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#हाइपरटेंशन
sachinbiher · 2 years
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रक्तचाप क्या है || रक्तचाप का नियंत्रण कैसे करें।
रक्तचाप क्या है रक्तचाप शरीर के रक्त के दबाव को निर्दिष्ट करने वाला एक माप है। यह दबाव दो अंकों के रूप में मापा जाता है। उच्च रक्तचाप एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या होती है जो बीमारी या मृत्यु की एक प्रमुख वजह होती है। उच्च रक्तचाप अक्सर किसी अन्य समस्या का एक लक्षण होता है जैसे अस्थमा, मधुमेह और अन्य रोग। उच्च रक्तचाप के कुछ सामान्य लक्षण हैं जिनमें शामिल हैं: तनाव, चक्कर आना, सिरदर्द, निंद ना आना,…
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👨‍⚕️उच्च रक्तचाप आपके गुर्दे को कैसे प्रभावित करता है
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उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन गुर्दे के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यहाँ बताया गया है कि कैसे:
ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी: उच्च रक्तचाप गुर्दे में ऑक्सीजन की आपूर्ति को सीमित कर सकता है, जिससे गुर्दे की कार्यक्षमता और समग्र स्वास्थ्य में कमी आ सकती है।
रक्त को छानने में कठिनाई: गुर्दे रक्त से अपशिष्ट को छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। उच्च रक्तचाप इस कार्य को और अधिक कठिन बना देता है, जिससे गुर्दे पर दबाव पड़ता है और रक्त को प्रभावी ढंग से साफ करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
गुर्दे के कार्य में कमी: लंबे समय तक उच्च रक्तचाप गुर्दे के कार्य में कमी ला सकता है, जिससे गुर्दे की अपने आवश्यक कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है और संभावित रूप से गुर्दे की बीमारी हो सकती है।
रक्त वाहिकाओं को नुकसान: उच्च रक्तचाप गुर्दे में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जो गुर्दे के कार्य को और भी कमज़ोर कर सकता है और गुर्दे की बीमारी की प्रगति में योगदान दे सकता है।
व्यक्तिगत सलाह और अधिक जानकारी के लिए, सुकून हार्ट केयर में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) मदद के लिए उपलब्ध हैं। उनसे 6200784486 पर संपर्क करें या drfarhancardiologist.com पर जाएं।
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bikanerlive · 3 months
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असंयमित दिनचर्या के कारण होती हैं हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएंचालीस दिवसीय बीपी जांच एवं सलाह शिविर सम्पन्न
बीकानेर, 28 जून। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग, इंडियन सोसायटी ऑफ हाइपरटेंशन, इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी और हैल्थ रिसर्च सेंटर के संयुक्त तत्वावधान् में चालीस दिनों तक चले निःशुल्क ब्लड प्रेशर जांच तथा सलाह शिविर का शुक्रवार को समापन हुआ। इस दौरान लगभग सात हजार लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। अंतिम दिन महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में शिविर आयोजित हुआ। इसमें सौ से अधिक लोगों के ब्लड…
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drhimanshugupta · 3 months
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90% स्ट्रोक को रोका जा सकता है अगर उसके जोखिम कारकों को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए।
इन कारकों में प्रमुख रूप से आहार, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल, शारीरिक निष्क्रियता, डायबिटीज, शराब और धूम्रपान, अवसाद और तनाव शामिल हैं। स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं, जिससे हृदय और मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएँ स्वस्थ रहती हैं। शराब और धूम्रपान से बचाव और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है।
यह आदतें मिलकर स्ट्रोक के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।
परामर्श लें:- डॉ. हिमांशु गुप्ता DNB (Neurosurgery) माइक्रोस्कोपिक एंड इंडोस्कोपिक ब्रेन एंड स्पाइन न्यूरोसर्जन जीवन रेखा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जयपुर
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें- +91- 96500 52767
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विश्व हाइपरटेंशन दिवस
हाइपरटेंशन से बचने के उपाए
- हेल्दी डाइट लें - कम नमक खाएं - धूम्रपान बंद करें - फिजिकल एक्टीविटी
Dr Rahul Mathur best hypertension treatment in jaipur
best general physician in jaipur
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Swasthya-1330, Kissan Marg, Barkat Nagar, Tonk Phatak, Jaipur, Rajasthan
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Mon to Sat | 07:30 PM to 09:30 PM
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raghavsharma00 · 5 months
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What is the meaning of Hypertension in Hindi?
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आज हम ब्लॉग पर एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे - हाइपरटेंशन (Hypertension) का अर्थ। यह शब्द हमें अक्सर सुनने को मिलता है, लेकिन क्या यह वास्तव में है? हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप, जो एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इसे विस्तार से समझेंगे और यह जानेंगे कि इसके कारण, लक्षण और उपचार क्या हो सकते हैं। तो जुड़िए हमारे साथ और बढ़ाइए अपनी स्वास्थ्य संज्ञान!
