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#छोटी टोपी
appasahebparbhane · 2 months
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एक समय गोरख नाथ (सिद्ध महात्मा) काशी (बनारस) में स्वामी रामानन्द जी (जो साहेब कबीर के गुरु जी थे) से शास्त्रार्थ करने के लिए (ज्ञान गोष्टी के लिए) आए। जब ज्ञान गोष्टी के लिए एकत्रित हुए तब कबीर साहेब भी अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामानन्द जी के साथ पहुँचे थे। एक उच्च आसन पर रामानन्द जी बैठे उनके चरणों में बालक रूप में कबीर साहेब (पूर्ण परमात्मा) बैठे थे। गोरख नाथ जी भी एक उच्च आसन पर बैठे थे तथा अपना त्रिशूल अपने आसन के पास ही जमीन में गाड़ रखा था। गोरख नाथ जी ने कहा कि रामानन्द मेरे से चर्चा करो। उसी समय बालक रूप (पूर्ण ब्रह्म) कबीर जी ने कहा - नाथ जी पहले मेरे से चर्चा करें। पीछे मेरे गुरुदेव जी से बात करना।
योगी गोरखनाथ प्रतापी, तासो तेज पृथ्वी कांपी।
काशी नगर में सो पग परहीं, रामानन्द से चर्चा करहीं।
चर्चा में गोरख जय पावै, कंठी तोरै तिलक छुड़ावै।
सत्य कबीर शिष्य जो भयऊ, यह वृतांत सो सुनि लयऊ।
गोरखनाथ के डर के मारे, वैरागी नहीं भेष सवारे।
तब कबीर आज्ञा अनुसारा, वैष्णव सकल स्वरूप संवारा।
सो सुधि गोरखनाथ जो पायौ, काशी नगर शीघ्र चल आयौ।
रामानन्द को खबर पठाई, चर्चा करो मेरे संग आई।
रामानन्द की पहली पौरी, सत्य कबीर बैठे तीस ठौरी।
कह कबीर सुन गोरखनाथा, चर्चा करो हमारे साथा।
प्रथम चर्चा करो संग मेरे, पीछे मेरे गुरु को टेरे।
बालक रूप कबीर निहारी, तब गोरख ताहि वचन उचारी।
इस पर गोरख नाथ जी ने कहा तू बालक कबीर जी कब से योगी बन गया। कल जन्मा अर्थात् छोटी आयु का बच्चा और चर्चा मेरे (गोरख नाथ के) साथ। तेरी क्या आयु है? और कब वैरागी (संत) बन गए?
गोरखनाथ जी का प्रश्न:-
कबके भए वैरागी कबीर जी, कबसे भए वैरागी।
कबीर जी का उत्तर:-
नाथ जी जब से भए वैरागी मेरी, आदि अंत सुधि लागी।।
धूंधूकार आदि को मेला, नहीं गुरु नहीं था चेला।
जब का तो हम योग उपासा, तब का फिरूं अकेला।।
धरती नहीं जद की टोपी दीना, ब्रह्मा नहीं जद का टीका।
शिव शंकर से योगी, न थे जदका झोली शिका।।
द्वापर को हम करी फावड़ी, त्रोता को हम दंडा।
सतयुग मेरी फिरी दुहाई, कलियुग फिरौ नो खण्डा।।
गुरु के वचन साधु की संगत, अजर अमर घर पाया।
कहैं कबीर सुनांे हो गोरख, मैं सब को तत्व लखाया।।
साहेब कबीर जी ने गोरख नाथ जी को बताया हैं कि मैं कब से वैरागी बना। साहेब कबीर ने उस समय वैष्णों संतों जैसा वेष बना रखा था। जैसा श्री रामानन्द जी ने बाणा (वेष) बना रखा था। मस्तिक में चन्दन का टीका, टोपी व झोली सिक्का एक फावड़ी (जो भजन करने के लिए लकड़ी की अंग्रेजी के अक्षर ‘‘T‘‘ के आकार की होती है) तथा एक डण्डा (लकड़ी का लट्ठा) साथ लिए हुए थे। ऊपर के शब्द में कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जब
कोई सृष्टि (काल सृष्टि) नहीं थी तथा न सतलोक सृष्टि थी तब मैं (कबीर) अनामी लोक में था और कोई नहीं था। चूंकि साहेब कबीर ने ही सतलोक सृष्टि शब्द से रची तथा फिर काल (ज्योति निरंजन-ब्रह्म) की सृष्टि भी सतपुरुष ने रची। जब मैं अकेला रहता था जब धरती (पृथ्वी) भी नहीं थी तब से मेरी टोपी जानो। ब्रह्मा जो गोरखनाथ तथा उनके गुरु मच्छन्दर नाथ आदि सर्व प्राणियों के शरीर बनाने वाला पैदा भी नहीं हुआ था। तब से मैंने टीका लगा रखा है अर्थात् मैं (कबीर) तब से सतपुरुष आकार रूप मैं ही हूँ।
सतयुग-त्रोतायुग-द्वापर तथा कलियुग ये चार युग तो मेरे सामने असंख्यों जा लिए। कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि हमने सतगुरु वचन में रह कर अजर-अमर घर (सतलोक) पाया। इसलिए सर्व प्राणियों को तत्व (वास्तविक ज्ञान) बताया है कि पूर्ण गुरु से उपदेश ले कर आजीवन गुरु वचन में चलते हुए पूर्ण परमात्मा का ध्यान सुमरण करके उसी अजर-अमर सतलोक में जा कर जन्म-मरण रूपी अति दुःखमयी संकट से बच सकते हो।
इस बात को सुन कर गोरखनाथ जी ने पूछा हैं कि आपकी आयु तो बहुत छोटी है अर्थात् आप लगते तो हो बालक से।
जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी।
असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी।
हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।।
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया।
सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।।
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी।
देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।।
नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी।
कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
श्री गोरखनाथ सिद्ध को सतगुरु कबीर साहेब अपनी आयु का विवरण देते हैं। असंख युग प्रलय में गए। तब का मैं वर्तमान हूँ अर्थात् अमर हूँ। करोड़ों ब्रह्म (क्षर पुरूष अर्थात् काल) भगवान मृत्यु को प्राप्त होकर पुनर्जन्म प्राप्त कर चुके हैं।
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h1an2s3 · 3 months
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🪷*
10/06/24
*🎈Facebook सेवा🎈*
🌿  *मालिक की दया से अब कबीर साहेब द्वारा गोरखनाथ के साथ की गई लीला से सम्बंधित Facebook पर सेवा करेंगे जी।*
*टैग है*
#सिद्धि_बड़ी_या_भगवान #Gorakhnath #kashi #nath #nathdwara #गोरखनाथ #सिद्धि
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*📷''' सेवा से सम्बंधित photo लिंक⤵️*
https://www.satsaheb.org/gorakhnath-and-kabir-sahib-hindi/
https://www.satsaheb.org/gorakhnath-and-kabir-sahib-english/
*🔮सेवा Points🔮* ⬇️
🔹परमात्मा के सामने गोरखनाथ की सिद्धि हुई फेल।
गोरखनाथ ने कबीर परमात्मा से कहा कि आपकी एक परीक्षा लूंगा। गोरखनाथ ने कहा मैं गंगा में छुपुंगा। मुझे खोज देना। परमात्मा बोले भाई यह भी कसर निकाल ले। दरिया में कूद गया और मछली बन गया गोरखनाथ। परमात्मा ने उसको पकड़ कर और पटड़ी पर रख दिया, गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ ने परमात्मा पैर पकड़ लिए।
🔹कबीर परमात्मा से हारने के बाद गोरखनाथ बोला, हे भगवान! आप कौन शक्ति हो? कहां से आए हो ? मेरे सामने टिकने वाला आज पृथ्वी पर कोई नहीं।
परमात्मा ने कहा
अवधू अविगत से चला आया। रे मेरा भेद मरम ना पाया।।
ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी शहर जल कमलपर डेरा, तहां जुलाहे ने पाया।।
🔹एक समय गोरख नाथ (सिद्ध महात्मा) काशी में स्वामी रामानन्द जी से शास्त्रार्थ करने के लिए आए। उसी समय बालक रूप कबीर जी ने कहा:- नाथ जी पहले मेरे से चर्चा करें।
गोरख नाथ जी ने कहा तू बालक कबीर जी कब से योगी बन गया। तेरी क्या आयु है? और कब वैरागी बन गए?
कबके भए वैरागी कबीर जी, कबसे भए वैरागी।
नाथ जी जब से भए वैरागी मेरी, आदि अंत सुधि लागी।।
गुरु के वचन साधु की संगत, अजर अमर घर पाया।
कहैं कबीर सुनो हो गोरख, मैं सब को तत्व लखाया।
🔹साहेब कबीर जी गोरख नाथ जी को बताते हैं कि मैं कब से वैरागी बना। 
धूंधूकार आदि को मेला, नहीं गुरु नहीं था चेला।
जब का तो हम योग उपासा, तब का फिरा अकेला।।
साहेब कहते हैं कि जब कोई सृष्टि (काल सृष्टि) नहीं थी तथा न सतलोक सृष्टि थी तब मैं (कबीर) अनामी रूप में था और कोई नहीं था।
🔹साहेब कबीर जी गोरख नाथ जी को बताते हैं कि
धरती नहीं जद की टोपी दीना, ब्रह्मा नहीं जद का टीका।
शिव शंकर से योगी, न थे जद का झोली शिका।।
साहेब कबीर ने ही सतलोक सृष्टि शब्द से रची तथा फिर काल की सृष्टि भी सतपुरुष ने रची। जब मैं अकेला रहता था जब धरती भी नहीं थी तब से मेरी टोपी जानो। ब्रह्मा जो गोरखनाथ तथा उनके गुरु मच्छन्दर नाथ आदि सर्व प्राणियों के शरीर बनाने वाला पैदा भी नहीं हुआ था। तब से मैंने टीका लगा रखा है अर्थात् मैं (कबीर) तब से सतपुरुष आकार रूप मैं ही हूँ।
🔹गोरखनाथ जी कबीर परमात्मा से जब पूछा था कि आपकी आयु तो बहुत छोटी है अर्थात् आप लगते तो हो बालक से।
तब परमात्मा बोले
जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी। असंख युग प्रलय गए, तब का ब्रह्मचारी।।
🔹जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी। असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी। हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।।
श्री गोरखनाथ सिद्ध को सतगुरु कबीर साहेब अपनी आयु का विवरण देते हैं। असंख युग प्रलय में गए। तब का मैं वर्तमान हूँ अर्थात् अमर हूँ।
🔹अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया। सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।।
कबीर परमात्मा ने गोरखनाथ को तत्त्वज्ञान समझाते हुए कहा है कि करोड़ों ज्योति निरंजन मर लिए मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् अमर पुरुष हूं। कबीर साहेब कहते हैं कि हम अमर हैं। अन्य भगवान जिसका तुम आश्रय ले कर भक्ति कर रहे हो वे नाशवान हैं। फिर आप अमर कैसे हो सकते हो?
