रूसी मीडिया ने 2 सैन्य ठिकानों पर अस्पष्ट विस्फोटों की रिपोर्ट दी
रूसी मीडिया ने 2 सैन्य ठिकानों पर अस्पष्ट विस्फोटों की रिपोर्ट दी
द्वारा एसोसिएटेड प्रेस
कीव: रूसी मीडिया ने बताया कि सोमवार को रूस में दो हवाई अड्डों पर विस्फोट हुए। विस्फोटों में से एक कथित तौर पर उस आधार पर हुआ जहां परमाणु-सक्षम रणनीतिक बमवर्षक हैं जो यूक्रेन के खिलाफ हमले शुरू करने में शामिल रहे हैं।
विस्फोटों के संभावित कारण पर न तो यूक्रेनी और न ही रूसी अधिकारियों ने तुरंत टिप्पणी की।
रूसी राज्य आरआईए नोवोस्ती समाचार एजेंसी ने कहा कि तीन सैनिकों की मौत हो…
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पिंजरे में बंद बाघ को परेशान करने वाले की पल भर में हुई हवा टाइट, सलाखों में अटका हाथ तो याद आ गई नानी
पिंजरे में बंद बाघ को परेशान करने वाले की पल भर में हुई हवा टाइट, सलाखों में अटका हाथ तो याद आ गई नानी
बेजुबान जानवरों के साथ बदसलूकी करने वालों की कमी नहीं है. ऐसे लोग जब भी किसी कमज़ोर या असहाय जानवर को देखते हैं तो उसपर अपनी ताकत की आज़माइश करने के बाज़ नहीं आते. कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जिनमें खुद को कोई दम नहीं लेकिन हां किसी ज़ू में कैद जानवर को देखकर शेखी बघारने से पीछे नहीं रहते वो. हालांकि ऐसी हरकत के चक्कर में कई लोगों को लेने के देने पड़ चुके हैं.
जंगली जानवरों के सामने ऐसे तो बोलती…
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उन के अंदाज़-ए-करम उन पे वो आना दिल का
हाय वो वक़्त वो बातें वो ज़माना दिल का
न सुना उस ने तवज्जोह से फ़साना दिल का
ज़िंदगी गुज़री मगर दर्द न जाना दिल का
कुछ नई बात नहीं हुस्न पे आना दिल का
मश्ग़ला है ये निहायत ही पुराना दिल का
वो मोहब्बत की शुरूआ'त वो बे-थाह ख़ुशी
देख कर उन को वो फूले न समाना दिल का
दिल लगी दिल की लगी बन के मिटा देती है
रोग दुश्मन को भी यारब न लगाना दिल का
एक तो मेरे मुक़द्दर को बिगाड़ा उस ने
और फिर उस पे ग़ज़ब हंस के बनाना दिल का
मेरे पहलू में नहीं आप की मुट्ठी में नहीं
बे-ठिकाने है बहुत दिन से ठिकाना दिल का
वो भी अपने न हुए दिल भी गया हाथों से
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना दिल का
ख़ूब हैं आप बहुत ख़ूब मगर याद रहे
ज़ेब देता नहीं ऐसों को सताना दिल का
बे-झिजक आ के मिलो हंस के मिलाओ आँखें
आओ हम तुम को सिखाते हैं मिलाना दिल का
नक़्श-ए-बर आब नहीं वहम नहीं ख़्वाब नहीं
आप क्यूँ खेल समझते हैं मिटाना दिल का
हसरतें ख़ाक हुईं मिट गए अरमाँ सारे
लुट गया कूचा-ए-जानां में ख़ज़ाना दिल का
ले चला है मिरे पहलू से ब-सद शौक़ कोई
अब तो मुम्किन नहीं लौट के आना दिल का
उन की महफ़िल में 'नसीर' उन के तबस्सुम की क़सम
देखते रह गए हम हाथ से जाना दिल का
-Peer Naseeruddin Naseer
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तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बनाने की कोशिश की थी
तेरी नज़रो मे खुद के लिए मोहब्बत देखने की ख़्वाहिश की थी
मगर खुदा को इतना भी गवारा ना था
जो मेरी आशिकी का सिला कुछ इस कदर दिया
के अब तो मयखानो मे नये ठिकाने ढूंढती हू
इस ख्याल मे के आरजू अपनी औकात से बड़ी की थी
— Heer♡
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राह देखेंगी तेरी
चाहे ज़माने लग जाएं ;
या तू आजाए
या हम ठिकाने लग जाएं।
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भूल जाता हूँ
मैं अक्सर ख़ुद को भूल जाता हूँ
जब बेटी को उसका पसंदीदा गाना सुनना होता है
मैं अपनी news भूल जाता हूँ
उसके साथ दो पाल ज़्यादा बिताने
उसके साथ उसकी school तक जाता हूँ
बीवी को घूमना पसंद है
इसलिए duty के बाद की थकान भूल जाता हूँ
दुकाने इतनी घूमनी होती है उसे
के अपने ही ठिकाने भूल जाता हूँ
दोस्त यार अब चौराहे पर नहीं बुलाते मुझे
कहते है, मैं उन्हें भूल जाता हूँ
.