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felixhealthservice · 6 months
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ग्लूकोमा रोग (Glaucoma Disease In Hindi) - लक्षण, कारण और उपचार
हमारे शरीर के सबसे खास और नाजुक अंगों में से एक होती हैं आंखें। अगर हम इनका ख्‍याल नहीं रखें, तो यह छोटी-सी परेशानी बड़ी तकलीफ में बदल सकती है। लेकिन बहुत कम लोगों को अपनी आंखों की सेहत के प्रति ध्यान देने की जरूरत का एहसास होता है। इसीलिए, बहुत से लोग अपनी आंखों की सेहत के बारे में सचेत नहीं होते हैं, और इस अनसुचित ध्यान के कारण, 40 साल की उम्र के बाद कई लोग आंखों की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें से काला मोतियाबिंद (कैटरैक्ट) भी एक है���
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एक अनुमान के अनुसार, भारत में 40 साल से अधिक आयु के लगभग 1 करोड़ या उससे अधिक लोग काले मोतियाबिंद से पीड़ित होते हैं। अगर उन्हें सही समय पर उपचार नहीं मिला तो उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाती है। इसके अलावा, लगभग तीन करोड़ लोगों को प्राथमिक (क्रॉनिक) ओपन एंगल ग्लूकोमा होता है या होने का खतरा है(glaucoma disease in hindi)।
इस समस्या से बचने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी आंखों का नियमित रूप से जांच कराएं, सही उपचार कराएं, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं।क्या आप आपके नजदीकी में हॉस्पिटल में ग्लूकोमा की जाँच चाहते है , फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे ऑप्थॉलॉजी टीम के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
ग्लूकोमा या मोतियाबिंद क्या होता है(Glaucoma Kya Hota Hai)?
आंखें, हमारे लिए कुदरत का तोहफा मानी जाती हैं, जिनकी मदद से हम दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि समय के साथ आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि कम उम्र के लोग भी रोशनी की कमजोरी, कम दिखाई देने के शिकार हो रहे हैं जिस वजह से उन्हें चश्मे की जरूरत हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में आंखों से संबंधित कई बीमारियों को भी बढ़ते देखा जा रहा है, ग्लूकोमा (glaucoma) उनमें से एक है। ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद (black cataract) को 'दृष्टि चोर sight thief' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश समय तक इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते और धीरे-धीरे दिखना बंद हो जाता है।
काला मोतिया और सफेद मोतिया दोनों में ही दृष्टि धीरे-धीरे कम होती है, लेकिन दोनों में एक अंतर है, सफेद मोतिया में ऑपरेशन के बाद दृष्टि वापस आ जाती है, लेकिन काला मोतिया के कारण जो नजर जाती है, वह लौटती नहीं है। इसका बड़ा कारण है काला मोतिया में आंखों की भीतरी नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं यानी जो नसें आंखों को दिमाग से जोड़ती हैं, जिससे इंसान देख पाता है, वे पूरी तरह खराब हो जाती हैं। हर साल 12 मार��च को दुनियाभर में विश्व ग्लूकोमा दिवस World Glaucoma Day मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके।ग्लूकोमा की कई श्रेणियां होती हैं। पहली श्रेणी को प्राइमरी ओपन एंगल या क्रोनिक ग्लूकोमा कहते हैं, दूसरी श्रेणी क्लोज्ड एंगल या एक्यूट ग्लूकोमा और तीसरी श्रेणी कानजेनियल या सेकेंडरी ग्लूकोमा होती है।
प्रारंभिक अवस्था में ग्लूकोमा सामान्य तौर पर कोई गौर करने लायक लक्षण नहीं प्रकट करता। क्रोनिक ग्लूकोमा इतनी धीमी गति से विकसित होता है की कुछ पता ही नहीं चलता। ऐसे में आपको समय-समय पर अपनी आंखों की जांच कराते रहना चाहिए, ताकि लक्षणों का पता लगते ही इससे बचा जा सके। एक्यूट ग्लूकोमा की स्थिति जो की इंट्रोक्युलर प्रेशर (आंखों के अंदर दबाव) में वृद्धि की वजह से आती है। इसके लक्षण यह है(Glaucoma Symptoms In Hindi), जैसे आंखों में अंध क्षेत्रों का एहसास, प्रकाश के चारों तरफ इंद्रधनुषी रंगों का प्रभामंडल नज़र आना, आंखों में तेज दर्द, चेहरे में दर्द, लाल आंखे, रोशनी के चारों तरफ प्रभामंडल के साथ धुंधली दृष्टि और मतली आना। जिन लोगों को ग्लूकोमा होने का अधिक खतरा रहता है उनमे यदि किसी के परिवार में ग्लूकोमा रहा है, मधुमेह की पृष्ठभूमि, ऊंचे माइनस या प्लस पावर का चश्मा पहनने वाले या हाइपरटेंशन से पीड़ित लोग।
