लम्बे घने बालों के लिए घरेलु आसान उपाय | Home Hair Growth Treatments Tips in hindi
लम्बे घने बालों के लिए घरेलु आसान उपाय | Home Hair Growth Treatments Tips in hindi
लम्बे घने बालों के लिए घरेलु आसान उपाय Home hair growth treatments tips in hindi
आज कल सभी बालो के झड़ने तथा चमकहीन होने से परेशान हैं, जिसके लिए आये दिन पार्लर में जाकर महंगे ट्रीटमेंट करवाते हैं . लेकिन इन सभी ट्रीटमेंट से कई साइड इफेक्ट भी होते हैं, इन हेयर ट्रीटमेंट में केमिकल का उपयोग किया जाता हैं, जिसके कारण बालों में प्राकतिक चमक जल्दी ही चली जाती है, और हम इन ट्रीटमेंट के मोहताज हो…
संत गरीब दास जी ने कहा है कि, ज्ञान नेत्रहीन अंधे, मौन रखकर ढोंग करने वाले गूंगे, लोभी अर्थात ज्ञान हीन गुरु तो बहुत से हैं। जो पूर्ण परमात्मा को न पहचान कर, जनता को भ्रमित करते हैं। जिन्हें शास्त्रों का कोई ज्ञान नहीं है। वर्तमान में धरती पर एकमात्र सच्चे संत अर्थात तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
Visit 📲 "Satlok Ashram" Youtube Channel Saint Rampal Ji Maharaj 👇
नाबालिग लड़की का हाथ चबा गया लेपर्ड, मुंह, पीठ और छाती को भी नोंच डाला
उदयपुर, 19 सितंबर (हि.स.)। गोगुंदा थाना क्षेत्र के उंडीथल गांव में गुरुवार सुबह लेपर्ड के एक और हमले में एक नाबालिग लड़की की मौत हो गई। लेपर्ड लड़की को घसीटते हुए जंगल में ले गया और उसका हाथ चबा गया। नाबालिग के मुंह, पीठ और छाती को भी लेपर्ड ने बुरी तरह नोंच डाला। लड़की का शव घने जंगल में करीब चार किलोमीटर अंदर मिला है। लड़की की तलाश बुधवार से ही की जा रही थी।
गोगुंदा थानाधिकारी शैतान सिंह नाथावत…
🧴बालों को धोने के लिए पुराने जमाने की ये नेचुरल चीजें यूज करें, बाल हो जाएंगे काले और घने 🌿💁♀️ | Best Natural Hair Care Tips 2024 🚿✨
आजकल हर कोई लंबे और घने बालों की चाहत रखता है, लेकिन मार्केट में उपलब्ध केमिकल युक्त शैंपू और कंडीशनर से बालों को नुकसान पहुंचता है। 🌱 इसके बजाय, पुराने जमाने की नेचुरल चीजें जैसे रीठा, आंवला, शिकाकाई और मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल करना सबसे बेहतरीन विकल्प है। ये प्राकृतिक सामग्रियां बालों को पोषण देती हैं और उन्हें मजबूत, काले और घने बनाती हैं। 🧖♀️💇♀️ इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे इन…
What is the difference between terrestrial and gaseous joints
What is the difference between terrestrial and gaseous joints
A terrestrial planet, also called a rocky planet, is primarily composed of rock and metal, has a solid surface, and is typically smaller, while a gaseous giant is a large planet made up mostly of gas like hydrogen and helium, with no clear solid surface and a much larger size compared to a terrestrial planet; essentially, terrestrial planets are like Earth, while gas giants are like Jupiter.
Key differences:
Composition: Terrestrial planets are made of rock and metal, while gas giants are primarily composed of hydrogen and helium gas.
Surface: Terrestrial planets have a solid surface, whereas gas giants do not have a defined surface, meaning there is no clear boundary between the atmosphere and the "surface".
Size: Gas giants are significantly larger than terrestrial planets.
Examples:
Terrestrial planets: Mercury, Venus, Earth, and Mars
Gas giants: Jupiter, Saturn, Uranus, and Neptune
A gas giant is a GIANT planet that is made of gas! They are different from rocky or terrestrial planets that are made of mostly rock. Unlike rocky planets, gas giants do not have a well-defined surface – there is no clear boundary between where the atmosphere ends and the surface starts!
How are the gas giants different from the terrestrial planets?
How are the gas giants different from the terrestrial planets?
Astronomy
Composition, Size
Explanation:
Gas giants/Jovian planets are also called the outer planets, they are made of gases, they are large and less dense, more moons.
Terrestrial/Rocky planets are also called the inner planets. They are made of rocky surface, denser than Jovians, and small, little or no moons.