🔹नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी। कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
कबीर परमात्मा ने गोरखनाथ को बताया कि मैं (कबीर साहेब) न बूढ़ा न बालक, मैं तो जवान रूप में रहता हूँ जो ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक है। यह तो मैं लीलामई शरीर में आपके समक्ष हूँ। कहै कबीर सुनों जी गोरख, मेरी आयु (उम्र) यह है जो आपको बताई है।
🔹परमात्मा के सामने गोरखनाथ की सिद्धि हुई फेल।
एक बार गोरखनाथ जी जमीन में गड़े लगभग 7 फुट ऊँचें त्रिशूल के ऊपर सिद्धि से बैठ गए और कबीर परमात्मा से कहा कि यदि आप इतने महान हो तो मेरे बराबर में ऊँचा उठ कर बातें करो।
साहेब कबीर ने अपनी पूर्ण सिद्धि का प्रदर्शन किया।
जेब से धागे की रील निकाली और एक सिरा आकाश में फैंक दिया। वह धागा सीधा खड़ा हो गया। साहेब कबीर आकाश में उड़े तथा लगभग 150 फुट धागे के ऊपर बैठ गए और कहा कि आओ नाथ जी! बराबर में बैठकर चर्चा करें। गोरखनाथ जी ने ऊपर उड़ने की कोशिश की लेकिन उल्टा जमीन पर टिक गए।
🔹पूर्ण परमात्मा के सामने सिद्धियाँ नि��्क्रिय हो जाती हैं। गोरखनाथ जी कबीर साहेब से सिद्धि में हारने के बाद जान गए कि कबीर साहेब कोई मामूली संत नहीं है। तब कहा कि हे परम पुरुष! कृप्या नीचे आएँ और अपने दास पर दया करके अपना परिचय दें। आप कौन शक्ति हो? किस लोक से आना हुआ है? तब कबीर साहेब नीचे आए और कहा कि:-
अवधू अबिगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
🔹 गोरख नाथ ने कबीर साहेब से कहा कि मेरी एक शक्ति और देखो। यह कह कर गंगा की ओर चल पड़ा। सर्व दर्शकों की भीड़ भी साथ ही चली। लगभग 500 फुट पर गंगा नदी थी। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कहा कि मुझे ढूंढ दो। फिर मैं (गोरखनाथ) आप का शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन गए। साहेब कबीर ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ जी ने साहेब कबीर को पूर्ण परमात्मा स्वीकार किया और शिष्य बने।
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thedhongibaba · 2 years
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*•("धन्‍य है वे जो सरल है")•*
°°••••••{{{{ ओशो }}}}•••••°°
••🌹🙏•🌹••
एक छोटी सी कहानी कहूं और उससे ही अपनी चर्चा शुरू करूं।
एक रात, एक सराय में, एक फकीर आया।
सराय भरी हुई थी, रात बहुत बीत चुकी थी और उस गांव के दूसरे मकान बंद हो चुके थे और लोग सो चुके थे।
सराय का मालिक भी सराय को बंद करता था, तभी वह फकीर वहां पहुंचा और उसने कहा, कुछ भी हो, कहीं भी हो, मुझे रात भर टिकने के लिए जगह चाहिए ही।
इस अंधेरी रात में अब मैं कहां खोजूं और कहां जाऊं! सराय के मालिक ने कहा, ठहरना तो हो सकता है, लेकिन अकेला कमरा मिलना कठिन है।
एक कमरा है, उसमें एक मेहमान अभी—अभी आकर ठहरा है, वह जागता होगा, क्या तुम उसके साथ ही उसके कमरे में सो सकोगे? वह फकीर राजी हो गया। एक कमरे में दो मेहमान ठहरा दिए गए।
वह फकीर अपने बिस्तर पर लेट गया, न तो उसने अपने जूते खोले, न अपनी टोपी निकाली, वह सब कपड़े पहने हुए लेट गया।
दूसरा आदमी जो वहां ठहरा हुआ था, उसे हैरानी भी हुई, लेकिन अपरिचित आदमी से कुछ कहना ठीक न था, वह चुप रहा। लेकिन वह फकीर जो टोपी पहने ही सो गया था, वह करवटें बदलने लगा और नींद आनी उसे कठिन हो गई।
दूसरे मेहमान के बर्दाश्त के बाहर हो गया और उसने कहा, महानुभाव, ऐसे तो रात भर नींद नहीं आएगी, आप करवट बदलते रहेंगे।
कृपा करके जूते उतार दें, कपड़े उतार दें, फिर ठीक से सो जाएं। थोड़े सरल हो जाएं तो शायद नींद आ भी जाए। इतने जटिल होकर सोना बहुत मुश्किल है।
उस फकीर ने कहा, मैं भी यही सोचता हूं। लेकिन अगर मैं कमरे में अकेला होता तो कपड़े निकाल देता, तुम्हारे होने की वजह से मैं बहुत मुश्किल में हूं!
उस आदमी ने कहा, इसमें क्या मुश्किल की बात है?
वह फकीर कहने लगा, मुश्किल यह है कि अगर मैं कपड़े निकाल कर सो गया, तो सुबह मेरी नींद खुलेगी, मैं यह कैसे पहचानूंगा कि मैं कौन हूं? मैं अपने कपड़ों से ही खुद को पहचानता हूं। यह कोट मेरे ऊपर है, तो मुझे लगता है कि मैं मैं ही हूं।
यह पगड़ी मेरे सिर पर है, तो मैं जानता हूं कि मैं मैं ही हूं। इस पगड़ी, इस कोट को पहने हुए आईने के सामने खड़ा होता हूं तो पहचान लेता हूं कि मैं मैं ही हूं।
अगर कमरे में अकेला होता तो कपड़े निकाल कर सो जाता, बदलने का कोई डर न था। लेकिन सुबह मैं उठूं तो मैं कैसे पहचानूंगा कि मैं कौन हूं और तुम कौन हो?
वह आदमी कहने लगा, बड़े पागल मालूम होते हो!
तुम जैसा पागल मैंने कभी नहीं देखा!
वह फकीर कहने लगा, तुम मुझे पागल कहते हो! मैंने दुनिया में जो भी आदमी देखा, वह अपने कपड़ों से ही अपने को पहचानता हुआ देखा है।
अगर मैं पागल हूं तो सभी पागल हैं।
आप भी अपने को कपड़ों के अलावा और किसी चीज से पहचानते हैं?
कपड़े बहुत तरह के हैं—नाम भी एक कपड़ा है, जाति भी एक कपड़ा है, धर्म भी एक कपड़ा है। मैं हिंदू हूं मैं मुसलमान हूं? मैं जैन हूं— ये भी कपड़े हैं, ये भी बचपन के बाद पहनाए गए हैं। मेरा यह नाम है, मेरा वह नाम है— ये भी कपड़े हैं, ये भी बचपन के बाद पहनाए गए हैं।
इन्हीं को हम सोचते हैं अपना होना? तो हम जटिल हो जाएंगे, तो हम जटिल हो ही जाएंगे।
एक महानगरी में एक बहुत अदभुत नाटक चल रहा था। शेक्सपियर का नाटक था। उस नगरी में एक ही चर्चा थी कि नाटक बहुत अदभुत है, अभिनेता बहुत कुशल हैं।
उस नगर का जो सबसे बड़ा धर्मगुरु था, उसके भी मन में हुआ कि मैं भी नाटक देखूं। लेकिन धर्मगुरु नाटक देखने कैसे जाए? लोग क्या कहेंगे?
तो उसने नाटक के मैनेजर को एक पत्र लिखा और कहा कि मैं भी नाटक देखना चाहता हूं। प्रशंसा सुन—सुन कर पागल हुआ जा रहा हूं। लेकिन मैं कैसे आऊं? लोग क्या कहेंगे?
