क्योंकि भाई की जिंदगी का सवाल था। आज फिर आपने वही जख्म हरा कर दिया। इतनी झूठ बोलकर हमारा नाश किसलिए करवाया? कौन-से जन्म का बदला लिया? श्री कृष्ण ने कहा अर्जुन! तुम मेरे अजीज हो! होनहार
बलवान होती है। गीता में क्या कहा, उसका मुझे कोई ज्ञान नहीं। आप मेरी आज्ञा का पालन करो। यह कहकर श्री कृष्ण मर गए। पाँचों पाण्डवों व साथ गए नौकरों ने मिलकर सब यादवों का अंतिम संस्कार किया। कुछ के शव दरिया में प्रवाह कर दिए। श्री कृष्ण ने कहा था कि मेरे शरीर को जलाकर बची हुई अस्थियाँ व राख को एक लकड़ी के संदूक (ठवग) में डालकर दरिया में बहा देना। पाण्डवों ने वैसा ही किया। {वह संदूक समुद्र में चला गया।
फिर उड़ीसा प्रांत के अंदर जगन्नाथ पुरी के पास बहता हुआ चला गया। उड़ीसा के राजा इन्द्रदमन को स्वपन में श्री कृष्ण ने दर्शन देकर कहा कि एक संदूक समुद्र में इस स्थान पर है। उसमें मेरे शरीर की अस्थियाँ तथा राख हैं। उसको निकाल कर उसी किनारे पर उन अस्थियों (हडिड्यों) को जमीन में दबाकर ऊपर एक सुंदर मंदिर बनवा दे। ऐसा किया गया। जो जगन्नाथ नाम से मंदिर प्रसिद्ध है।}
◆ चार पाण्डव पहले चले गए। अर्जुन को गोपियों को लेकर आने को छोड़ गए। अर्जुन के पास वही गांडीव धनुष था जिससे लड़ाई करके महाभारत में जीत प्राप्त की थी। अर्जुन द्वारिका की सर्व स्त्रियों को बैलगाडि़यों में बैठाकर इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के लिए चल पड़ा।रास्ते में भीलों ने अर्जुन को घेर लिया। अर्जुन को पीटा। गोपियों को लूटा। कुछ स्त्रियों को भील उठा ले गए। अर्जुन कुछ नहीं कर सका। धनुष उठा भी नहीं सका। तब अर्जुन ने कहा
था कि कृष्ण नाश करना था। युद्ध में पाप करवाने के लिए तो बल दे दिया। लाखों योद्धा इसी गांडीव धनुष से मार गिराए। कोई मेरे सामने टिकने वाला नहीं था। आज वही अर्जुन है, वही धनुष है। मैं खड़ा-खड़ा काँप रहा हूँ। कृष्ण जालिम था। धोखेबाज था। कबीर परमेश्वर जी हमें समझाते हैं कि यह जुल्म कृष्ण ने नहीं किया, ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) ने किया है। श्री कृष्ण का जीवन देख लो। श्री कृष्ण अपने कुल को मथुरा से लेकर जान
बचाकर द्वारिका आया। द्वारिका में उनकी आँखों के सामने सब यादव कुल नष्ट हो गया। श्री कृष्ण का बेटा मर गया। पोता मर गया। सर���व कुल नष्ट हो गया। स्वयं बेमौत मरा। उसके कुल की स्त्रियों की दुर्गति भीलों ने की। जबरदस्ती उठा ले गए। उनकी इज्जत
खराब की। नरक का जीवन जीने के लिए मजबूर हुई। उसी श्री कृष्ण की पूजा करके जो सुख-शान्ति की आशा करता है। उसमें कितनी बुद्धि है, इस घटना से पता चलता है।
क्रमशः________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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amrndra · 1 year
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जब घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो माँ-बाप के साथ दादा-दादी को भी बड़ी खुशी होती है। दादा बनने पर Welcome and ढेर सारी शुभकामनाएं।
Arjun Singh पुत्र रत्न प्राप्ति की
बधाई भगवान शिव आपके बेटे को अदभुद तीक्ष्ण बुध्दि दे, जिससे आपका पुत्र संसार को आश्चर्य चकित कर दे।
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sharpbharat · 19 hours
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High court rarest decision : तीन जिंदगियां बरबाद हो जातीं...! हाई कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ पॉक्सोएक्ट का मामला किया रद्द, जानें पूरा मामला
नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 वर्षीय युवक एवं एक किशोरी के बीच प्रेम संबंध को लेकर पॉक्सो एक्ट के तहत दायर मामले में आपराधिक कार्यवाही को बंद करने का आदेश दिया है. कोर्ट के न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने कहा कि यदि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी रद्द नहीं की गई तो उन दोनों और उनके नवजात बच्चे, तीनों का जीवन बरबाद हो जायेगा. न्यायमूर्ति दयाल ने कहा कि वह असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर मानवीय आधार पर…
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navinsamachar · 2 days
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दर्दनाक और शर्मसार करने वाली घटना : बच्ची को पैदा होते ही शौचालय में फ्लश कर दिया...