आंखें ईश्वर का वरदान हैं, इन्हीं की मदद से हम दुनिया के खूबसूरत नजारे ले पाते हैं। हालांकि दुर्भाग्यवश भारत में अनुमानित 4.95 मिलियन (49.5 लाख) से अधिक लोग अंधेपन का शिकार हैं, इनमें बच्चे भी शामिल हैं। दिनचर्या-आहार में गड़बड़ी के कारण समय के साथ इसका खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को आंखों की गंभीरता से देखभाल करनी चाहिए। इसके लिए पौष्टिक आहार का सेवन, आंखों को चोट से बचाने के साथ दिनचर्या में कुछ बदलाव भी आवश्यक हैं। अगर आपको भी इस तरह की दिक्कतें हो रही हैं तो सावधान हो जाइए।(Glaucoma Symptoms In Hindi) धीरे-धीरे आपकी दृष्टि में हर जगह धब्बे दिखाई देने लगते हैं। चीजों को देखने में कठिनाई होती है, अधिक जोर लगाने की जरूरत हो सकती है। अक्सर सिरदर्द- आंखों में तेज दर्द रहना। दर्द के साथ मतली या उल्टी जैसा लगना।
धुंधली दृष्टि। रोशनी के चारों रंगीन छल्ले नजर आना। आंखों का अक्सर लाल रहना लक्षण है। दुनियाभर में बढ़ती आंखों की समस्या और अंधेपन का एक कारण ग्लूकोमा को माना जाता है। ग्लूकोमा (glaucoma in hindi), आंखों की बीमारियों का एक समूह है जो ऑप्टिक नर्व नामक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाकर दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकती है।
ग्लूकोमा से बचने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। जैसे कि आंखों में कोई भी ड्रॉप डालने से पहले अपने हाथों में अच्छी तरह धो लें। दवाई को ठंडी और ड्राई जगह पर रखें। एक बार में एक ही ड्रॉप डालें और दो दवाइयों के बीच में आधा घंटे का गैप जरूर करें। अगर आप अपने आई स्पेशलिस्ट से लगातार मिलते रहते हैं और समय से दवाइयां लेते हैं , तो आप अपने ग्लूकोमा को समय से कंट्रोल करके एक नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं।विश्व ग्लूकोमा दिवस World Glaucoma Day जागरूकता के लिए मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके |
क्यों होता है काला मोतिया Why Does Glaucoma Occur ?
काला मोतिया होने का सबसे बड़ा कारण (Causes of Glaucoma In Hindi ) है आंखों का दबाव बढ़ना। जिस तरह रक्तचाप बढ़ने से शरीर को नुकसान होता है, उसी तरह दबाव बढ़ने से आंखों को भी नुकसान होता है। इसे समय रहते नियंत्रित करना जरूरी है। दबाव के कारण आंखों के पीछे की नसें सूखने लगती हैं और उनके कार्य करने की क्षमता खत्म हो जाती है। एक बार इन नसों के नष्ट होने के बाद उसे वापस नहीं लाया जा सकता। ग्लूकोमा आंखों में होने वाली बीमारी है जो ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। ऑप्टिक नर्व्स आपकी आंख से मस्तिष्क तक दृश्यों की जानकारी भेजती हैं। आंख में किसी कारण से उच्च दबाव की स्थिति इन तंत्रिकाओं को क्षति पहुंचाने वाली हो सकती है। ये ग्लूकोमा का कारण बन सकती है। ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन वृद्ध लोगों ��ें यह अधिक आम है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अंधेपन के लिए इसे प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। अगर आप नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहते हैं तो आंखों पर पड़ने वाले दबाव का पता लगाने और समय रहते ग्लूकोमा का निदान करने में मदद मिल सकती है।
सफेद मोतिया व काला मोतिया में अंतर (Difference Between Cataract and Glaucoma Disease In Hindi)
दोनों में काफी अंतर है। काला मोतिया (ग्लूकोमा) में यदि रोशनी चली जाए तो वह फिर वापस नहीं आ सकती। इसका कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है, जबकि सफेद मोतिया (मोतियाबिंद) में रोशनी वापस आ सकती है। इसका आसान सा इलाज मौजूद है। यह मर्ज उम्र बढ़ने के साथ होता है। 60 वर्ष के बाद अक्सर लोगों में होता है।
ग्लूकोमा कितने प्रकार के होते है (Types Of Glaucoma In Hindi)
ओपन-एंगल (क्रोनिक) ग्लूकोमा (Open-angle (chronic) glaucoma):- नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार यह एक सबसे आम प्रकार का ग्लूकोमा है जिससे ज्यादातर लोग प्रभावित होते हैं। यह समस्या का विषय इसलिए भी है क्योंकि इसमें आंखों की रोशनी धीमे-धीमे कम होने के अलावा कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलता। ऐसे में आंखों की रोशनी कम होने के पीछे के कारण का पता लगाना मुश्किल हो जाता है हालांकि चिकित्सा परामर्श लेने के बाद इस चीज का पता लगाया जा सकता है।