तो मेरी एक प्रार्थना है, तुम्हारे नाटक—गृह में कोई ऐसा दरवाजा नहीं है पीछे से जहां से मैं आ सकूं, कोई मुझे न देख सके? उस मैनेजर ने उत्तर लिखा कि आप खुशी से आएं, हमारे नाटक— भवन में पीछे दरवाजा है।
धर्मगुरुओं, सज्जनों, साधुओं के लिए पीछे का दरवाजा बनाना पड़ा है, क्योंकि वे सामने के दरवाजे से कभी नहीं आते। दरवाजा है, आप खुशी से आएं, कोई आपको नहीं देख सकेगा।
लेकिन एक मेरी भी प्रार्थना है, लोग तो नहीं देख पाएंगे कि आप आए, लेकिन इस बात की गारंटी करना मुश्किल है कि परमात्मा नहीं देख सकेगा।
पीछे का दरवाजा है, लोगों को धोखा दिया जा सकता है।
लेकिन परमात्मा को धोखा देना असंभव है। और यह भी हो सकता है कि कोई परमात्मा को भी धोखा दे दे, लेकिन अपने को धोखा देना तो बिलकुल असंभव है।
लेकिन हम सब अपने को धोखा दे रहे हैं। तो हम जटिल हो जाएंगे, सरल नहीं रह सकते। खुद को जो धोखा देगा वह कठिन हो जाएगा, उलझ जाएगा, उलझता चला जाएगा।
हर उलझाव पर नया धोखा, नया असत्य खोजेगा, और उलझ जाएगा। ऐसे हम कठिन और जटिल हो गए हैं।
हमने पीछे के द��वाजे खोज लिए हैं, ताकि कोई हमें देख न सके। हमने झूठे चेहरे बना रखे हैं, ताकि कोई हमें पहचान न सके। हमारी नमस्कार झूठी है, हमारा प्रेम झूठा है, हमारी प्रार्थना झूठी है।
एक आदमी सुबह ही सुबह आपको रास्ते पर मिल जाता है, आप हाथ जोड़ते हैं, नमस्कार करते हैं और कहते हैं, मिल कर बड़ी खुशी हुई।
और मन में सोचते हैं कि इस दुष्ट का चेहरा सुबह से ही कैसे दिखाई पड़ गया! तो आप सरल कैसे हो सकेंगे? ऊपर कुछ है, भीतर कुछ है। ऊपर प्रेम की बातें हैं, भीतर घृणा के कांटे हैं।
ऊपर प्रार्थना है, गीत हैं, भीतर गालियां हैं, अपशब्द हैं। ऊपर मुस्कुराहट है, भीतर आंसू हैं। तो इस विरोध में, इस आत्मविरोध में, इस सेल्फ कंट्राडिक्यान में जटिलता पैदा होगी, उलझन पैदा होगी।
परमात्मा कठिन नहीं है, लेकिन आदमी कठिन है। कठिन आदमी को परमात्मा भी कठिन दिखाई पड़ता हो तो कोई आश्चर्य नहीं।
मैंने सुबह कहा कि परमात्मा सरल है। दूसरी बात आपसे कहनी है, यह सरलता तभी प्रकट होगी जब आप भी सरल हों। यह सरल हृदय के सामने ही यह सरलता प्रकट हो सकती है।
लेकिन हम सरल नहीं हैं।
क्या आप धार्मिक होना चाहते हैं?
क्या आप आनंद को उपलब्ध करना चाहते हैं?
क्या आप शांत होना चाहते हैं?
क्या आप चाहते हैं आपके जीवन के अंधकार में सत्य की ज्योति उतरे?
तो स्मरण रखें— पहली सीढ़ी स्मरण रखें— सरलता के अतिरिक्त सत्य का आगमन नहीं होता है।
सिर्फ उन हृदयों में सत्य का बीज फूटता है जहां सरलता की भूमि है।
•••-=-•{{{{ ओशो }}}}•-=-•••
••{{{{ 🙏🏵️🙏}}}}••
ओशो।
"जीवन रहस्‍य"--(प्रवचन--12)
("धन्‍य है वे जो सरल है")
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°°••••••••{{ ओशो }}••••••••°°
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365store · 2 years
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Uunchai: फिल्म ‘ऊंचाई' का पहला सॉन्ग ‘केटी को' का टीजर हुआ रिलीज, Amitabh Bachchan के साथ डैनी ने भी किया चांस पे डांस
Uunchai: फिल्म ‘ऊंचाई’ का पहला सॉन्ग ‘केटी को’ का टीजर हुआ रिलीज, Amitabh Bachchan के साथ डैनी ने भी किया चांस पे डांस
Image Source : UUNCHAI Uunchai Uunchai 1st Song ‘Keti Ko’: साल की सबसे बहुचर्चित और प्रतिष्ठित मेगा स्टारर फ़िल्म ऊंचाई का पहला गाना ‘केटी को’ का टीजर रिलीज हुआ है। बता दें यह पूरा गाना 22 अक्टूबर को दुनिया के सामने आ जाएगा। इस गाने की एक छोटी-सी झलक सोशल मीडिया पर शेयर की गई। इस गाने में सर पर नेपाली टोपी लगाए अमिताभ बच्चन फ्लोर पर अपने यूनिक स्टाइल में थिरकते नजर आ रहे हैं। ‘केटी को’ गाने के बोल…
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medtalksblog · 2 years
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rudrjobdesk · 2 years
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बजट 2021: इंश्योरेंस सेक्टर में 74 फीसद तक FDI, इसी साल आएगा एलआईसी का IPO
बजट 2021: इंश्योरेंस सेक्टर में 74 फीसद तक FDI, इसी साल आएगा एलआईसी का IPO
आज तक 74 बजे तक वित्त मंत्री ने बजट भाषण में संचार। संचार के लिए ज़रूरी है I . वित्त मंत्री ने संचार के लिए चालू किया था I वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए सरकार के 27.1 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज से संरचनात्मक सुधारों को बढ़ावा मिला है। बजट बजट में 64,180 करोड़ रुपये के साथ व्यापार योजना शुरू करने के लिए। यह राष्ट्रीय…
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motivationalhindi · 4 years
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कॉमेडियन चार्ली चैप्लिन के शानदार विचार || Charlie Chaplin Best Quotes in Hindi
Charlie Chaplin Best Quotes in Hindi: चार्ली चैपलिन, नाम सुनते ही जो ब्लैक एंड वाइट फोटो जहन में आती है, जिसमे एक अदना सा व्यक्ति सिर पर छोटी सी टोपी, छोटी मूंछ, मासूम सी शक्ल, प्यारी मुस्कान, लम्बा कोट, हाथ में लकड़ी, और बड़े जुते पहना हुआ खड़ा है|
दिखने में जितने छोटे थे जीवन उतना ही विराट जिया |
चार्ली एक महान अंग्रेजी हास्य कलाकार, संगीतज्ञ और निर्देशक थे | कई बेहतरीन फिल्मे बनाई, कई अवार्ड उन्हें मिले है | दुनिया इस शख्स को उनके मरने के बाद भी बहुत पसंद करती है||
चार्ली का बचपन बहुत बूरा गुजरा |शायद इसी का प्रभाव था की उनकी फिल्मो में भुखमरी, लाचारी, गरीबी जैसे मुद्दे थे और उनमे में सिर्फ लोगो को हंसाया |
लेकिन चार्ली चैप्लिन के विचारो ने लोगो को सच्चाई से अवगत कराया | उन्होंने लोगो को जगाने की कोशिश भी की |
आइये जानते है चार्ली सर के उन विचारो के बारे में जो आपको बहुत प्रभावित करेंगे और साथ ही जीवन को समझने में सहायता भी करेंगे |
हर एक विचार प्रशंसनीय है|
Charlie Chaplin Best Quotes in Hindi:
Best Quote 1:
मैं हमेशा बरसात में घूमना पसंद करता हूँ, ताकि कोई मुझे रोते हुए न देख सके|
Best Quote 2:
किसी भी व्यक्ति का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है | Read More.....
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trendingwatch · 2 years
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'टॉप गन : मेवरिक' की बुलंदी जारी, बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़
‘टॉप गन : मेवरिक’ की बुलंदी जारी, बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़
टॉप गन: मावेरिक पैरामाउंट पिक्चर्स के लिए एक बोफो बाजीगरी बना हुआ है। और अब, यह घरेलू बॉक्स ऑफिस पर स्टूडियो की नंबर एक फिल्म है। सीक्वल ने हाल ही में $601.9 मिलियन की कमाई की, टाइटैनिक नामक एक छोटी सी फिल्म को पीछे छोड़ दिया। प्रभावशाली, लेकिन टीजीएम के लिए रिकॉर्ड तोड़ पुरानी टोपी होती जा रही है। Source link
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drdeepaksaini · 2 years
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क्या आप मेरे गठिया संबंधी घुटने को टोटल नी रिप्लेसमेंट (Total Knee Replacement)से बचा सकते हैं?
क्या अभी भी कोई रास्ता है जिससे हम घुटने में आर्टिकुलर कार्टिलेज के पूर्ण नुकसान वाले व्यक्ति में टोटल नी रिप्लेसमेंट से बच सकते हैं? उत्तर है, हाँ!!!! चुनिंदा मामलों में, हम आंशिक नी रिप्लेसमेंट (या यूनिकॉन्डाइलर नी रिप्लेसमेंट) की बहुत छोटी सर्जरी कर सकते हैं। आंशिक नी रिप्लेसमेंट या यूनिकॉन्डिलर नी रिप्लेसमेंट बहुत कम परिमाण की सर्जरी है, जिसमें टोटल नी रिप्लेसमेंट की तुलना में बहुत जल्दी रिकवरी होती है।
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            Consult With Dr. Deepak saini- By Click Here                                   Knee Replacement surgeon in Jaipur
पूरी कहानी को समझने के लिए हमें निम्नलिखित चार वैज्ञानिक तथ्यों को समझना होगा:
1. नी रिप्लेसमेंट वास्तव में क्या है? 2. हम एक्स-रे में उपास्थि क्षति का आकलन कैसे करते हैं? 3. आंशिक घुटने के प्रतिस्थापन के लिए उम्मीदवार कौन हैं? 4. आंशिक घुटना बदलने के क्या लाभ हैं?