नवीन समाचार, देहरादून, 23 सितंबर 2024 (Painful and Shameful-Baby-Girl Flushed in Toilet)। उत्तराखंड की राजधानी से एक बेहद दर्दनाक और शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। दून अस्पताल की इमरजेंसी के पीछे स्थित भवन के शौचालय की सीट में एक नवजात बच्ची का शव मिला, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि कलयुगी मां ने बच्ची का नाजायज तरीके से जन्म देने के बाद शौचालय की शीट में…
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bikanerlive · 2 days
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डबल्यूएचओ द्वारा वीपीडी व एईएफआई सर्विलेंस तथा नियमित टीकाकरण गुणवत्ता को लेकर आमुखीकरण कार्यशाला आयोजित
बीकानेर, 23 सितंबर। पोलियो, मीजल्स, रुबेला, डिप्थीरिया, परट्यूसिस और नवजात टिटनेस जैसी गंभीर बीमारियों को लेकर संवेदनशीलता बढ़ाने और त्वरित कार्यवाही करने के उद्देश्य से डब्ल्यूएचओ बीकानेर व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में जिला स्तरीय कार्यशाला स्थानीय होटल सभागार में आयोजित हुई। कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश कुमार गुप्ता व आरसीएचओ डॉ मुकेश जनागल की…
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narmadanchal · 6 days
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(अपडेट) राष्ट्रपति मुर्मू ने उज्‍जैन में देखी स्वच्छता ही सेवा अभियान की प्रदर्शनी, सफाईकर्मियों से संवाद
– भगवान महाकालेश्वर को अर्पित किये गये फूलों से बनाई सामग्री की प्रशंसा की भोपाल, 19 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मप्र के दो दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को उज्जैन के ग्राम ढेंडिया में रुद्राक्ष होटल में स्वच्छता ही सेवा-2024 अभियान अन्तर्गत लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने अनुपयोगी कपड़ों से नवजात बच्चों के लिए बनाई गई दुलार किट, नारियल के अपशिष्ट…
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guiasmaternos · 1 year
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एक शांत रात: बच्चे की नींद की रणनीतियाँ
शांत सांस की हलकी आवाज़, बच्चे की नींद में आराम से सुते चेहरा… बच्चे की नींद। एक बड़ी खुशी और मातृत्व के भी सबसे बड़े चुनौतियों में से एक। अगर आप पहली बार मां बनी हैं या पहले से गुजर चुकी हैं, तो आपको पता है कि बच्चे की नींद एक जटिल परिदृश्य हो सकता है। अपने छोटे को कैसे मदद कर सकते हैं कि वह अच्छी तरह से सोता है और सभी को शांतिपूर्ण रातें मिल सकें? इस पूरी गाइड में, हम स्वास्थ्यपूर्ण नींद की…
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rightnewshindi · 21 days
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नर्सिंग होम में डॉक्टर के गलत ऑपरेशन से गई महिला और बच्ची की जान, संचालक हुआ फरार
Bihar News: बक्सर जिले के एक नर्सिंग होम में गलत ऑपरेशन के कारण पहले एक नवजात बच्ची की मौत हो गई. फिर मंगलवार को मां की भी मौत हो गई. मौत से आहत परिजन शव को लेकर डुमरांव थाने पहुंचे और कार्रवाई की गुहार लगाई. यूपी के बलिया थाना क्षेत्र के मझपुर गांव निवासी मंटू पासवान की 21 वर्षीय पत्नी प्रीति कुमारी गर्भवती थी. वह अपने मायके सिमरी थाना क्षेत्र के मझवारी गांव आई हुई थी. परिजनों ने बताया कि उसे…
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realtimesmedia · 24 days
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बिलासपुर में टीकाकरण के बाद दो नवजात शिशुओं की मौत, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र के पटै���ा कोरीपारा में टीकाकरण के बाद दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। दो दिन पहले इन बच्चों को बीसीजी और पेंटा वन का टीका लगाया गया था। इस दौरान कुल 7 बच्चों का टीकाकरण किया गया था, जिनमें से शनिवार को दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि अन्य 5 बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया है। स्वास्थ्य विभाग में मचा…
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manjeetsworld · 29 days
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जानिए श्री कृष्ण जी के जीवन से जुड़ी अनसुनी सच्चाई | SA News Chhattisgarh
लोकनायक के रूप में प्रतिष्ठित श्री कृष्ण जिनकी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में खासी लोकप्रियता है उनके विषय मे आज वे जानकारियां लेकर आये हैं जो अब तक न आपने सुनी और न पढ़ी होंगी। जानें 16 कलाओं के स्वामी श्री कृष्ण की लीलाओं का विषय में अद्भुत जानकारियां।
श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ?
कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में, मथुरा के कारागार में हुआ था। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व के आसपास आधी रात को हुआ था। उस रात चंद्रमा का आठवां चरण था, जिसे अष्टमी तिथि के रूप में जाना जाता है। जन्माष्टमी का आयोजन इस दिन भगवान कृष्ण के जन्म के जश्न के रूप में भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) महीने के अंधेरे पखवाड़े की अष्टमी के दिन किया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
भगवान कृष्ण का जन्म कारावास में हुआ, देवता होने के कारण उनमें प्रबल शक्ति थी। राक्षस कंस को ये आकाशवाणी के माध्यम से ज्ञात हो चुका था कि देवकी की आठवीं सन्तान उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। इस कारण अनेको नवजात बच्चों की हत्या कंस ने कराई। किन्तु जिसका विनाश निश्चित है उसे नहीं रोका जा सकता। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और उसी रात उनके पिता वासुदेव ने उन्हें यशोदा के पास पहुंचाया। श्रीकृष्ण का लालन पालन माता यशोदा ने किया जबकि उनकी जन्मदात्री देवकी थीं। भक्तों के रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण का अवतार लिया। जगत की रीत है कोई ऐतिहासिक कार्य होता है तो वे प्रतिवर्ष उसे महोत्सव रूप में मनाने लगते हैं। कृष्णजन्माष्टमी का अर्थ है आज ही के दिन कृष्ण जी का जन्म हुआ किन्तु उसे दोबारा मनाने का कोई महत्व धर्मग्रन्थों में नहीं बताया गया है। आइए इस जन्माष्टमी जानें
संक्षेप में दृष्टिपात करने पर हम पाते हैं कि कृष्ण जी, देवकी-वासुदेव की आठवीं सन्तान थे। चूंकि उस समय देवकी और वासुदेव, राक्षस प्रवृत्ति के राजा कंस के कारावास में थे अतः कृष्ण जी को वासुदेव जी उसी रात यशोदा के पास छोड़कर आये। इस प्रकार कृष्ण जी का लालन-पालन यशोदा और नन्द जी की देखरेख में हुआ।
भगवान कृष्ण का अधिकांश जीवन राक्षसों से लड़ने और प्रजा की रक्षा करने में बीता। श्री कृष्ण आज जितने पूजनीय हैं उतने उस समय नहीं थे। उन्हें मारने की साज़िशों के तहत अनेको राक्षस उनके बाल्यकाल से ही भेजे जाने लगे थे। सुकून और सुख से इतर जीवन में अनियमितता थी। अंत मे श्री कृष्ण जी ने रहने के लिए द्वारका नगरी चुनी जहां एक ही द्वार था। दुर्वासा ऋषि के श्रापवश 56 करोड़ यादव आपस में लड़कर कटकर मर गए। और उसी श्रापवश त्रेतायुग की बाली वाली आत्मा जो द्वापरयुग में शिकारी थी उसके तीर मारने से श्री कृष्ण की मृत्यु हो गई। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जीवन में बचते और बचाते रहे किन्तु सुकून से नहीं रह पाए अंततः श्रापवश मृत्यु को प्राप्त हुए।
हिंदू धर्म में लोग मुख्यतः 3 पुरुषों/देवों की भक्ति करते है। जो हैं रजगुण प्रधान भगवान ब्रह्मा, सतगुण प्रधान भगवान विष्णु, तमगुण प्रधान भगवान शिव। भगवान श्री कृष्ण को भगवान श्री विष्णु जी का ही आठवां अवतार कहा जाता है। श्री कृष्ण जी भगवान का अवतार होने के वजह से जन्म से ही लीला करने लगे थे। भगवान श्री कृष्ण का जीवन चरित्र देखें विष्णु जी के अवतार होने के कारण चमत्कारी शक्तियों से युक्त थे। लीला और चमत्कार की वजह से लोग उन्हें जानने लगे और अपना ईष्ट समझकर उनकी पूजा करने लगे। गीता के अध्याय 7 के श्लोक 14 और 15 में त्रिगुण साधना व्यर्थ बताई गई और इसे करने वाले मनुष्य नीच, मूढ़ ��र दूषित कर्म करने वाले बताए गए हैं।