एक्यूट एंगल क्लोजर ग्लूकोमा acute angle closure glaucoma :- यह एक इमरजेंसी सिचुएशन है। जिसमें aqueous humor fluid अचानक रुक जाता है। जिसके बाद आंखों में तेज दर्द की समस्या होती है। इसमें आंखों के सामने धुंधलापन सबसे आम लक्षण हैं ऐसे में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर फौरन डॉक्टर के पास जाना सबसे बेहतर विकल्प है। यदि वक्त पर इसका पता लग जाए तो इसका इलाज सर्जरी के माध्यम से संभव होता है।
नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा (normal tension glaucoma) :- ग्लूकोमा क्या होता है ?(Glaucoma kya hota hai )कुछ मामलों में बिना दबाव के ऑप्टिक तंत्रिका पर नुकसान पहुंच जाता है। इस प्रकार के पीछे का कारण क्या है यह अभी तक पता नहीं चल पाया है हालांकि अत्याधिक संवेदनशीलता या आपके ऑप्टिक तंत्रिका में रक्त के प्रभाव में कमी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन के सामने आ सकता है।
सेकेंडरी ग्लूकोमा (secondary glaucoma) :- ग्लूकोमा का यह प्रकार अक्सर आंखों की स्थिति यह किसी अन्य चोट के कारण हो सकता है। मोतियाबिंद आंखों में ट्यूमर का दुष्प्रभाव भी ग्लूकोमा के इस प्रकार का कारण बन सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं भी इस प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बन सकती हैं।  
जन्मजात ग्लूकोमा (congenital glaucoma) :- जैसे कि इसके नाम से पता चलता है कि यह जन्म के साथ ही खो जाता है। यह शिशु की आंखों में दोष के कारण होता है। जो सामान्य द्रव निकासी को धीमा कर देता है। आमतौर पर इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। जिसमें आंखों से पानी आना, ज्यादा रोशनी ना बर्दाश्त कर पाना सबसे आम लक्षण है।
ग्लूकोमा के लक्षण क्या होते हैं (Glaucoma Symptoms In Hindi) :
ग्लूकोमा के लक्षण रोग की स्थिति और इसके प्रकारों पर निर्भर करती है। शुरुआती चरणों में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर समय के साथ ये कम दिखाई देने या अंधेपन का कारण बन सकती है। इसके अलावा ग्लूकोमा बढ़ने के कारण आपको अक्सर सिरदर्द होने, आंखों में तेज दर्द, मतली या उल्टी, धुंधला दिखाई देने, आंखों के लाल होने की समस्या हो सकती है। ग्लूकोमा वाले रोगियों में जिस लक्षण को सबसे प्रमुखता से देखा जाता है वह है किसी बल्ब या रोशनी की तरफ देखने पर इंद्रधनुषी घेरा दिखाई देना। अगर आपको भी कुछ समय से बल्ब देखते समय उसके आसपास किसी तरह का घेरा दिखाई देता है तो इसे ग्लूकोमा का संकेत माना जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को इसके जोखिमों को लेकर अलर्ट रहने की आवश्यकता होती है।आइये जानते है ग्लूकोमा के लक्षण व ग्लूकोमा क्या होता है (Glaucoma kya hota hai)? 
रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुष दिखने लगता है।
धीरे-धीरे देखने में भी परेशानी बढ़ने लगती है।
दबाव बढ़ने पर आंखों के चारों तरफ और सिर में दर्द महसूस होता है।
अक्सर मरीज जब डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो पता चलता है कि नजर जा चुकी होती है।
यदि कभी आंखों में बहुत तेज दर्द महसूस होता है तो उसका मतलब है कि आंखों पर प्रेशर अचानक काफी बढ़ गया है।
फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपके परिवार को सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे ऑप्थॉलॉजी टीम के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
ग्लूकोमा से बचने के उपाय (Glaucoma Treatment In Hindi) :
 घर में अगर किसी को ग्लूकोमा है तो बच्चे को होने की ज्यादा संभावना होती है क्योंकि यह एक आनुवांशिक बीमारी है। ऐसे में बच्चे की आंखों की जांच करवा लीजिए।
आंखों की एलर्जी, अस्थमा, चर्म रोग या किसी अन्य रोग के लिए स्टेरॉइड दवाओं का प्रयोग करने से आंखों में दिक्कत आ जाती है। ऐसी दवाईयों के सेवन से बचे।
आंखों में दर्द हो या आंखें लाल हो जाएं तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा का प्रयोग करें।
खेलने के दौरान (टेनिस या क्रिकेट बॉल से) अगर आंखों में चोट लग जाए तो इसका इलाज कराएं।
आंखों में कभी किसी प्रकार की कोई सर्जरी हुई हो या कोई घाव हो गया हो तो उसकी जांच समय-समय पर करवाते रहें, क्योंकि सर्जरी से ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
हर दो साल में आंखों की नियमित जांच करवाते रहिए। चेकअप करवाने से आंखों की रोशनी का पता लगाया जा सकता है।
अगर आपके चश्मे का नंबर बदल रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कीजिए।
जब आप सीधे देख रहें हों तो आंखों के किनारे से न दिखाई दे रहा हो तब आंखों की जांच करवाएं।