The surprising thing is that the terrestrial world is only 142 million miles from the sun. After 484 million miles from the sun, the gaseous giants begin. And the distance from the earth is 93 million miles. Naturally, the distance from Mars is 142 million miles.
Translate Hindi
टेरेस्ट्रियल और गैसीय जॉइंट में फर्क क्या है
स्थलीय ग्रह, जिसे चट्टानी ग्रह भी कहा जाता है, मुख्य रूप से चट्टान और धातु से बना होता है, इसकी सतह ठोस होती है और यह आम तौर पर छोटा होता है, जबकि गैसीय विशालकाय ग्रह एक बड़ा ग्रह होता है जो ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम जैसी गैस से बना होता है, जिसकी कोई स्पष्ट ठोस सतह नहीं होती और स्थलीय ग्रह की तुलना में इसका आकार बहुत बड़ा होता है; मूलतः, स्थलीय ग्रह पृथ्वी जैसे होते हैं, जबकि गैसीय विशालकाय ग्रह बृहस्पति जैसे होते हैं।
मुख्य अंतर:
संरचना: स्थलीय ग्रह चट्टान और धातु से बने होते हैं, जबकि गैसीय विशालकाय ग्रह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैस से बने होते हैं।
सतह: स्थलीय ग्रहों की सतह ठोस होती है, जबकि गैसीय विशालकाय ग्रहों की सतह परिभाषित नहीं होती है, जिसका अर्थ है कि वायुमंडल और "सतह" के बीच कोई स्पष्ट सीमा नहीं होती है।
आकार: गैसीय विशालकाय ग्रह स्थलीय ग्रहों की तुलना में काफी बड़े होते हैं।
उदाहर��:
स्थलीय ग्रह: बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल
गैस दिग्गज: बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून
गैस दिग्गज एक विशाल ग्रह है जो गैस से बना है! वे चट्टानी या स्थलीय ग्रहों से अलग हैं जो ज़्यादातर चट्टानों से बने होते हैं। चट्टानी ग्रहों के विपरीत, गैस दिग्गजों की सतह अच्छी तरह से परिभाषित नहीं होती है - वायुमंडल के खत्म होने और सतह के शुरू होने के बीच कोई स्पष्ट सीमा नहीं होती है!
गैस दिग्गज/जोवियन ग्रहों को बाहरी ग्रह भी कहा जाता है, वे गैसों से बने होते हैं, वे बड़े और कम घने होते हैं, और उनमें ज़्यादा चंद्रमा होते हैं।
स्थलीय/पत्थर वाले ग्रहों को आंतरिक ग्रह भी कहा जाता है। वे चट्टानी सतह से बने होते हैं, बृहस्पति ग्रह से अधिक घने होते हैं, और उनमें छोटे, बहुत कम या कोई चंद्रमा नहीं होता है।
ताज्जुब की बात तो यह है की सूरज में से 142 मिलियन मील तक ही टेरेस्ट्रियल
सूरज में से 484 मिलियन मील होने के बाद होता है गैसीय जाइंट की शुरू और धरती की दूरी है 93 मिलियन मील स्वाभाविक है मंगल की दूरी 142 मिलियन मील
*⛅ व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त - रात्रि 09.27), गणेश महोत्सव प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग (दोपहर 12:24 से प्रातः 06:24 सितम्बर 08 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अपने हाथ में ही अपना आरोग्य🔹*
*🔸१) सभी अंगों में पुष्टिदायक तेल की मालिश अवश्य करानी चाहिए सिर में कान में और पैरों में तो विशेष रूप से करानी चाहिए । कराने से वायु तथा कफ मिटता है, थकान मिटती है, शक्ति तथा सुख की प्राप्ति होती है, नींद अच्छी आती है, शरीर का वर्ण सुधरता है, शरीर में कोमलता आती है, आयुष्य की वृद्धि होती है तथा देह की पुष्टि होती है ।*
*🔸(२) सिर में मालिश किया हुआ तेल सभी इन्द्रियों को तृप्त करता है, दृष्टि को बल देता है, सिर के दर्दों को मिटाता है। बाल में तेल पहुँचने से बाल घने, लम्बे तथा मुलायम होते हैं । लंबे समय तक टिकते हैं और बाल काले बने रहते हैं तथा सिर को भी भरा हुआ रखता है ।*
*🔸(३) नित्य कान में तेल डालने से कान में रोग या मैल नहीं होता । गले के बाजू की नाड़ी तथा दाढ़ी अकड नहीं जाती । बहुत ऊँचे से सुनना या बहरापन नहीं होता । कान में रस आदि पदार्थ डालने हों तो भोजन से पहले डालना हितकर है ।*