इस जन्माष्टमी आइए जानें कि भगवान कृष्ण की भक्ति कैसी करना चाहिए? पूर्ण परमात्मा कौन है? कृष्ण जी जो कि त्रिदेवों में से एक विष्णु जी के अवतार हैं, इनकी भक्ति करने से न तो पाप कटेंगे और न ही मुक्ति हो सकती है। स्वयं कृष्ण जी भी अपने कर्मो का फल भोगने के लिए बाध्य हैं। त्रेतायुग में विष्णु जी ने श्री राम के रूप में सुग्रीव के भाई बाली को पेड़ की ओट से मारा था। द्वापरयुग में वही बाली वाली आत्मा ने शिकारी रूप में कृष्ण जी को विषाक्त तीर मारा। कर्मफल तो ये देवता अपने भी नहीं समाप्त कर पाते तो हमारे कैसे करेंगे? यदि आप सर्व पापों से मुक्ति चाहते हैं तो वेदों में वर्णित साधना करनी होगी, पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेनी होगी। क्योंकि वेदों में वर्णित है कि पूर्ण परमात्मा साधक के सभी पापों को नष्ट करता है (यजुर्वेद, अध्याय 8, मन्त्र 13)।
कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पर जानिए वास्तविक में गीता ज्ञानदाता कौन?
हमें सदा से ही बताया जा रहा है कि गीता का ज्ञान देने वाला भगवान श्रीकृष्ण है परंतु वास्तव में गीता का ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने नहीं बल्कि उनके पिता ब्रह्म ने दिया है, इसे ही ज्योतिनिरंजन या क्षर पुरुष भी कहते हैं। अभी तक जिन्होंने गीता का अर्थ निकाला है उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को ही गीता का ज्ञान दाता कहा है परंतु गीता जी में ही गीता ज्ञान दाता ने अपना परिचय दिया और कहा है कि मैं काल ब्रह्म हूं।
इसका प्रमाण गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 और 47 में है। जब कृष्ण ने अपना विराट रूप दिखाया तब अर्जुन ने डर से कांपते हुए पूछा भगवान आप कौ�� हैं। तब कृष्ण जी ने गीता अध्याय 11 के श्लोक 32 में कहा कि “अर्जुन! मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।” गीता अध्याय 11 के श्लोक 46 में कहा है कि “हे हजार भुजाओं वाले आप अपने चतुर्भुज रूप में दर्शन दीजिए।” इस पर गीता अध्याय 11 के श्लोक 47 में कृष्ण रूप में कालब्रह्म ने कहा कि:
अर्जुन मैंने प्रसन्न होकर तेरी दिव्य दृष्टि खोलकर यह विराट रूप तुझे दिखाया है जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने भी नहीं देखा। अधिक जानकारी के लिए visit करें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube channel
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amrndra · 1 year
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जब घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो माँ-बाप के साथ दादा-दादी को भी बड़ी खुशी होती है। दादा बनने पर Welcome and ढेर सारी शुभकामनाएं। Arjun Singh पुत्र रत्न प्राप्ति की बधाई भगवान शिव आपके बेटे को अदभुद तीक्ष्ण बुध्दि दे, जिससे आपके पुत्र संसार को आश्चर्य चकित कर दे।
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