आंखों में दर्द हो, सिर और पेट में दर्द हो तो इसको नजरअंदाज मत कीजिए, तुरंत चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
आंखों को पोषण देने वाले तत्वों  जैसे बादाम, दूध, संतरे का जूस, खरबूजे, अंडा, सोयाबीन का दूध, मूंगफली आदि का ज्यादा मात्रा में सेवन कीजिए।
ग्लोकोमा (काला मोतिया) के लिए निदान, स्क्रीनिंग और परीक्षण (Glaucoma Treatment In Hindi) :
नियमित नेत्र परीक्षा के दौरान, एक टोनोमीटर का उपयोग आपके इंट्रा ऑक्युलर दबाव, या IOP को मापने के लिए किया जाता है । आपकी आंख आमतौर पर टोपिकल (सामयिक) आई ड्रॉप के साथ सुन्न कर दी जाती है, और एक छोटा सा प्रोब , धीरे-धीरे आँखों की सतह पर आकर टिकता है । अन्य टोनोमीटर आपकी आंख की सतह पर हवा का एक झोंका जैसा छोड़ते हैं ।
एक असामान्य रूप से उच्च IOP रीडिंग आंख में तरल पदार्थ की मात्रा के साथ एक समस्या को इंगित करता है । या तो आंख बहुत अधिक तरल पदार्थ का उत्पादन कर रही होती है, या यह ठीक से  बाहर  नहीं निकल पा रही है ।
आम तौर पर, IOP 21 mmHg (मिलीमीटर पारा के) से नीचे होना चाहिए - माप की एक इकाई जो एक निश्चित परिभाषित क्षेत्र के भीतर कितना बल है, इस पर आधारित होती है ।
यदि आपका IOP 30 mmHg से अधिक है, तो ग्लोकोमा (काला मोतिया) से दृष्टि की हानि का जोखिम 15 mmHg या उससे कम इंट्राओक्यूलर दबाव वाले किसी व्यक्ति की तुलना में 40 गुना अधिक है । यही कारण है कि ग्लोकोमा (काला मोतिया) के उपचार जैसे आई ड्रॉपस IOP को कम रखने के लिए  डिज़ाइन किए गए हैं ।
ग्लोकोमा (काला मोतिया) की निगरानी के अन्य तरीकों में आधारभूत चित्र और आंख के ऑप्टिक नर्व  और आंतरिक संरचनाओं के माप को बनाने के लिए परिष्कृत इमेजिंग तकनीक का उपयोग शामिल है ।
फिर, निर्दिष्ट अंतराल पर, यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त चित्र और माप लिया जाता है कि कोई परिवर्तन तो नहीं हुआ है जो प्रगतिशील ग्लोकोमा (काला मोतिया) से होने वाले क्षति का संकेत दे सकता है ।
उपयोगी सुझाव (Glaucoma Treatment In Hindi)
आंखों में ड्राइनेस बढ़ जाने पर जलन, खुजलाहट महसूस होती है।
लगातार स्क्रीन पर समय बिताने के बजाय ब्रेक लेना आवश्यक है।
हर आधे घंटे में पांच मिनट का ब्रेक लेकर दूर देखें, आंखों को थोड़ी राहत दें।
40 वर्ष की उम्र के बाद हर वर्ष कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूरी है।
आंखों को ब्लिंक करते रहें यानी पलकों को झपकाते रहें, अन्यथा आंखों में ड्राइनेस बढ़ती है।
अगर में आंखों में तकलीफ महसूस हो रही है, तो तुरंत नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
स्मार्टफोन या लैपटाप पर काम करते समय आसपास पर्याप्त रोशनी रखें, अंधेरे में काम न करें।
हमारी आंखें नजदीक नहीं, दूर देखने के लिए बनी हैं। लगातार नजदीक में देखते रहने से आंखों पर जोर पड़ता है
Resource: https://www.felixhospital.com/blogs/glaucoma-disease-In-hindi
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7 things can protect you from hypertension
7 चीजें आपको हाइपरटेंशन से बचा सकती है
नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना हार्ट को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और रक्तचाप को नियंत्रित रख सकता है।
स्वस्थ आहार: कम नमक, कम तेल, सेमी-आकारी भोजन, फल और सब्जियों का सेवन करना हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
वजन का नियंत्रण: सही वजन को बनाए रखना हाइपरटेंशन के खतरे को कम कर सकता है।
पर्याप्त नींद: प्रतिदिन की सही मात्रा में नींद लेना भी हाइपरटेंशन को कम करने में मदद कर सकता है।
तंबाकू और शराब का नियंत्रण: तंबाकू और शराब का सेवन कम करना रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।
तनाव प्रबंधन: ध्यान, योग और मेडिटेशन जैसी तंत्रिका प्रणायाम की तकनीकें हाइपरटेंशन को कम करने में मदद कर सकती हैं।
डॉक्टर की सलाह: नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेना और उनकी सलाह का पाल�� करना भी हाइपरटेंशन के खतरों को कम कर सकता है। आज ही संपर्क करें जयपुर में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल शर्मा (Cardiologist in Jaipur)  with 20+ years of experience, holds MBBS, DNB (Medicine), and DNB (Cardiology) qualifications. Specializing in Cardiology and Interventional Cardiology
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7 चीजें आपको हाइपरटेंशन से बचा सकती है!