नी रिप्लेसमेंट (Knee Replacement) वास्तव में क्या है? नी रिप्लेसमेंट, वास्तव में एक गलत नाम है। लोगों की धारणा है कि उनके घुटने के जोड़ को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा और एक नया घुटना प्रत्यारोपित किया जाएगा। नी रिप्लेसमेंट में हम घुटने को पूरी तरह से नहीं बदलते हैं। हम वास्तव में कार्टिलेज को बदल देते हैं जो क्षतिग्रस्त और खराब हो गया है। तो, वास्तव में, घुटने का प्रतिस्थापन घुटने के पुनरुत्थान के अलावा और कुछ नहीं है। हम हड्डियों के अंत को फिर से जीवित करते हैं जो घुटने के जोड़ का निर्माण करते हैं, अर्थात् जांघ की हड्डी (फीमर), शिन की हड्डी (टिबिया) और घुटने की टोपी (पटेला)। हम एक्स-रे में उपास्थि क्षति का आकलन कैसे करते हैं?
यदि आप नीचे दिए गए दो एक्स-रे की तुलना बाईं ओर करें तो आपको दोनों हड्डियों के बीच कुछ जगह मिलती है, और दाईं ओर आप पाते हैं कि हड्डियां एक-दूसरे को छू रही हैं। एक्स-रे पर दिखाई देने वाली दो हड्डियों के बीच दिखाई देने वाला स्थान वास्तव में तथाकथित संयुक्त स्थान या उपास्थि द्वारा कब्जा किया गया स्थान है। अंतरिक्ष उपास्थि की मात्रा का प्रतिनिधित्व करता है !!!!! यदि पर्याप्त स्थान है, पर्याप्त मात्रा में उपास्थि है यदि कोई स्थान नहीं है (जैसा कि दाईं ओर है), तो कोई उपास्थि नहीं है। यह उतना ही सरल है !!!! और दो हड्डियों के बीच की जगह की ऊंचाई, आनुपातिक रूप से, संयुक्त में उपलब्ध उपास्थि की मात्रा को इंगित करती है।
Unicondylar/आंशिक नी रिप्लेसमेंट क्या है? यदि आप नीचे दिए गए दो चित्रों की तुलना करते हैं, तो बाईं ओर यह पूरे घुटने में जगह की कमी को दर्शाता है, यह केवल घुटने के सीमित क्षेत्र में जगह की कमी को दर्शाता है। दाईं ओर की तस्वीर में, उपास्थि का नुकसान घुटने के अंदरूनी हिस्से तक ही सीमित है, या इसे मेडियल टिबियो-फेमोरल जोड़ भी कहा जाता है। तो, चयनित रोगियों में, जैसा कि दाईं ओर दिखाया गया है, कोई आंशिक घुटने के प्रतिस्थापन के बारे में सोच सकता है। सौभाग्य से, हमारे देश में बड़ी संख्या में मामले आंशिक घुटने के प्रतिस्थापन या यूनिकॉन्डिलर घुटने के प्रतिस्थापन के लिए पात्र हैं। अपने चिकित्सक से पूछें कि क्या आप आंशिक घुटने के प्रतिस्थापन के लिए उम्मीदवार हैं, यदि आपको कुल घुटने के प्रतिस्थापन की सलाह दी गई है। याद रखें यह सिर्फ आपका सर्जन ही तय कर सकता है, आप नहीं!!!!
Unicondylar/आंशिक नी रिप्लेसमेंट के क्या फायदे हैं? जैसा कि मैंने पहले कहा है, आंशिक नी रिप्लेसमेंट एक त्वरित और छोटी सर्जरी है, लेकिन ��से करने के लिए बहुत विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। सर्जरी में लगभग 30 मिनट लगते हैं और व्यावहारिक रूप से रक्त की हानि नहीं होती है। पुनर्वास आमतौर पर जल्दी होता है और रोगी कुछ घंटों के भीतर उठ जाता है और कुछ दिनों के भीतर बिना सहारे के चल सकता है। रोगी 3 से 4 सप्ताह में पद ग्रहण कर सकता है। अधिकांश रोगी 3 सप्ताह में गाड़ी चलाना शुरू कर देते हैं। 6 सप्ताह में रोगी लगभग सामान्य महसूस करने लगता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको क्रॉस लेग्ड बैठने और स्क्वाट करने की अनुमति है। भारत में, घुटने के दर्द और अंतिम चरण के गठिया से पीड़ित रोगियों की एक बड़ी संख्या है, जिनकी आजीविका एक गार्डनर की तरह क्रॉस लेग्ड या फर्श पर बैठने पर निर्भर करती है। इस प्रकार के रोगियों को आंशिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से अत्यधिक लाभ हो सकता है।
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thesuergicalnews · 2 years
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रमजान के तीसरे जुमे को सैकड़ों की संख्या में लोगों ने नमाज अदा की
रमजान के तीसरे जुमे को सैकड़ों की संख्या में लोगों ने नमाज अदा की
सेवराई। तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांव के मस्जिदों में शुक्रवार को अकीदत के साथ रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अदा की गई। पवित्र महीना रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को मस्जिदों में सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग जमा हुए। छोटी ईद कहलाने वाले जुमे की तैयारी सुबह से ही शुरू हो गई थी। साफ-सुथरे कपड़े पहन कर, सिर पर टोपी सजाए तथा इत्र की भीनी खुशबू के साथ हर उम्र के लोग…
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dainikuk · 3 years
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उत्तराखंड : नहीं रहे कैलाश भट्ट, पहाड़ी टोपी और मिरजई को दी थी पहचान
उत्तराखंड : नहीं रहे कैलाश भट्ट, पहाड़ी टोपी और मिरजई को दी थी पहचान
चमोली : लोगों के सिरों पर गोल पहाड़ी टोपी सजाने वाले कैलाश भट्ट अब नहीं रहे। उनका फूलदेई के त्यौहार के दिन आज निधन हो गया। पहाड़ी टोपी और मिर्ची जैसे पारंपरिक परिधानों से देश दुनिया को परिचित कराने वाले कैलाश भट्ट छोटी उम्र में ही इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने उन पहाड़ी और उत्तराखंडी परिधानों को देश दुनिया के विभिन्न मंचों पर ले जाने का काम किया, जिनको लोग भूल चुके थे। नई पीढ़ी को संस्कृति…
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akhaidas · 3 years
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#कबीरसागर_का_सरलार्थPart272
साहेब कबीर व गोरख नाथ की गोष्ठी
एक समय गोरखनाथ (सिद्ध महात्मा) काशी (बनारस) में स्वामी रामानन्द जी (जो साहेब कबीर के गुरु जी थे) से शास्त्रार्थ यानि गोष्ठी करने के लिए आए। जब ज्ञान गोष्ठी के लिए एकत्रित हुए तब कबीर साहेब भी अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामानन्द जी के साथ पहुँचे थे। एक उच्च आसन पर रामानन्द जी बैठे उनके चरणों में बालक रूप में कबीर साहेब (पूर्ण परमात्मा) बैठे थे। गोरख नाथ जी भी एक उच्च आसन पर बैठे थे तथा अपना त्रिशूल अपने आसन के पास ही जमीन में गाड़ रखा था।गोरख नाथ जी ने कहा कि रामानन्द मेरे से चर्चा करो। उसी समय बालक रूप (पूर्ण ब्रह्म) कबीर जी ने कहा - नाथ जी पहले मेरे से चर्चा करें। पीछे मेरे गुरुदेव जी से बात करना।
योगी गोरखनाथ प्रतापी, तासो तेज पृथ्वी कांपी। काशी नगर में सो पग परहीं, रामानन्द से चर्चा करहीं।
चर्चा में गोरख जय पावै, कंठी तोरै तिलक छुड़ावै। सत्य कबीर शिष्य जो भयऊ, यह वृतांत सो सुनि लयऊ।
गोरखनाथ के डर के मारे, वैरागी नहीं भेष सवारे। तब कबीर आज्ञा अनुसारा, वैष्णव सकल स्वरूप संवारा।
सो सुधि गोरखनाथ जो पायौ, काशी नगर शीघ्र चल आयौ। रामानन्द को खबर पठाई, चर्चा करो मेरे संग आई।
रामानन्द की पहली पौरी, सत्य कबीर बैठे तीस ठौरी। कह कबीर सुन गोरखनाथा, चर्चा करो हमारे साथा।
प्रथम चर्चा करो संग मेरे, पीछे मेरे गुरु को टेरे। बालक रूप कबीर निहारी, तब गोरख ताहि वचन उचारी।
इस पर गोरख नाथ जी ने कहा तू बालक कबीर जी कब से योगी बन गया। कल जन्मा अर्थात् छोटी आयु का बच्चा और चर्चा मेरे (गोरख नाथ के) साथ। तेरी क्या आयु है? और कब वैरागी (संत) बन गए?