.
.
.
बस थक इतना गया हूँ
सह लेता हूँ, जताना भूल जाता हूँ
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1305
"क़दीम पिंजरे " - कामिनी मोहन
कुछ रिश्ते विजिटिंग-कार्ड की तरह होते हैं
जो आलमारी के कोने में पड़े रह जाते हैं।
कभी हम उन तक कभी वो
हम तक पहुँच नहीं पाते हैं।
यह भी देख रहा हूँ कि सिर्फ़
तेज़ बारिश है और
क़दीम पिंजरे ठिकाने बने हुए हैं
बादलों से काग़ज़ात बिछड़े हुए हैं
भीग चुकी हैं सारी रक़म और
हक़दार तालाब व नदी तक पहुँचे हुए हैं।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
शब्दार्थ:
क़दीम -पुराना, प्राचीन
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कहानी - मुर्गा की अकल ठिकाने
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jharkhand ed action-मंत्री आलमगीर व आईएएस मनीष रंजन से जुड़े मामले को लेकर ईडी की कार्रवाई, रांची के कोकर व पिस्का मोड़ में छापेमारी
रांची: राजधानी रांची में एक बार फिर से ईडी ने दबिश दी है. बुधवार की देर शाम ईडी की टीम राजधानी रांची में दो ठिकाने पर छापेमारी कर रही है. ईडी की टीम ने कोकर के अयोध्यापुरी रोड नंबर-1 में बुधवार को छापेमारी की है. वहीं दूसरी तरफ रातु रोड के पिस्का मोड़ स्थित तेल मिल गली में ईडी की टीम छापेमारी कर रही है. कोकर में ईडी की टीम निजी बैंक के अधिकारी सौरभ कुमार के घर पर पहुंची है. आलमगीर आलम और आईएएस…
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India To Lose Asian Games Medal After Boxer Parveen Hooda's Suspension | Boxing News
परवीन की फाइल फोटो© ट्विटर
कांस्य पदक व��जेता मुक्केबाज परवीन हुडा को ठिकाने की विफलता के लिए 22 महीने के लिए निलंबित किए जाने के बाद भारत को हांग्जो एशियाई खेलों में पदक गंवाना तय है। परवीन ने पिछले साल एशियाई खेलों में महिलाओं के 57 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था, जिससे उन्हें पेरिस ओलंपिक कोटा भी मिला था। हालाँकि, परिणाम प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी…
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( #Muktibodh_Part280 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part281
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 534-535
◆ यदि पिता अपनी सन्तान को भी दर्शन नहीं देता तो उसमें कोई त्रुटि है जिस कारण से छुपा है तथा सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है। काल (ब्रह्म) को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों का आहार करना पड़ता है तथा 25 प्रतिशत प्रतिदिन जो ज्यादा उत्पन्न होते हैं उन्हें ठिकाने लगाने के लिए तथा कर्म भोग का दण्ड देने के लिए चौरासी लाख योनियों की रचना की हुई है। यदि सबके सामने बैठ कर किसी की पुत्र, किसी की पत्नी,
किसी के पुत्री, माता-पिता को खा गए तो सर्व को ब्रह्म से घृणा हो जाए तथा जब भी कभी पूर्ण परमात्मा कविरग्नि (कबीर परमेश्वर) स्वयं आए या अपना कोई संदेशवाहक (दूत) भेंजे तो सर्व प्राणी सत्यभक्ति करके काल के जाल से निकल जाएं।
इसलिए धोखा देकर रखता है तथा पवित्रा गीता अध्याय 7 श्लोक 18,24,25 में अपनी साधना से होने वाली मुक्ति (गति) को भी (अनुत्तमाम्) अति अश्रेष्ठ कहा है तथा अपने
विधान (नियम)को भी (अनुत्तम) अश्रेष्ठ कहा है।
प्रत्येक ब्रह्माण्ड में बने ब्रह्मलोक में एक महास्वर्ग बनाया है। महास्वर्ग में एक स्थान पर नकली सतलोक - नकली अलख लोक - नकली अगम लोक तथा नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखा देने के लिए प्रकृति (दुर्गा/आदि माया) द्वारा करवा रखी है।