*🔸(४) पैरों पर तेल मसलने से पाँव मजबूत होते हैं। नींद अच्छी आती है, आँख स्वच्छ रहती है तथा पैर झूठे नहीं पड़ जाते, श्रम से अकड़ नहीं जाते, संकोच प्राप्त नहीं करते तथा फटते भी नहीं । जिस तरह गरुड़ के पास साँप नहीं जाते उसी तरह कसरत के अभ्यासी और तेल की मालिश करानेवाले के पास रोग नहीं जाते । नहाते समय तेल का उपयोग किया हो तो वह तेल रोंगटों के छिद्रों, शिराओं के समूह तथा धमनियों के द्वारा सम्पूर्ण शरीर को तृप्त करता है तथा बल प्रदान करता है ।*
*🔸(५) जिस तरह मूल में सिंचित वृक्षों के पत्ते आदि वृद्धि प्राप्त करते हैं उसी तरह अंगों पर तेल मलवानेवाले मानवों की तेल से सिंचित धातुएँ पुष्टि प्राप्त करती हैं ।*
*🔸(६) बुखार से पीड़ित, कब्जियतवाले, जिसने जुलाब लिया हो, जिसे उल्टी हुई हो, उसे कभी भी तेल की मालिश नहीं करनी चाहिये ।*
*🔸(७) मुँह पर तेल मलने से आँखें मजबूत होती हैं, गाल पुष्ट होते हैं, फोड़े तथा फुन्सियाँ नहीं होती और मुँह कमल के समान सुशोभित होता है ।*
*🔸(८) जो मनुष्य प्रतिदिन आँवले से स्नान करता है उसके बाल जल्दी सफेद नहीं होते और वह सौ वर्ष तक जीवित रहता है ।*
*🔸(९) दर्पण में देहदर्शन करना यह मंगलरूप है, कांतिकारक है, पुष्टिदाता है, बल तथा आयुष्य को बढ़ाने वाला है और पाप तथा अलक्ष्मी का नाश करनेवाला ।*
*🔸(१०) जो मनुष्य सोते समय बिजोरे के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ चाटता है वह सुखपूर्वक सो सकता है ।*
भारत की तरह बांग्लादेश के पास भी चिकन नेक, गर्दन मरोड़ी तो टूट जाएगा चटगांव से कनेक्शन
ढाका: भारत के चिकन नेक के नाम से मशहूर सिलीगुड़ी कॉरिडोर अक्सर सुर्खियों में छाया रहता है। यह वही कॉरिडोर है, जो शेष भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ता है। दशकों से इस कॉरिडोर पर चीन की बुरी नजर है। इसी कारण भारत और चीन में जून 2017 में डोकलाम सैन्य गतिरोध की शुरुआत हुई थी। चीन की कोशिश इस कॉरिडोर के नजदीक पहुंचने की है, जहां से वह भारत के इस संकरे गलियारे पर कब्जा जमा सके। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता है कि भारत की तरह बांग्लादेश में भी एक चिकन नेक है, जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर की तरह ही संकरा है। यह बांग्लादेश की मुख्य भूमि से उसके सबसे बड़े बंदरगाह शहर चटगांव को अलग करता है।
बांग्लादेश का चिकन नेक कितना महत्वपूर्ण
बांग्लादेश की इस संकरी पट्टी को बंद करने से उसकी 20 प्रतिशत भूमि देश के बाकी हिस्से से अलग हो सकती है। अगर यह गलियारा कभी बंद हो जाता है तो उसका सबसे बड़ा बंदरगाह और शहर चटगांव अलग-थलग पड़ सकता है। हालांकि, इस गलियारे का महत्व भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरह उतना गंभीर नहीं है। इसका प्रमुख कारण बांग्लादेश की मुख्य भूमि का चटगांव से समुद्री संपर्क ज्यादा होना है। चटगांव का यह इलाका घने वनों और पानी की धाराओं से भरा हुआ है। अपने भूभाग और द्वीपीय प्रकृति के यह भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के विद्रोहियों को सुरक्षित पनाहगाह भी प्रदान करता है।
भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर को जानें
भारत का सिलीगुड़ी कॉरिडोर पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर के पास स्थित है। यह बेहद संकरा गलियारा है, जो शेष भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है। इस गलियारे के कई संकरे हिस्सों में इसकी चौड़ाई 20 से 22 किमी ही है। यह गलियारा तीन देशों से ��ी सटा हुआ है। जिसमें नेपाल, बांग्लादेश और भूटान शामिल हैं। पहले सिक्किम साम्राज्य इस गलियारे के उत्तरी किनारे पर स्थित था, हालांकि, 1975 में उसका भारत में विलय हो गया। पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर इस क्षेत्र का प्रमुख शहर है। http://dlvr.it/TCg1Q2