गोरखनाथ जी का प्रश्न:-
कबके भए वैरागी कबीर जी, कबसे भए वैरागी।
कबीर जी का उत्तर:-
नाथ जी जब से भए वैरागी मेरी, आदि अंत सुधि लागी।।
धूंधूकार आदि को मेला, नहीं गुरु नहीं था चेला। जब का तो हम योग उपासा, तब का फिरूं अकेला।।
धरती नहीं जद की टोपी दीना, ब्रह्मा नहीं जद का टीका। शिव शंकर से योगी, न थे जदका झोली शिका।।
द्वापर को हम करी फावड़ी, त्रेता को हम दंडा। सतयुग मेरी फिरी दुहाई, कलियुग फिरौ नो खण्डा।।
गुरु के वचन साधु की संगत, अजर अमर घर पाया। कहैं कबीर सुनो हो गोरख, मैं सब को तत्त्व लखाया।।
साहेब कबीर जी ने गोरख नाथ जी को बताया हैं कि मैं कब से वैरागी बना। साहेब कबीर ने उस समय वैष्णों संतों जैसा वेष बना रखा था। जैसा श्री रामानन्द जी ने बाणा (वेष) बना रखा था। मस्तिक में चन्दन का टीका, टोपी व झोली सिक्का एक फावड़ी (जो भजन करने के लिए लकड़ी की अंग्रेजी के अक्षर ‘‘ ज्‘‘ के आकार की होती है) तथा एक डण्डा (लकड़ी का लट्ठा) साथ लिए हुए थे। ऊपर के शब्द में कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जब कोई सृष्टि (काल सृष्टि) नहीं थी तथा न सतलोक सृष्टि थी तब मैं (कबीर) अनामी लोक में था और कोई नहीं था। चूंकि साहेब कबीर ने ही सतलोक सृष्टि शब्द से रची तथा फिर काल (ज्योति निरंजन-ब्रह्म) की सृष्टि भी सतपुरुष ने रची। जब मैं अकेला रहता था जब धरती (पृथ्वी) भी नहीं थी तब से मेरी टोपी जानो। ब्रह्मा जो गोरखनाथ तथा उनके गुरु मच्छन्दर नाथ आदि सर्व प्राणियों के शरीर बनाने वाला पैदा भी नहीं हुआ था। तब से मैंने टीका लगा रखा है अर्थात् मैं (कबीर) तब से सतपुरुष आकार रूप मैं ही हूँ।
सतयुग-त्रेतायुग-द्वापर तथा कलियुग ये चार युग तो मेरे सामने असंख्यों जा लिए। कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि हमने सतगुरु वचन में रह कर अजर-अमर घर (सतलोक) पाया। इसलिए सर्व प्राणियों को तत्त्व (वास्तविक ज्ञान) बताया है कि पूर्ण गुरु से उपदेश ले कर आजीवन गुरु वचन में चलते हुए पूर्ण परमात्मा का ध्यान सुमरण करके उसी अजर-अमर सतलोक में जा कर जन्म-मरण रूपी अति दुःखमयी संकट से बच सकते हो।
इस बात को सुनकर गोरखनाथ जी ने पूछा हैं कि आपकी आयु तो बहुत छोटी है अर्थात् आप लगते तो हो बालक से।
जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी। असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी। हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।।
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया। सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।।
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी। देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।।
नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी। कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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dharmenders-blog · 3 years
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कबीर परमेश्वर और गुरु गोरखनाथ जी की गोष्ठी– Sat sahib ji ♥
एक समय गोरख नाथ (सिद्ध महात्मा) काशी (बनारस) में स्वामी रामानन्द जी (जो साहेब कबीर के गुरु जी थे) से शास्त्रार्थ करने के लिए (ज्ञान गोष्टी के लिए) आए। जब ज्ञान गोष्टी के लिए एकत्रित हुए तब कबीर साहेब भी अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामानन्द जी के साथ पहुँचे थे। एक उच्च आसन पर रामानन्द जी बैठे उनके चरणों में बालक रूप में कबीर साहेब (पूर्ण परमात्मा) बैठे थे।साहेब कबीर ने उस समय वैष्णों संतों जैसा वेष बना रखा था। जैसा श्री रामानन्द जी ने बाणा (वेष) बना रखा था। मस्तिक में चन्दन का टीका, टोपी व झोली सिक्का एक फावड़ी (जो भजन करने के लिए लकड़ी की अंग्रेजी के अक्षर ‘‘T‘‘ के आकार की होती है) तथा एक डण्डा (लकड़ी का लट्ठा) साथ लिए हुए थे। गोरख नाथ जी भी एक उच्च आसन पर बैठे थे तथा अपना त्रिशूल अपने आसन के पास ही जमीन में गाड़ रखा था। गोरख नाथ जी ने कहा कि रामानन्द मेरे से चर्चा करो। उसी समय बालक रूप (पूर्ण ब्रह्म) कबीर जी ने कहा - नाथ जी पहले मेरे से चर्चा करें। पीछे मेरे गुरुदेव जी से बात करना।
इस पर गोरख नाथ जी ने कहा तू बालक कबीर जी कब से योगी बन गया। कल जन्मा अर्थात् छोटी आयु का बच्चा और चर्चा मेरे (गोरख नाथ के) साथ। तेरी क्या आयु है? और कब वैरागी (संत) बन गए?
गोरखनाथ जी का प्रश्न:-
कबके भए वैरागी कबीर जी, कबसे भए वैरागी।
कबीर जी का उत्तर:-
नाथ जी जब से भए वैरागी मेरी, आदि अंत सुधि लागी।।
धूंधूकार आदि को मेला, नहीं गुरु नहीं था चेला।
जब का तो हम योग उपासा, तब का फिरूं अकेला।।
धरती नहीं जद की टोपी दीना, ब्रह्मा नहीं जद का टीका।
शिव शंकर से योगी, न थे जदका झोली शिका।।
द्वापर को हम करी फावड़ी, त्रोता को हम दंडा।
सतयुग मेरी फिरी दुहाई, कलियुग फिरौ नो खण्डा।।
गुरु के वचन साधु की संगत, अजर अमर घर पाया।
कहैं कबीर सुनांे हो गोरख, मैं सब को तत्व लखाया।।
साहेब कबीर जी ने गोरख नाथ जी को बताया हैं कि मैं कब से वैरागी बना। ऊपर के शब्द में कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जब कोई सृष्टि (काल सृष्टि) नहीं थी तथा न सतलोक सृष्टि थी तब मैं (कबीर) अनामी लोक में था और कोई नहीं था। चूंकि साहेब कबीर ने ही सतलोक सृष्टि शब्द से रची तथा फिर काल (ज्योति निरंजन-ब्रह्म) की सृष्टि भी सतपुरुष ने रची। जब मैं अकेला रहता था जब धरती (पृथ्वी) भी नहीं थी तब से मेरी टोपी जानो। ब्रह्मा जो गोरखनाथ तथा उनके गुरु मच्छन्दर नाथ आदि सर्व प्राणियों के शरीर बनाने वाला पैदा भी नहीं हुआ था। तब से मैंने टीका लगा रखा है अर्थात् मैं (कबीर) तब से सतपुरुष आकार रूप मैं ही हूँ।
सतयुग-त्रोतायुग-द्वापर तथा कलियुग ये चार युग तो मेरे सामने असंख्यों जा लिए। कबीर परमेश्वर जी ने कहा कि हमने सतगुरु वचन में रह कर अजर-अमर घर (सतलोक) पाया। इसलिए सर्व प्राणियों को तत्व (वास्तविक ज्ञान) बताया है कि पूर्ण गुरु से उपदेश ले कर आजीवन गुरु वचन में चलते हुए पूर्ण परमात्मा का ध्यान सुमरण करके उसी अजर-अमर सतलोक में जा कर जन्म-मरण रूपी अति दुःखमयी संकट से बच सकते हो।
इस बात को सुन कर गोरखनाथ जी ने पूछा हैं कि आपकी आयु तो बहुत छोटी है अर्थात् आप लगते तो हो बालक से।
जो बूझे सोई बावरा, क्या है उम्र हमारी।
असंख युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी।।टेक।।
कोटि निरंजन हो गए, परलोक सिधारी।
हम तो सदा महबूब हैं, स्वयं ब्रह्मचारी।।
अरबों तो ब्रह्मा गए, उनन्चास कोटि कन्हैया।
सात कोटि शम्भू गए, मोर एक नहीं पलैया।।
कोटिन नारद हो गए, मुहम्मद से चारी।
देवतन की गिनती नहीं है, क्या सृष्टि विचारी।।
नहीं बुढ़ा नहीं बालक, नाहीं कोई भाट भिखारी।
कहैं कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी।।
श्री गोरखनाथ सिद्ध को सतगुरु कबीर साहेब अपनी आयु का विवरण देते हैं। असंख युग प्रलय में गए। तब का मैं वर्तमान हूँ अर्थात् अमर हूँ। करोड़ों ब्रह्म (क्षर पुरूष अर्थात् काल) भगवान मृत्यु को प्राप्त होकर पुनर्जन्म प्राप्त कर चुके हैं।
एक ब्रह्मा की आयु 100 (सौ) वर्ष की है।
ब्रह्मा का एक दिन = 1000 (एक हजार) चतुर्युग तथा इतनी ही रात्राी।
दिन-रात = 2000 (दो हजार) चतुर्युग।
{नोट - ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इन्द्रों का शासन काल समाप्त हो जाता है। एक इन्द्र का शासन काल बहतर चतुर्युग का होता है। इसलिए वास्तव में ब्रह्मा जी का एक दिन (72 गुणा 14 =) 1008 चतुर्युग का होता है तथा इतनी ही रात्राी, परन्तु इस को एक हजार चतुर्युग ही मान कर चलते हैं।}
महीना = 30 गुणा 2000 = 60000 (साठ हजार) चतुर्युग।
वर्ष = 12 गुणा 60000 = 720000 (सात लाख बीस हजार) चतुर्युग की।
ब्रह्मा जी की आयु -
720000 गुणा 100 = 72000000 (सात करोड़ बीस लाख) चतुर्युग की।
ब्रह्मा से सात गुणा विष्णु जी की आयु -
72000000 गुणा 7 = 504000000 (पचास करोड़ चालीस लाख) चतुर्युग की विष्णु की आयु
है।
विष्णु से सात गुणा शिव जी की आयु -
504000000 गुणा 7 = 3528000000 (तीन अरब बावन करोड़ अस्सी लाख) चतुर्युग की शिव
की आयु हुई।
ऐसी आयु वाले सत्तर हजार शिव भी मर जाते हैं तब एक ज्योति निरंजन (ब्रह्म) मरता है। पूर्ण परमात्मा के द्वारा पूर्व निर्धारित किए समय पर एक ब्रह्मण्ड में महाप्रलय होती है। यह (सत्तर हजार शिव की मृत्यु अर्थात् एक सदाशिव/ज्योति निरंजन की मृत्यु होती है) एक युग होता है परब्रह्म का। परब्रह्म का एक दिन एक हजार युग का होता है इतनी ही रात्राी होती है तीस दिन-रात का एक महिना तथा बारह महिनों का परब्रह्म का एक वर्ष हुआ तथा सौ वर्ष की परब्रह्म की आयु है। परब्रह्म की भी मृत्यु होती है। ब्रह्म अर्थात् ज्योति निरंजन की मृत्यु परब्रह्म के एक दिन के पश्चात् होती है परब्रह्म के सौ वर्ष पूरे होने के पश्चात् एक शंख बजता है सर्व ब्रह्मण्ड नष्ट हो जाते हैं। केवल सतलोक व ऊपर तीनों लोक ही शेष रहते हैं। इस प्रकार कबीर परमात्मा ने कहा है कि करोड़ों ज्योति निरंजन मर लिए मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् मैं वास्तव में अमर पुरुष हूं। अन्य भगवान जिसका तुम आश्रय ले कर भक्ति कर रहे हो वे नाशवान हैं। फिर आप अमर कैसे हो सकते हो? अरबों तो ब्रह्मा गए, 49 कोटि कन्हैया। सात कोटि शंभु गए, मोर एक नहीं पलैया।
यहां देखें अमर पुरुष कौन है?