कबीर साहेब का एक शब्द है ‘कर नैनों दीदार महल में प्यारा है‘ में वाणी है कि ‘काया भेद किया निरवारा, यह सब रचना पिण्ड मंझारा है। माया अविगत जाल पसारा, सो कारीगर भारा है। आदि माया किन्ही चतुराई, झूठी बाजी पिण्ड दिखाई, अविगत रचना रचि अण्ड माहि वाका प्रतिबिम्ब डारा है।‘
एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। जहाँ पर बैठकर तीन��ं प्रभु नीचे के तीन लोकों (स्वर्गलोक अर्थात् इन्द्र का लोक - पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक) पर एक - एक विभाग
के मालिक बन कर प्रभुता करते हैं तथा अपने पिता काल के खाने के लिए प्राणियों की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार का कार्यभार संभालते हैं। तीनों प्रभुओं की भी जन्म व मृत्यु होती है। तब काल इन्हें भी खाता है। इसी ब्रह्माण्ड {इसे अण्ड भी कहते हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड की
बनावट अण्डाकार है, इसे पिण्ड भी कहते हैं क्योंकि शरीर (पिण्ड) में एक ब्रह्माण्ड की रचना कमलों में टी.वी. की तरह देखी जाती है} में एक मानसरोवर तथा धर्मराय (न्यायधीश) का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माएँ रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधि पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस समय मानव शरीर प्राप्त होता है तथा ये शीघ्र ही सत भक्ति पर लग जाते हैं तथा सतगुरु से दीक्षा प्राप्त करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर जाते हैं। उस स्थान पर रहने वाले हंस आत्माओं की निजी भक्ति कमाई खर्च नहीं होती। परमात्मा के भण्डार से सर्व सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। ब्रह्म (काल) के उपासकों की भक्ति कमाई स्वर्ग-महा स्वर्ग में समाप्त हो जाती है क्योंकि इस काल लोक (ब्रह्म लोक) तथा परब्रह्म लोक में प्राणियों को अपना किया कर्मफल ही मिलता है।
क्षर पुरुष (ब्रह्म) ने अपने 20 ब्रह्माण्डों को चार महाब्रह्माण्डों में विभाजित किया है।
एक महाब्रह्माण्ड में पाँच ब्रह्माण्डों का समूह बनाया है तथा चारों ओर से अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है तथा चारों महा ब्रह्माण्डों को भी फिर अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका
है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड की रचना एक महाब्रह्माण्ड जितना स्थान लेकर की है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में प्रवेश होते ही तीन रास्ते बनाए हैं। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में भी बायीं तरफ नकली सतलोक, नकली अलख लोक, नकली अगम लोक, नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखे में रखने के लिए आदि माया (दुर्गा) से करवाई है तथा दायीं तरफ बारह सर्व श्रेष्ठ ब्रह्म साधकों (भक्तों) को रखता है। फिर प्रत्येक युग में उन्हें अपने संदेश वाहक (सन्त सतगुरू) बनाकर पृथ्वी पर भेजता है, जो शास्त्र विधि रहित साधना व ज्ञान बताते हैं तथा
स्वयं भी भक्तिहीन हो जाते हैं तथा अनुयाइयों को भी काल जाल में फंसा जाते हैं। फिर वे गुरु जी तथा अनुयाई दोनों ही नरक में जाते हैं। फिर सामने एक ताला (कुलुफ) लग�� रखा है। वह रास्ता काल (ब्रह्म) के निज लोक में जाता है। जहाँ पर यह ब्रह्म (काल) अपने वास्तविक मानव सदृश काल रूप में रहता है। इसी स्थान पर एक पत्थर की टुकड़ी तवे के आकार की (चपाती पकाने की लोहे की गोल प्लेट सी होती है) स्वतः गर्म रहती है। जिस
पर एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को भूनकर उनमें से गंदगी निकाल कर खाता है। उस समय सर्व प्राणी बहुत पीड़ा अनुभव करते हैं तथा हाहाकार मच जाती है। फिर कुछ समय उपरान्त वे बेहोश हो जाते हैं। जीव मरता नहीं। फिर धर्मराय के लोक में जाकर कर्माधार से अन्य जन्म प्राप्त करते हैं तथा जन्म-मृत्यु का चक्कर बना रहता है।