1. वजन पर नियंत्रण जरूरी है
2. जीवनशैली को सक्रिय बनाएं
3. पौष्टिक आहार
4. स्मोकिंग न करें
5. शुरू से ही रक्तचाप को नियंत्रित रखें
6. ब्लड शुगर लेवल काबू में रहे
7. कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रखें
Dr. Amit Gupta
Cardiologist in Jaipur 
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dainiksamachar · 9 months
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सात महीने बाद गुरुग्राम में कोविड से पहली मौत, मुंबई से लौटीं दो महिलाएं कोरोना पॉजिटिव
गुड़गांव: कोरोना संक्रमण का खतरा () बढ़ रहा है। सोमवार को कोरोना संक्रमित एक महिला की मौत हो गई। उसका इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में चल रहा था। आयु 47 वर्ष थी। कोरोना रोधी वैक्सीन लग चुकी थी। महिला संक्रमण के साथ शुगर, हाइपरटेंशन, कोरोनरी आर्टरी डिजीज व हृदय संबंधी सहित अन्य रोगों से ग्रस्त थी। वहीं दिसंबर में कोरोना वायरस के वेरिएंट का पता लगाने के लिए भेजे गए 6 सैंपल में 3 की रिपोर्ट आ गई है, जिसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट की पुष्टि हुई है। नए वेरिएंट जेएन1 का कोई मामला सामने नहीं आया है। 2023 दिसंबर में शहर में कोरोना के 25 मामले सामने आए थे। जिसमें 15 महिलाएं व 10 पुरुष संक्रमित हुए थे। स्वास्थ्य विभाग लगातार संक्रमितों के सैंपल जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेज रहा है। दिसंबर के शुरुआत में भेजे गए 6 सैंपल में तीन सैंपल की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता लग गई है। इन रिपोर्ट में तीन संक्रमितों के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। तीनों फिलहाल स्वस्थ हैं।मुंबई से लौटी महिलाएं मिलीं संक्रमितसाल के पहले दिन सोमवार को शहर में दो नए संक्रमितों का पता लगा और दो के कोरोना को मात देने पर स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें डिस्चार्ज किया। संक्रमित 35 वर्षीय महिला सेक्टर- 50 की रहने वाली हैं और कुछ दिन पूर्व कनाडा से आने के बाद मुंबई गई थीं और वहां से लौटने पर यहां जांच कराने पर कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। इसी तरह 57 वर्षीय दूसरी संक्रमित महिला डीएलएफ फेस फोर की रहने वाली हैं। इनके जयपुर और मुंबई से लौटने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को मिली है। 23 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकीएक दिन में 115 कोरोना संदिग्ध मरीजों के जांच करने को सैंपल लिए गए। इसमें 60 रैपिड एंटीजन और 65 आरटीपीसीआर टेस्ट हुए। फिलहाल 23 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। फिलहाल जिले में सक्रिय संक्रमितों की संख्या 5 है और सभी संक्रमित होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे हैं। http://dlvr.it/T0rbqR
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bigjacksexual · 1 year
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महिलाओं को संतुष्ट करने के लिए कितना बड़ा लिंग होना जरुरी है
महिलाओं में यौन इच्छा कम होने के कई कारण हो सकते हैं, और यह आम समस्या है जो वृद्धि योग्य हो सकती है। महिलाओं को संतुष्ट करने के लिए कितना बड़ा लिंग होना जरुरी है  कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
हार्मोनल परिवर्तन: महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते रहते हैं, जैसे कि गर्भावस्था, प्रजनन संबंधित समस्याएँ, या मेनोपॉज के समय। इन परिवर्तनों के कारण यौन इच्छा में कमी हो सकती है।
स्ट्रेस और चिंता: तनाव, चिंता, और प्रेशर के बढ़ने के कारण यौन इच्छा कम हो सकती है।
डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ: डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी यौन इच्छा को प्रभावित कर सकती हैं।
बीमारियाँ और दवाएँ: कुछ बीमारियाँ और दवाएँ भी यौन इच्छा को कम कर सकती हैं, जैसे कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, और एंटीडिप्रेसेंट दवाएँ।
जीवनशैली कारण: अधिक व्यस्त जीवनशैली, अपुष्ट आहार, और पर्यापन का नकारात्मक प्रभाव यौन इच्छा पर डाल सकता है।
लो लिबिडो केवल यौन इच्छा कम होने की सामान्य परिस्थितियों का संकेत नहीं होता है, लेकिन यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे और आपके जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। डॉक्टर आपके विशिष्ट परिस्थितियों का परीक्षण करेंगे और उपयुक्त उपचार की सलाह देंगे।
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bigjack21 · 1 year
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भारत मे पुरुषों के लिंग का औसतन साइज क्या है आइये जानते हैं!