343 करोड़ त्रिलोकिय ब्रह्मा मर जाते हैं, 49 करोड़ त्रिलोकिय विष्णु तथा 7 करोड़ त्रिलोकिय शिव मर जाते हैं तब एक ज्योति निरंजन (काल-ब्रह्म) मरता है। जिसे गीता जी के अध्याय 15 के श्लोक 16 में क्षर -पुरूष (नाशवान) भगवान कहा है इसे ब्रह्म भी कहते हैं तथा इसी श्लोक में जिसे अक्षर पुरूष (अविनाशी) कहा है वह परब्रह्म है जिसे अक्षर पुरुष भी कहते हैं। अक्षर पुरुष अर्थात् परब्रह्म भी नष्ट होता है। यह काल भी करोड़ों समाप्त हो जाएंगे। तब सर्व अण्डों अर्थात् ब्रह्मण्डों का नाश होगा। केवल सतलोक व उससे ऊपर के लोक शेष रहेगें। अचिंत, सत्यपुरूष के आदेश से सृष्टि रचेगा। यही क्षर पुरुष तथा अक्षर पुरुष की सृष्टि पुनः प्रारम्भ होगी।
जो गीता जी के अध्याय 15 के श्लोक 17 में कहा है कि वह उत्तम पुरुष (पूर्ण परमात्मा) तो कोई और ही है जिसे अविनाशी परमात्मा नाम से जाना जाता है। वह पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर सतपुरुष स्वयं कबीर साहेब है। केवल सतपुरुष अजर-अमर परमात्मा है तथा उसी का सतलोक (सतधाम) अमर है जिसे अमर लोक भी कहते हैं। वहाँ की भक्ति करके भक्त आत्मा पूर्ण मुक्त होती है। जिसका कभी मरण नहीं होता। कबीर साहेब ने कहा कि यह उपलब्धि सत्यनाम के जाप से प्राप्त होती है जो उसके मर्म भेदी गुरु से मिले तथा उसके बाद सारनाम मिले तथा साधक आजीवन मर्यादा में रहकर तीनों मन्त्रों (ओम् तथा तत् जो सांकेतिक है तथा सत् भी सांकेतिक है) का जाप करे तब सतलोक में वास तथा सतपुरुष प्राप्ति होती है। करोंड़ों नारद तथा मुहम्मद जैसी पाक (पवित्र) आत्मा भी आकर (जन्म कर) जा (मर) चुके हैं, देवताओं की तो गिनती नहीं। मानव शरीर धारी प्राणियों तथा जीवों का तो हिसाब क्या लगाया जा सकता है? मैं (कबीर साहेब) न बूढ़ा न बालक, मैं तो जवान रूप में रहता हूँ जो ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक है। यह तो मैं लीलामई शरीर में आपके समक्ष हूँ। कहै कबीर सुनों जी गोरख, मेरी आयु (उम्र) यह है जो आपको ऊपर बताई है।
यह सुन कर श्री गोरखनाथ जी जमीन में गड़े लगभग 7 फूट ऊँचें त्रिशूल के ऊपर के भाग पर अपनी सिद्धि शक्ति से उड़ कर बैठ गए और कहा कि यदि आप इतने महान् हो तो मेरे बराबर में (जमीन से लगभग सात फूट) ऊँचा उठ कर बातें करो। यह सुन कर कबीर साहेब बोले नाथ जी! ज्ञान गोष्टी के लिए आए हैं न कि नाटक बाजी करने के लिए। आप नीचे आएं तथा सर्व भक्त समाज के सामने यथार्थ भक्ति संदेश दें।
श्री गोरखनाथ जी ने कहा कि आपके पास कोई शक्ति नहीं है। आप तथा आपके गुरुजी दुनियाँ को गुमराह कर रहे हो। आज तुम्हारी पोल खुलेगी। ऐसे हो तो आओ बराबर। तब कबीर साहेब के बार-2 प्रार्थना करने पर भी नाथ जी बाज नहीं आए तो साहेब कबीर ने अपनी पराशक्ति का प्रदर्शन किया। साहेब कबीर की जेब में एक कच्चे धागे की रील (कुकड़ी) थी जिसमें लगभग 150 (एक सौ पचास) फुट लम्बा धागा लिप्टा (सिम्टा) हुआ था, को निकाला और धागे का एक सिरा (आखिरी छौर) पकड़ा और आकाश में फैंक दिया। वह सारा धागा उस बंडल (कुकड़ी) से उधड़ कर सीधा खड़ा हो गया। साहेब कबीर जमीन से आकाश में उड़े तथा लगभग 150 (एक सौ पचास) फुट सीधे खड़े धागे के ऊपर वाले सिरे पर बैठ कर कहा कि आओ नाथ जी! बराबर में बैठकर चर्चा करें। गोरखनाथ जी ने ऊपर उड़ने की कोशिश की लेकिन उल्टा जमीन पर
टिक गए।
पूर्ण परमात्मा (पूर्णब्रह्म) के सामने सिद्धियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं। जब गोरख नाथ जी की कोई कोशिश सफल नहीं हुई, तब जान गए कि यह कोई मामूली भक्त या संत नहीं है। जरूर कोई अवतार (ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से) है। तब साहेब कबीर से कहा कि हे परम पुरुष! कृप्या नीचे आएँ और अपने दास पर दया करके अपना परिचय दें। आप कौन शक्ति हो? किस लोक से आना हुआ है? तब कबीर साहेब नीचे आए और कहा कि -
(कबीर सागर - अगम निगम बोध - पृष्ठ 41)
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
साहेब कबीर ने कहा कि हे अवधूत गोरखनाथ जी मैं तो अविगत स्थान (जिसकी गति/भेद कोई नहीं जानता उस सतलोक) से आया हूँ। मैं तो स्वयं शक्ति से बालक रूप बना कर काशी (बनारस) मंे एक लहर तारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुआ हूँ। वहाँ पर नीरू-नीमा नामक जुलाहा दम्पति को मिला जो मुझे अपने घर ले आया। मेरे कोई मात-पिता नहीं हैं। न ही कोई घर दासी (पत्नी) है और जो उस परमात्मा का वास्तविक नाम है, वही कबीर नाम मेरा है। आपका ज्योति स्वरूप जिसे आप अलख निरंजन (निराकार भगवान) कहते हो वह ब्रह्म भी मेरा ही जाप करता है। मैं सतनाम का जाप करने वाले साधक को प्राप्त होता हूँ अर्थात् वहीं मेरे विषय में सही जानता है। हाड-चाम तथा लहु रक्त से बना मेरा शरीर नहीं है। कबीर साहेब सतनाम की महिमा बताते हुए कहते हैं कि मेरे मूल स्थान (सतलोक) में सतनाम के आधार से जाया जाता है। अन्य साधकों को संकेत करते हुए प्रभु कबीर (कविर्देव) जी कह रहे हैं कि मैं उसी का जाप करता रहता हूँ। इसी मन्त्रा (सतनाम) से सतलोक जाने योग्य होकर फिर सारनाम प्राप्ति करके जन्म-मरण से पूर्ण छुटकारा मिलता है। यह तारन तरन पद (पूजा विधि) मैंने (कबीर साहेब अविनाशी भगवान ने) आपको बताई है। इसे कोई नहीं जानता। गोरख नाथ जी को बताया कि हे पुण्य आत्मा! आप काल क्षर पुरुष (ज्योति निरंजन) के जाल में ही हो। न जाने कितनी बार आपके जन्म हो चुके हैं। कभी चैरासी लाख जूनियों में कष्ट पाया। आपकी चारांे युगों की भक्ति को काल अब (कलियुग में) नष्ट कर देता यदि आप मेरी शरण मंे नहीं आते।
यह काल इक्कीस ब्रह्मण्डों का मालिक है। इसको शाप लगा है कि एक लाख मानव शरीर धारी (देव व ऋषि भी) जीव प्रतिदिन खायेगा तथा सवा लाख मानव शरीरधारी प्राणियों को नित्य उत्पन्न करेगा। इस प्रकार प्रतिदिन पच्चीस हजार बढ़ रहे हैं। उनको ठिकाने लगाए रखने के लिए तथा कर्म भुगताने के लिए अपना कानून बना कर चैरासी लाख योनियाँ बना रखी हैं। इन्हीं 25 हजार अधिक उत्पन्न जीवों के अन्य प्राणियों के शरीर में प्रवेश करता है। जैसे खून में जीवाणु, वायु में जीवाणु आदि-2। इसकी पत्नी आदि माया (प्रकृति देवी) है। इसी से काल (ब्रह्म/अलख निरंजन) ने (पत्नी-पति के संयोग से) तीन पुत्रा ब्रह्मा-विष्णु-शिव उत्पन्न किए। इन तीनों को अपने सहयोगी बना कर ब्रह्मा को शरीर बनाने का, विष्णु को पालन-पोषण का और शिव को संहार करने का कार्य दे रखा है। इनसे प्रथम तप करवाता है फिर सिद्धियाँ भर देता है जिसके आधार पर इनसे अपना उल्लु सीधा करता है और अंत में इन्हें (जब ये शक्ति रहित हो जाते हैं) भी मार कर तप्त शिला पर भून कर खाता है तथा अन्य पुत्रा पूर्व ही उत्पन्न करके अचेत रखता है उनको सचेत करके अपना उत्पति, स्थिति तथा संहार का कार्य करता है। ऐसे अपने काल लोक को चला रहा है। इन सब से ऊपर पूर्ण परमात्मा है। उसका ही अवतार मुझ (कबीर परमेश्वर) को जान।