उपरोक्त सामने लगा ताला ब्रह्म (काल) केवल अपने आहार वाले प्राणियों के लिए कुछ क्षण के लिए खोलता है। पूर्ण परमात्मा के सत्यनाम व सारनाम से यह ताला स्वयं खुल जाता है। ऐसे काल का जाल पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) ने स्वयं ही अपने निजी भक्त धर्मदास जी को समझाया|
क्रमशः_____
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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आँख में जितने भी आँसू थे, ठिकाने लग गए
आते-आते इक तबस्सुम तक ज़माने लग गए
अब तो सहरा और समंदर के लिए हैं बारिशें
खेतियाँ जितनी थीं, उन पे कारख़ाने लग गए
– मेरे बाद, राहत इंदौरी
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पेज नंबर 534-535
◆ यदि पिता अपनी सन्तान को भी दर्शन नहीं देता तो उसमें कोई त्रुटि है जिस कारण से छुपा है तथा सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है। काल (ब्रह्म) को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों का आहार करना पड़ता है तथा 25 प्रतिशत प्रतिदिन जो ज्यादा उत्पन्न होते हैं उन्हें ठिकाने लगाने के लिए तथा कर्म भोग का दण्ड देने के लिए चौरासी लाख योनियों की रचना की हुई है। यदि सबके सामने बैठ कर किसी की पुत्र, किसी की पत्नी,
किसी के पुत्री, माता-पिता को खा गए तो सर्व को ब्रह्म से घृणा हो जाए तथा जब भी कभी पूर्ण परमात्मा कविरग्नि (कबीर परमेश्वर) स्वयं आए या अपना कोई संदेशवाहक (दूत) भेंजे तो सर्व प्राणी सत्यभक्ति करके काल के जाल से निकल जाएं।
इसलिए धोखा देकर रखता है तथा पवित्रा गीता अध्याय 7 श्लोक 18,24,25 में अपनी साधना से होने वाली मुक्ति (गति) को भी (अनुत्तमाम्) अति अश्रेष्ठ कहा है तथा अपने
विधान (नियम)को भी (अनुत्तम) अश्रेष्ठ कहा है।
प्रत्येक ब्रह्माण्ड में बने ब्रह्मलोक में एक महास्वर्ग बनाया है। महास्वर्ग में एक स्थान पर नकली सतलोक - नकली अलख लोक - नकली अगम लोक तथा नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखा देने के लिए प्रकृति (दुर्गा/आदि माया) द्वारा करवा रखी है।
कबीर साहेब का एक शब्द है ‘कर नैनों दीदार महल में प्यारा है‘ में वाणी है कि ‘काया भेद किया निरवारा, यह सब रचना पिण्ड मंझारा है। माया अविगत जाल पसारा, सो कारीगर भारा है। आदि माया किन्ही चतुराई, झूठी बाजी पिण्ड दिखाई, अविगत रचना रचि अण्ड माहि वाका प्रतिबिम्ब डारा है।‘
एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। जहाँ पर बैठकर तीनों प्रभु नीचे के तीन लोकों (स्वर्गलोक अर्थात् इन्द्र का लोक - पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक) पर एक - एक विभाग
के मालिक बन कर प्रभुता करते हैं तथा अपने पिता काल के खाने के लिए प्राणियों की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार का कार्यभार संभालते हैं। तीनों प्रभुओं की भी जन्म व मृत्यु होती है। तब काल इन्हें भी खाता है। इसी ब्रह्माण्ड {इसे अण्ड भी कहते हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड की
बनावट अण्डाकार है, इसे पिण्ड भी कहते हैं क्योंकि शरीर (पिण्ड) में एक ब्रह्माण्ड की रचना कमलों में टी.वी. की तरह देखी जाती है} में एक मानसरोवर तथा धर्मराय (न्यायधीश) का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माएँ रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधि पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस समय मानव शरीर प्राप्त होता है तथा ये शीघ��र ही सत भक्ति पर लग जाते हैं तथा सतगुरु से दीक्षा प्राप्त करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर जाते हैं। उस स्थान पर रहने वाले हंस आत्माओं की निजी भक्ति कमाई खर्च नहीं होती। परमात्मा के भण्डार से सर्व सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। ब्रह्म (काल) के उपासकों की भक्ति कमाई स्वर्ग-महा स्वर्ग में समाप्त हो जाती है क्योंकि इस काल लोक (ब्रह्म लोक) तथा परब्रह्म लोक में प्राणियों को अपना किया कर्मफल ही मिलता है।