महिलाओं में यौन इच्छा कम होने के कई कारण हो सकते हैं, और यह आम समस्या है जो वृद्धि योग्य हो सकती है। भारत मे पुरुषों के लिंग का औसतन साइज क्या है आइये जानते हैं!  कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
हार्मोनल परिवर्तन: महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते रहते हैं, जैसे कि गर्भावस्था, प्रजनन संबंधित समस्याएँ, या मेनोपॉज के समय। इन परिवर्तनों के कारण यौन इच्छा में कमी हो सकती है।
स्ट्रेस और चिंता: तनाव, चिंता, और प्रेशर के बढ़ने के कारण यौन इच्छा कम हो सकती है।
डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ: डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी यौन इच्छा को प्रभावित कर सकती हैं।
बीमारियाँ और दवाएँ: कुछ बीमारियाँ और दवाएँ भी यौन इच्छा को कम कर सकती हैं, जैसे कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन, और एंटीडिप्रेसेंट दवाएँ।
जीवनशैली कारण: अधिक व्यस्त जीवनशैली, अपुष्ट आहार, और पर्यापन का नकारात्मक प्रभाव यौन इच्छा पर डाल सकता है।
लो लिबिडो केवल यौन इच्छा कम होने की सामान्य परिस्थितियों का संकेत नहीं होता है, लेकिन यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे और आपके जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। डॉक्टर आपके विशिष्ट परिस्थितियों का परीक्षण करेंगे और उपयुक्त उपचार की सलाह देंगे।
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🩺 क्या उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए दवाई ही एकमात्र विकल्प है?
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नमस्कार सभी, मैं Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), कार्डियोलॉजिस्ट, सुकून हार्ट केयर, रांची, झारखंड से। आज हम उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) और इसे नियंत्रित करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
हालाँकि दवाओं का सेवन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए आम तौर पर किया जाता है, यह एकमात्र विकल्प नहीं है। जीवनशैली में परिवर्तन भी रक्तचाप को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां कुछ प्रभावी उपाय हैं:
स्वस्थ आहार: नमक की मात्रा को कम करके, फल, सब्जियों और पूरे अनाज से भरपूर आहार लेना रक्तचाप को काफी हद तक कम कर सकता है। नियमित व्यायाम: हफ्ते के कम से कम 30 मिनट की गतिविधियों में शामिल होना, जैसे कि तेज चलना, जॉगिंग या स्विमिंग, रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। वजन प्रबंधन: स्वस्थ वजन बनाए रखना हृदय पर दबाव को कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। शराब और तंबाकू की सीमित उपयोग: अत्यधिक शराब पीना और धूम्रपान रक्तचाप को बढ़ा सकता है। इनका सेवन कम करना या छोड़ना मदद कर सकता है। तनाव प्रबंधन: गहरी सांस लेना, योग या ध्यान जैसे आराम के तकनीकों का अभ्यास करना तनाव को कम कर सकता है। रक्तचाप की निगरानी: नियमित रूप से घर पर रक्तचाप की जांच करना और अपने पढ़ाई के नतीजों को ट्रैक करना आपके इलाज की योजना में मार्गदर्शन कर सकता है। हमें इससे मिलकर एक व्यक्तिगत योजना बनाने के लिए सही चिकित्सा प्रदाता के साथ काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कभी-कभी, जीवनशैली में परिवर्तनों और दवाओं के संयोजन से ही उच्च रक्तचाप को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।
यदि आपके रक्तचाप या हृदय स्वास्थ्य के बारे में कोई समस्या है, तो हमसे संपर्क करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें। हमारी वेबसाइट drfarhancardiologist.com पर जाएं या हमें 6200784486 पर कॉल करें और एक सलाहकारी सत्र के लिए अपॉइंटमेंट बुक करें।
ध्यान दें, छोटे बदलाव आपके रक्तचाप को नियंत्रित करने और एक स्वस्थ जीवन जीने में बड़ा अंतर ला सकते हैं। हम साथ में हृदय स्वास्थ्य की दिशा में प्रो-एक्टिव कदम चलें!