गोरख नाथ के मन में विश्वास हो गया कि कोई शक्ति है जो कुल का मालिक है। गोरख नाथ ने कहा कि मेरी एक शक्ति और देखो। यह कह कर गंगा की ओर चल पड़ा। सर्व दर्शकों की भीड़ भी साथ ही चली। लगभग 500 फुट पर गंगा नदी थी। उसमंे जा कर छलांग लगाते हुए कहा कि मुझे ढूंढ दो। फिर मैं (गोरखनाथ) आप का शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन गए। साहेब कबीर ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ जी ने परमेश्वर कबीर जी को पूर्ण परमात्मा स्वीकार किया और शिष्य बने। परमेश्वर कबीर जी से सतनाम ले कर भक्ति की तथा सिद्धियाँ प्राप्त करने वाली साधना त्याग दी।
गीता जी के अध्याय 14 के श्लोक 26,27 का भाव है कि साधक अव्याभिचारिणी भक्ति अर्थात् पूर्ण आश्रित मुझ (काल-ब्रह्म) पर हो कर (अन्य देवी-देवताओं तथा माता, रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिव आदि की पूजा त्याग कर) केवल मेरी भक्ति करता है तथा एक मेरे मन्त्रा ऊँ का जाप करता है वह उपासक उस परमात्मा को पाने योग्य हो जाता है और आगे की साधना करके उस परमानन्द के परम सुख को भी मेरे माध्यम से प्राप्त करता है।
जैसे कोई विधार्थी मैट्रिक, बी.ए., एम.ए. करके किसी कोर्स में प्रवेश ले कर सर्विस प्राप्त करके रोजी प्राप्त करके सुखी होता है तो उसके लिए उसने मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त की जिसके बाद कोर्स (ट्रेनिंग) में प्रवेश किया। उसको मैट्रिक की शिक्षा प्रतिष्ठा (अवस्था) अर्थात् सहयोगी हुआ। सर्विस प्रदान कत्र्ता नहीं हुआ। ठीक इसी प्रकार काल भगवान (ब्रह्म) कह रहा है कि उस अविनाशी परमात्मा के अमरत्व का और नित्य रहने वाले स्वभाव का तथा धर्म का और अखण्ड स्थाई रहने के आनन्द का सहयोगी मैं (ब्रह्म) हूँ। इसी का प्रमाण गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 66 में कहा है कि सर्व मेरे सत्रा की साधनाओं (ओंम् एक अक्षर के जाप तथा पांचों यज्ञों की कमाई) को मुझमें त्याग कर एक (पूर्णब्रह्म) की शरण में जा तब तेरे सर्व पाप क्षमा करवा दूंगा। जिन भक्त आत्माओं ने काल (ब्रह्म) के ऊँ मन्त्रा का जाप अनन्य मन से किया। उनको कबीर भगवान ने आगे की उस पूर्ण परमात्मा की भक्ति प्रदान करके काल लोक से पार किया। जैसे नामदेव नामक परम भक्त केवल एक नाम ऊँ का जाप करते थे। उससे उनको बहुत सिद्धियाँ प्राप्त हो गई थी फिर भी मुक्ति नहीं थी। फिर कबीर साहेब श्री नामदेव जी को मिले तथा सतलोक व सतपुरुष का ज्ञान कराया। सोहं मन्त्र दिया जो परब्रह्म का जाप है। फिर सार शब्द दिया जो पूर्णब्रह्म का जाप है। जब नामदेव जी मुक्त हुए। Sat sahib ji 🙏
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abhinews · 3 years
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अब तो इन बंदरों के आतंक(Monkey Terror) से ब्रजवासियों को बचाओ मेरी सरकार
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आज की AbhiNews की इस श्रंखला का शीर्षक देखकर आप समझ ही गये होंगे कि आज के इस लेख के जरिये हमारा लक्ष्य सरकार का ध्यान मथुरा समेत पूरे ब्रज में बढ़ते बंदरों के आतंक की समस्या(Monkey Terror Problem) की ओर करना है जिनके कारण आये दिन ब्रजवासियो को जानमाल की हानि का नुकसान उठाना पड़ रहा है | आज मथुरा(Mathura)शहर समेत ब्रज(Brij) के विभिन्न कोने जैसे कि वृन्दावन(Vrindavan), गोवर्धन(Goverdhan), राया(Raya), गोकुल(Gokul) आदि ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं बचा है जहाँ इन उत्पाती बंदरो के खौफ के कारण आम ब्रजवासी जीने को मजबूर न हो | ये उत्पाती बन्दर जगह-जगह दिन में अपने झुंड बनाकर आम शहर और गाँव की आम सड़को और गलियों में छतो और कोनो में बैठ जाते है और फिर वहां से आने-जाने वाले लोग खासकर छोटे बच्चे,औरते और बुजुर्गो पर हमला करके उनसे खाने-पीने की चीज़े समेत चश्मा, मोबाइल और पर्स इत्यादि पर झपट्टा मारकर छीन लेते है और यदि कोई ऐसे में उनका विरोध करता है तो ये बन्दर उस व्यक्ति को काटकर घायल करने से भी नहीं चुकते है |
ब्रज क्षेत्र(Brij Area) वर्षो से बना हुआ है बंदरों(Monkey) के लिए एक सुरक्षित आवास का स्थल
मथुरा(Mathura) समेत पूरा ब्रज क्षेत्र(Brij Area) इन बंदरों(Monkey) के लिए पिछले कई वर्षो से एक सुरक्षित आवास का स्थल बना हुआ है |यहाँ पर ये वर्षो से आम जनमानस के बीच निवास करते रहे है | शुरूआती समय में इनकी जनसँख्या अधिक नहीं होने के कारण अपने खानपान की व्यवस्था ये खुद अच्छी तरह कर लेते थे लेकिन समय के साथ इनकी जनसंख्या भी अत्यधिक बढ़ने लगी है जिसके कारण आज इनके रहने और खानपान जैसी सभी व्यव्सथाओ का माहौल बिगड़ चुका है जिसका आज नतीजा ये है कि ये अब आम जनमानस के लिए बहुत ज्यादा परेशानी और चुनौती बनते जा रहे है | पूर्व के वर��षो में आम ब्रजवासियो(Brijwasi) को इनके इस तरह अपने साथ रहने में कोई परेशानी नहीं होती थी |लोग इन्हें खाने-पीने के लिए भी दे दिया करते थे जिसके कारण भी यहाँ पर इनकी संख्या में तेजी से इजाफा होता रहा | धीरे-धीरे आज कई वर्षो बाद पूरा ब्रज इन बंदरों(Monkeys) के लिए वनों और जंगलो की उपेक्षा रहने और खाने की व्यवस्थाओ के अनुरूप एक सुरक्षित और सुगम स्थान बन गया है |   समय के साथ ही बढ़ता जा रहा है इन बंदरों के खौफ का आतंक(Monkey Terror) आज ये बन्दर(Monkeys) भी समय के साथ तेजी से आमजनमानस को डराकर छीनाझपटी के तरीके भी बदलते जा रहे है जो आपको खासतौर पर देखने को मिलते है वृन्दावन में | ये बन्दर वृन्दावन(Vrindavan) में विशेष रूप से बांकेबिहारी जी के मंदिर(Banke Bihari Temple) के आसपास गलियों में झुंड बनाकर घरो और दुकानों की छतो पर बैठ जाते है और हर आने-जाने वाले खासतौर पर बाहर से दर्शन करने आये लोगो को अपना निशाना बनाकर उनसे चश्मे,पर्स,टोपी आदि सामान अचानक हमले की मुद्रा बनाकर छीन लेते है और बदले में फ्रूटी आदि लेकर आपका सामान छोड़ते है यदि आपकी किस्मत अच्छी हुई तो नही तो आपका वही सामन एक से दूसरे बन्दर का पास घूमता रहता है और फिर आप उस सामन को भूल ही जाये | अब यदि आपका कोई कीमती सामना जैसे कि कोई मोबाइल, पर्स या बैग इनके हाथो पड़ गया तो फिर आपको वहाँ के स्थानीय निवासी आपका वो सामन वापस दिलाने की एवज में सुविधा शुल्क की मांग करते है जिसे आपको मानना पड़ता है और बदले में वो आपको आपका सामान इन बंदरों से वापस दिलाने में सहायता करते है | यहाँ तक वृन्दावन में इन बंदरों ने कुछ लोगो से उनका पैसे से भरा बैग तक भी छीना है | प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही के कारण ब्रजवासी(Brijwasi) हो रहे है बंदरो के हमलो(Monkey Terror) के शिकार आज ये बन्दर पूरे ब्रज(Brij) में आये दिन कही न कही किसी क्षेत्र में आमजनमानस की जानमाल की हानि का शिकार हो रहे है जिसमे कुछ लोगो को अपने प्राण तक गवाने पड़े है लेकिन अभी तक प्रशासन का इस मुद्दे की तरफ उदासीनता और लापरवाही लगातार देखने को मिल रही है | खासकर मथुरा(Mathura) और वृन्दावन(Vrindavan) के शहरी क्षेत्र में अब इन बंदरों का आतंक हाल के कुछ वर्षो में ज्यादा ही बढ़ गया है जहाँ ये लोगो से आम मार्गो और घरो की छतो पर उनका सामान छीनने के लिए हमला कर देते है जिसमे कई लोग घायल हो चुके है और कुछ अपने प्राण भी गवां चुके है | इनका ख़ास