क्षर पुरुष (ब्रह्म) ने अपने 20 ब्रह्माण्डों को चार महाब्रह्माण्डों में विभाजित किया है।
एक महाब्रह्माण्ड में पाँच ब्रह्माण्डों का समूह बनाया है तथा चारों ओर से अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है तथा चारों महा ब्रह्माण्डों को भी फिर अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका
है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड की रचना एक महाब्रह्माण्ड जितना स्थान लेकर की है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में प्रवेश होते ही तीन रास्ते बनाए हैं। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में भी बायीं तरफ नकली सतलोक, नकली अलख लोक, नकली अगम लोक, नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखे में रखने के लिए आदि माया (दुर्गा) से करवाई है तथा दायीं तरफ बारह सर्व श्रेष्ठ ब्रह्म साधकों (भक्तों) को रखता है। फिर प्रत्येक युग में उन्हें अपने संदेश वाहक (सन्त सतगुरू) बनाकर पृथ्वी पर भेजता है, जो शास्त्र विधि रहित साधना व ज्ञान बताते हैं तथा
स्वयं भी भक्तिहीन हो जाते हैं तथा अनुयाइयों को भी काल जाल में फंसा जाते हैं। फिर वे गुरु जी तथा अनुयाई दोनों ही नरक में जाते हैं। फिर सामने एक ताला (कुलुफ) लगा रखा है। वह रास्ता काल (ब्रह्म) के निज लोक में जाता है। जहाँ पर यह ब्रह्म (काल) अपने वास्तविक मानव सदृश काल रूप में रहता है। इसी स्थान पर एक पत्थर की टुकड़ी तवे के आकार की (चपाती पकाने की लोहे की गोल प्लेट सी होती है) स्वतः गर्म रहती है। जिस
पर एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को भूनकर उनमें से गंदगी निकाल कर खाता है। उस समय सर्व प्राणी बहुत पीड़ा अनुभव करते हैं तथा हाहाकार मच जाती है। फिर कुछ समय उपरान्त वे बेहोश हो जाते हैं। जीव मरता नहीं। फिर धर्मराय के लोक में जाकर कर्माधार से अन्य जन्म प्राप्त करते हैं तथा जन्म-मृत्यु का चक्कर बना रहता है।
उपरोक्त सामने लगा ताला ब्रह्म (काल) केवल अपने आहार वाले प्राणियों के लिए कुछ क्षण के लिए खोलता है। पूर्ण परमात्मा के सत्यनाम व सारनाम से यह ताला स्वयं खुल जाता है। ऐसे काल का जाल पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) ने स्वयं ही अपने निजी भक्त धर्मदास जी को समझाया|
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अपना गर्भ छिपाना था, नवजात के पांव काटकर टुकड़े टॉइलेट में बहाए, रोंगटे खड़े कर देगी इस नर्स की करतूत
चेन्नै: तमिलनाडु के चेन्नै में एक रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां पर एक नर्स ने गुपचुप शादी की और गर्भवती हो गई। गर्भपात कराना चाहा लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उसने अपने गर्भावती होने की बात हॉस्टल में साथ रह रही लड़कियों और अपने घरवालों से छिपाई। उसने अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर प्लान तैयार कर लिया। गर्भपात नहीं हो सकता था तो उसने सबसे छिपकर बच्चे को जन्म देने और उसे ठिकाने लगाने का प्लान बनाया। नर्स वॉशरूम में गई और यहां बच्चे को जन्म देने का प्रयास किया। बच्चा बाहर निकला और उसने उसकी टांगे पकड़कर जोर खींचीं, वह टूट गईं। नर्स ने उसके पांव काटकर टुकड़े किए और उसे फ्लश कर दिया। इस घटना की जानकारी हॉस्टल में फैली, भीड़ जमा हुई और मामला पुलिस तक पहुंचा। नर्स के खिलाफ विभिन्न धााओं में केस दर्ज करके उसे जेल भेज दिया गया है।डब्ल्यू विनीशा (24) ने दावा किया कि बच्चा मृत पैदा हुआ था, लेकिन उसकी गर्दन पर एक नुकीली वस्तु के कारण चोट लगी थी। जब उसके सहयोगियों ने रोने की आवाज सुनकर कमरे में प्रवेश किया, तो उन्होंने पाया कि क्षत-विक्षत शिशु कपड़े के टुकड़े में लिपटा हुआ है।