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sharpbharat · 1 year
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jamshedpur rural- चाकुलिया सीएचसी में आयुष्मान भव कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य मेला आयोजित
चाकुलिया: चाकुलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में शनिवार को आयुष्मान भवः कार्यक्रम के तहत प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया गया. इस मेले का उद्घाटन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रंजीत मुर्मू ने दीप प्रज्वलित कर किया. स्वास्थ्य मेला में 583 लोगों की स्वास्थ्य जांच हुई, जिसमें हाइपरटेंशन का स्क्रीनिंग, ब्लड शुगर का स्क्रीनिंग, ओरल कैंसर का स्क्रीनिंग लेप्रोसी ,टीबी मरीजों की जांच की…
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drhimanshugupta · 3 months
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90% स्ट्रोक को रोका जा सकता है अगर उसके जोखिम कारकों को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए।
इन कारकों में प्रमुख रूप से आहार, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल, शारीरिक निष्क्रियता, डायबिटीज, शराब और धूम्रपान, अवसाद और तनाव शामिल हैं। स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं, जिससे हृदय और मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएँ स्वस्थ रहती हैं। शराब और धूम्रपान से बचाव और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है।
यह आदतें मिलकर स्ट्रोक के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।
परामर्श लें:- डॉ. हिमांशु गुप्ता DNB (Neurosurgery) माइक्रोस्कोपिक एंड इंडोस्कोपिक ब्रेन एंड स्पाइन न्यूरोसर्जन जीवन रेखा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, जयपुर
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें- +91- 96500 52767
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vitiligocare · 1 year
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सफ़ेद दाग कैसे ठीक करें
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अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोगों के चेहरे पर सफेद धब्बे बन जाते हैं. इन धब्बों की वजह से चेहरे की रौनक गायब हो जाती है. मेडिकल टर्म में इस समस्या को विटिलिगो Vitiligo के नाम से जाना जाता है।
ऐसा नहीं है कि ये चेहरे के किसी एक ही भाग पर हों, ये हाथ, पैर कहीं भी हो सकते हैं. इन सफेद धब्बों के उभरने का सबसे महत्वपूर्ण कारण त्वचा की कोशिकाओं की अनियमितता होती है. ऐसी कोशिकाएं जो मेलनिन प्रोड्यूस करती हैं।
मेलनिन की अनियमितता के कारण त्वचा से जुड़ी कई दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसके अलावा हाइपरथायरॉइडिज्म, हाइपरटेंशन, विटामिन बी 12 की अनियमितता, सूरज की रौशनी भी इसके होने का कारण हो सकते हैं. कभी-कभी ये जेनेटिक भी हो सकता है. अगर आपको भी ये समस्या है तो आपके लिए राहत की सबसे बड़ी बात ये है सफेद दाग को घरेलू इलाज से दूर किया जा सकता है। 
हल्दी के इस्तेमाल से 
सेब के सिरके से 
 शहद के इस्तेमाल से 
अदरक के इस्तेमाल से 
पत्तागोभी का रस भी है फायदेमंद 
1. कॉस्मेटिक कवरअप: सफेद दाग को छिपाने के लिए कॉस्मेटिक कवरअप प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए मेकअप उत्पादों का प्रयोग करें, जैसे कि कॉन्सीलर या कॉम्पैक्ट फाउंडेशन।
2. सनस्क्रीन का प्रयोग: सफेद दाग से बचाव के लिए सनस्क्रीन का नियमित रूप से प्रयोग करें, खासकर सूरज के नीचे बाहर जाने के समय।
3. बिलकुल धूप में न जाएं: सफेद दाग के रोगी को धूप से बचाव के लिए सर्दियों में बिलकुल धूप में न जाने का सावधान रहना चाहिए।
4. उपचार: विटिलिगो का उपचार त्वचा विशेषज्ञ द्वारा पर्याप्त ध्यान और निगरानी के साथ किया जाता है। उपचार के रूप में डेर्मटोलॉजी उपयुक्त दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे कि स्टेरॉयड क्रीम, पुवा थैरेपी, या अन्य उपचार जो त्वचा के मेलानिन की गड़बड़ी को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
5. संवेदनशीलता को बढ़ावा: जीवन में स्ट्रेस को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन, और दिनचर्या में परिवर्तन करने का प्रयास करें, क्योंकि यह सफेद दागों के प्रकोप को बढ़ा सकता है।
6. खानपान में सही पोषण: एक स्वस्थ और बैलेंस्ड आहार आपके त्वचा के स्वास्थ्य को सुधार सकता है।
ल्यूगो किट ( Leugo Kit ) लंबे समय तक एक प्रमुख और प्रचलित उपचार चिकित्सा है। ल्यूगो किट सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा त्वचा विकार का सबसे प्रभावी उपचार है।
ये Oldforest Ayurved द्वारा बनाया एक मात्र प्रोडक्ट है, जो आपको भी इस बीमारी से छुटकारा दिलाने मैं सक्षम है, हम मानते है की हमारी 8 साल की प्रैक्टिस मैं ये प्रोडक्ट ने खूब सफलता प्राप्त की है। इस बीमारी से ग्रसित हजारो मरीजों ने कुछ ही महीनो मैं और कम से कम मुल्ये मैं ल्यूगो किट की मदद से सफ़ेद दागो को जड़ से ख़त्म किया है।
आप ल्यूगो किट खरीदने के लिए www.vitiligocare.co पर जा सकते हैं या आप +91 8657-870-870 पर संपर्क कर सकते हैं।
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