शिकार छोटे बच्चे,औरते और बुजुर्ग रहते है जिनसे ये आसानी से खाने-पीने और अन्य सामान की छीनाझपटी कर लेते है | आमजनमानस ने इस मुद्दे को लेकर पूरे ब्रज में कई बार शासन और प्रशासन में बैठे जनप्रतिनिधियों से वार्ता की |धरने, प्रदर्शन और आन्दोलन तक किये लेकिन आजतक ब्रजवासियो को बंदरो के आतंक से मुक्ति नहीं मिली | यहाँ तक की मथुरा नगर(Mathura City) के कुछ स्वयंसेवकों ने कुछ वर्ष पूर्व इस समस्या के निदान लिए पूरे ब्रज में हस्ताक्षर आन्दोलन चलाया था और इस समस्या के निदान से सम्बन्धित मांग के लाखो हस्ताक्षर किये हुए दस्तावेज प्रशासन को भेजे थे लेकिन प्रशासनिक अधिकारियो द्वारा ना तब कुछ किया गया और ना ही आज कुछ किया जा रहा है | हालांकि कुछ जनप्रतिनिधियो द्वारा ब्रज को बंदरो की समस्या से निदान दिलाने का मुद्दा समय-समय पर विधान सभा और लोक सभा में उठाया जा चुका है लेकिन फिर भी ये समस्या जस की तस बनी हुई है | ब्रज को इन बंदरों के आतंक(Monkey Terror) से मुक्ति दिलाने के लिए इन्हें कई बार पकड़कर दूसरी सुरक्षित जगह छोड़ने की योजना भी बनाई गई लेकिन कोई योजना आजतक अमल में नहीं लाई गई है | बंदरों के आतंक की समस्या(Monkey Terror Problem) के कारण आज ब्रजवासी घरो में रहने को मजबूर आज इन बंदरों के बढ़ते आतंक(Monkey Terror) के कारण आमजनमानस अपने घरो में रहने को मजबूर हो चुके है| यहाँ तक की लोगो ने इनसे बचने के लिए अपने घरो में लोहे और स्टील के बड़े-बड़े जाल लगवाने शुरू कर दिए है जिसके कारण ब्रज के लोहा और स्टील के व्यापार से जुड़े व्यापारी और कारीगरों की खूब चांदी हो रही है | वो आमजनमानस की मजबूरी का फायदा उठाकर मनमाने दाम वसूल करते है और लोगो को बंदरों की समस्या के कारण अपने घर को सुरक्षित बनाने के लिए अनाप-शनाप पैसे खर्च करने पड़ते है | यहाँ तक कि आज लोग सुबह या शाम ताज़ी हवा खाने और घूमने अकेले ना ही तो अपनी घरो की छतो पर जा सकते है और ना ही अकेले किसी बाग़ या रोड पर |सबको बस यहीं डर लगता है कि ना जाने कहाँ से ये बन्दर आ जाये और उनपर हमला कर दे |आज ब्रज के लोगो में इन बंदरों का इतना खौफ मन ही मन बैठ चुका है |   पहले होगा बंदरों  के आतंक की समस्या(Monkey Terror Problem) का निदान बाद में मतदान वर्षो तक प्रशासन और शासन के जनप्रतिनिधियों का इस समस्या की ओर दिखाई गई उदासीनता के कारण अब बृज(Brij) के आमजनमानस ने एक होकर एक नारा दिया है “पहले होगा बंदरों की समस्या का निदान बाद में मतदान” यहाँ के निवासियों का बिलकुल साफ़ शब्दों में कहना है कि अब जो कोई जनप्रतिनिधि आम लोगो की इस समस्या की और गंभीरपूर्वक ध्यान देकर निदान करेगा,लोग उसी को वोट करेंगे नहीं तो किसी को भी नहीं | अब AbhiNews ने ब्रज के निवासियों को उनकी इस समस्या से निदान दिलाने का बीड़ा उठाया है जिसके लिए अपने आने वाले लेखो में इस मुद्दे को एक श्रंखला के रूप में लगातार उठाते रहेंगे और प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर खीचते रहेंगे | अपने इस कार्य में हमे आप लोगो के जनसहयोग की भी आवश्यकता है जिसके लिए आप इस समस्या से जुडी अपनी राय और छोटी-बड़ी खबर हमे अवश्य भेजे | Read the full article
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everynewsnow · 4 years
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एक साल में अमीर होना मुश्किल है, लेकिन इक्विटी के प्रति झुकाव: महेश पाटिल
एक साल में अमीर होना मुश्किल है, लेकिन इक्विटी के प्रति झुकाव: महेश पाटिल
लार्जकैप अब अधि�� स्थिरता प्रदान करते हैं। लेकिन यहां तक ​​कि midcaps और छोटी टोपी कंपनियाँ जो कि घरेलू विकास पर अधिक निर्भर हैं, अच्छा करेंगे। कुछ के साथ एक संतुलित दृष्टिकोण बड़ी टोपी या शायद एक मल्टीपैप फंड एक बेहतर विकल्प होगा, कहते हैं महेश पाटिल, सह-मुख्य निवेश अधिकारी, एबीएसएल एएमसी। क्या आप कहेंगे कि कोई व्यक्ति लार्ज कैप के लिए अधिक जोखिम वाला ��ै और म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए भी…
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abhay121996-blog · 4 years
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ऐश्वर्या राय बच्चन की ननद श्वेता नंदा भी थीं सलमान की खूब दीवानी, सोते वक्त 'मैंने प्यार किया' वाली टोपी रखती थीं साथ Divya Sandesh
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ऐश्वर्या राय बच्चन की ननद श्वेता नंदा भी थीं सलमान की खूब दीवानी, सोते वक्त 'मैंने प्यार किया' वाली टोपी रखती थीं साथ
अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नंदा बच्चन आज 17 मार्च को अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। श्वेता की फैमिली में जहां पिता अमिताभ बच्चन, मां जया बच्चन और भाई अभिषेक फिल्मी दुनिया का हिस्सा रहे, वहीं वह इससे दूर रही हैं। हालांकि, एक ऐड में श्वेता बच्चन अपने पिता अमिताभ के साथ जरूर नजर आईं, लेकिन वह भी काफी विवादों में रहा। श्वेता बचपन से ही फिल्म जगह से जुड़ी फैमिली के बीच पली-बढ़ीं और बचपन से ही उन्हें सलमान खान पर जबरदस्त क्रश था।
श्वेता जब छोटी थीं तो अक्सर अपने माता-पिता के साथ फिल्म के सेट पर भी जाया करती थीं। श्वेता सलमान की जबरदस्त फैन हुआ करती थीं। श्वेता ने खुद उन्हें अपना टीनेज क्रश बताया था। ये सारी बातें श्वेता ने करण जौहर के चैट शो ‘कॉफी विद करण’ में बताई थीं।
‘कॉफी विद करण’ शो के रैपिड फायर राउंड में करण जौहर ने श्वेता बच्चन से पूछा, ‘इन सेलेब्स को हॉटनेस के हिसाब से रैंक करें- सलमान, शाहरुख, आमिर, रितिक और अजय।’ श्वेता ने सबसे पहले सलमान का नाम लिया था। इस पर करण ने कहा कि सलमान तुम्हारा टीनेज क्रश भी था।
तब श्वेता ने यह मजेदार बात बताई थी। उन्होंने बताया था, ‘अभिषेक बच्चन उनके लिए वह कैप भी लाए जो सलमान खान ने मैंने प्यार किया फिल्म में पहनी थी। मैं रात में उस कैप को लेकर सोती थी।’ श्वेता ने साथ ही यह भी बताया था कि जब वह बोर्डिंग स्कूल में थी तब सलमान खान की ‘मैंने प्यार किया’ फिल्म देखी। उन्होंने बताया था कि स्कूल के दिनों में ज्यादा फिल्में देखना मना था। तब उन्‍होंने एक टेप रिकॉर्डर लिया और पूरी फिल्म का ऑडियो रिकॉर्ड कर लिया। वह इस फिल्म के डायलॉग रोज सुनती थीं। यहां बता दें कि ऐश्वर्या राय बच्चन और सलमान खान के अफेयर का किस्सा भी इंडस्ट्री में काफी समय तक चलता रहा था।
अमिताभ बच्चन के साथ एक ऐड में श्वेता बच्चन नजर आई थीं, जिसपर काफी बवाल मचा। खासकर बैंकिंग से जुड़े लोगों ने इस ऐड के खिलाफ जमकर शिकायत की और आखिरकार मेकर्स को इसे वापस लेना पड़ा था। इस ऐड में दिखाया गया था कि वह बुजुर्ग अपने पेंशन खाते में आए अतिरिक्त पैसे को लौटाने बैंक जाता है और उसकी बेटी भी उसके साथ जाती है। बैंक कर्मचारियों को लगता है कि वह व्यक्ति अपना पेंशन लेने आया है और वो लोग उससे अच्छा व्यवहार नहीं करते। इस ऐड के रिलीज होते ही बैंकिंग में काम करने वाले लोगों ने आपत्ति जताई और काफी बवाल मचा था।
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