नहीं मिले फ्लश किए गए पांव के टुकड़े
पुलिस ने नर्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 315 (बच्चे को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के बाद उसे मरने के लिए मजबूर करने का इरादा) और 201 (सबूत मिटाने) के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने कहा कि हम बच्चे के पैर को वापस नहीं निकाल सके क्योंकि वह छोटे टुकड़ों में फ्लश हो चुका था। बच्चे के बाकी बचे शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल में रखा गया है। हम डॉक्टरों की रिपोर्ट मिलने के बाद हत्या का केस दर्ज करेंगे।
गुपचुप की शादी
पुलिस ने बताया कि विनीशा कन्याकुमारी जिले की रहने वाली हैं। वह चेन्नई के एक निजी अस्पताल में नर्स के रूप में काम कर रही थी। कुछ साल पहले उसका सेल्वामणि से अफेयर हो गया था। सेल्वामणि मदुरै के उसिलमपट्टी की रहने वाला है। 29 साल के सेल्वामणि और विनीशा ने मंदिर में गुपचुप शादी कर ली थी।
सबसे छिपाकर रखा गर्भ
इस दौरान विनीशा गर्भवती हो गई। उसने अपने गर्भ की बात हर किसी से छिपाकर रखी। वह गर्भपात कराना चाहती थी लेकिन कानून वह ऐसा नहीं कर सकी। अविवाहित और गर्भवती होने के कारण, नर्स ने इसे अपने परिवार से छिपाया। गर्भावस्था के 7 महीने तक वह हॉस्टल के कमरे में अकेले रही। विनीशा को बुधवार रात अचानक प्रसव पीड़ा हुई।
खुद पैदा किया बच्चा
उसने बाथरूम जाकर खुद से प्रवस करने और बच्चे को ठिकाने लगाने की सोची। विनीशा को पता नहीं था कि यह सब आसान नहीं होगा। विनीशा का दावा है कि बच्चा फंस गया था, उसे निकालने के लिए उसने उसे खींचा, जिससे बच्चे के पैर उखड़कर उसके हाथ में आ गए। वह घबरा गई और बच्चे के पांव काटकर फ्लश कर दिए। इधर बच्चा बाहर आ गया। उसका दावा है कि मरा पैदा हुआ।
पोस्टमॉर्टम के लिए भेजी बच्चे की लाश
दर्द से तड़पती विनीशा बच्चे को कपड़े के टुकड़े में लपेटकर खुद अस्पताल पहुंची। यहां उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के डॉक्टर्स ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने कहा कि अब पोस्टमॉर्टम के बाद सामने आएगा कि बच्चा मरा पैदा हुआ या पैदा होने के बाद उसकी मौत हुई, उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। http://dlvr.it/T6J9SW
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व्यक्तिकी बेईमानीका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या? – २
व्यक्तिकी बेईमानीका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या? – २
बाप जैसा बेटा.
मोतिलाल नहेरु कोंग्रेसके एक फाउंडर मेंबर थे.
नहेरुके पिता मोतिलालने , जे. एल. नहेरुको ठिकाने लगानेका सोचा. आई. सी. एस. के लिये तयार किया. लेकिन जे. एल. अन्य बडे लोंगोंके फरजंदोंकी तरह, आई. सी. एस. की परीक्षामें फेल हुए.
बहुका लक्षण द्वारसे ही पता चल जाता है.
मोतिलालने, जे. एल. को गांधीजीके हवाले कर दिया. मोतिलालने अपनी “गुड…
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ईरान ने गिराए इसराइल के कई ड्रोन।
ईरान के परमाणु ठिकाने वाले शहर पर इजराइल का हमला:दावा- सुप्रीम लीडर खामेनेई के जन्मदिन पर दागीं मिसाइलें; इराक-सीरिया में भी की एयरस्ट्राइक
इजराइल ने ईरानी हमले के 6 दिन बाद शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे (भारतीय समयानुसार) जवाबी कार्रवाई की है। ABC न्यूज के मुताबिक इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकाने वाले शहर इस्फहान को निशाना बनाया। टाइम्स ऑफ इजराइल ने कहा है कि हमला ईरान के एयरबेस पर हुआ है। इसके अलावा…
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