“धोनी माझा आदर्श असून मला त्याला अजूनही…”, रिचाने व्यक्त केली इच्छा
“धोनी माझा आदर्श असून मला त्याला अजूनही…”, रिचाने व्यक्त केली इच्छा
“धोनी माझा आदर्श असून मला त्याला अजूनही…”, रिचाने व्यक्त केली इच्छा
भारतीय महिला संघाची धाकडं फलंदाज आणि यष्टीरक्षक रिचा घोष हिने आपल्या फलंदाजी कौशल्याने सर्वांनाच भुरली घातली आहे. महिला क्रिकेटमध्ये रिचाप्रमाणे धडाकेबाज फलंदाजी करणारे खेळाडू खूप आहेत. त्यामुळेच तिची ही फलंदाजीची शैलीच तिला इतर खेळाडूंपेक्षा वेगळं बनवते. सध्या मायदेशात ऑस्ट्रेलियाविरुद्ध सुरू असलेल्या टी-२० मालिकेत रिचाची…
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6 की दर्दनाक मौत, ट्रक और पिकअप में भीषण टक्कर, छठी कार्यक्रम से लौट रहे थे, 23 घायल....
6 की दर्दनाक मौत, ट्रक और पिकअप में भीषण टक्कर, छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में हुए भीषण सड़क हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 23 लोग घायल हैं। मरने वालों में एक बच्चा, 5 महिलाएं शामिल हैं। ये सभी छठी कार्यक्रम में शामिल होकर पिकअप से लौट रहे थे। इसी दौरान रास्ते में ट्रक ने पिकअप को टक्कर मार दी। हादसा पलारी थाना क्षेत्र में हुआ है।
जानकारी के मुताबिक, लटुवा और उसके आस-पास के गांव के रहने…
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चिनियाँ राष्ट्रपति सीद्वारा इन्डोनेसियाका राष्ट्रपतिलाई भूकम्पको क्षतिप्रति दुःख व्यक्त
चिनियाँ राष्ट्रपति सीद्वारा इन्डोनेसियाका राष्ट्रपतिलाई भूकम्पको क्षतिप्रति दुःख व्यक्त
बेइजिङ, ६ मङ्सिर । चिनियाँ राष्ट्राध्यक्ष सी चिन फिङले मङ्गलबार इन्डोनेसियामा गएको विनाशकारी भूकम्पप्रति इन्डोनेसियाका राष्ट्रपति जोको विडोडोलाई शोक सन्देश पठाउनुभएको छ। सन्देशमा सीले भूकम्पले ठूलो मानवीय र सम्पत्तिको क्षति भएको सुन्दा आफू दुःखी भएको बताए।
उनले चीन सरकार र चिनियाँ जनताको तर्फबाट मृतकप्रति समवेदना प्रकट गर्दै शोकसन्तप्त परिवार र घाइतेप्रति गहिरो समवेदना प्रकट गरेका छन्।
विडोडो र…
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DAY 6046
Jalsa, Mumbai Sept 6, 2024/Sept 7 Fri/Sat 3:06 am
गणेश चतुर्थी की अनेक अनेक शुभकामनाएँ 🚩
ये जो Ef Jay Chauhan हैं , ये लगता है कि या तो बहुत ही popular और एक बहुत ही प्रख्यात EF हैं, या फिर उनकी पहुँच बहुत बड़ी है !!!
कम से कम १३६ 136 Ef ने, मुझे मेसेज भेजा कि आज उनका जन्म दिवस है, और मैं उन्हें, यहाँ ब्लॉग पे बधाई दूँ ।।।
और ये प्रथा, बहुत दिनों से मैं देख रहा हूँ, की ना केवल इनके लिए बल्कि औरों के लिए भी अब मुझे सूचित किया जाता है ।।
मेरी प्रार्थना है, की, किसी को बधाई देना, मेरी चलाई हुई प्रथा है । संभव होगा तो बधाई दे दूँगा । न संभव होगा तो ना दे पाऊँगा ।।। मैंने किसी को भी ये वचन तो दिया नहीं की मैं उनके जन्म दिवस पे बधाई लिखूँ यहाँ ।। या उनकी विवाह जयंती पे, या उनकी संतान के बारे में लिखूँ ।।
यदि किसी को इस पर कोई दुविधा है, तो वे यहाँ से विदाई ले सकते हैं ।।
मैं यहाँ अपने मन की बात लिखूँ या ना लिखूँ, ये मुझपे निभर रहेगा ।।
आप सब यहाँ अपनी बात व्यक्त करते हैं, धायवाद ।। आपकी बात को यहाँ लिखित करूँ, ये मुझपे निभर होना है ।।
जो इस बात को समझ ले, तो मैं कृतज्ञ हूँ ।। जो न समझें उन्हें 🙏
It be now coming up to 3:30 am of the 7th of Sept and having started work at 7 am of yesterday, it is reasonable now that I should retire .. for tomorrow is another day and another day of work ..
Each day of work is a learning for me .. not just the work but just another day is filled with elements that bring one closer to the reality of life and living ..
Each day we see meet know life and at times have wonder in our eyes ..
look where you are , and what you have within .. no point in lamenting a loss .. accept it and work to better the day of living for yourself and those that depend upon you ..
Your strength is within you and you alone shall own it to your need ..
My love and gratitude ..
Amitabh Bachchan
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सम्भोग जीवन का सत्य हैं ?
एक औरत कितनी प्यासी कितनी कामवासनाओं से भरी है एक औरत अपने मन के अश्लील और कामुक विचार को
सिर्फ बिस्तर पर किसी मर्द की बाहों में लिपट कर अपनी अदाओं से व्यक्त करती है
जो मर्द उसकी इन अदाओ को समझ जाता है सिर्फ वही मर्द चरमसुख पाने का हकदार होता हैं
तुम कामुक लगती सुंदर सी यौवन आकर्षण करते हैं कामुक सी कोई हूर लगे देखें तो जलते रहते हैं
मेरी इतनी सी कसक मेरे पावन मन में अभी बाकी है मुझे सपने आते रातों में संभोग को तडपते हैं
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता हैं रोता है दिल जब वो पास नहीं होताहै
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता हैं
वासना उम्र नही देखती,चेहरा बता देता है प्यास कितनी है
वैसे बड़ी उम्र की स्त्रियां उनका शरीर बहुत चंचल और कामुक होती है
बड़ी उम्र की औरते छोटी उम्र के मर्दों को आनंद देना और लेना दोनो जानती है
भरा हुआ बदन बता देता है कि इमारत अभी मजबूत है
यह जिस्म लगे सुलगे शोला चिंगारी किसने भडकाई बस सहलाने की आदत है ठंडी चलती जब पुरवाई
हर तरफ़ फिजाओं में महके खुशबू गोरे गोरे तन की गली सडक बाजारें और जन मानस भी महकते हैंबहुत खूबसूरत है तेरे इन्तजार का आलम बेकरार सी आँखों में इश्क बेहिसाब लिए बैठे है
महिलाएं संभोग के दौरान उन पुरुषों को पंसद नही करती है जो पुरुष उन्की तुलना
किसी दूसरी महिलाओं से करते है महिलाएं सिर्फ अपनी तारीफ करने वाले को पंसद करती है
जंग में कागज़ी अफ़रात से क्या होता है हिम्मतें लड़ती हैं तादाद से क्या होता है
आपके होठों को चूमने का आदमी करता है आपके साथ जिंदगी जीने का मन करता है
आपके जैसा हजारो होंगे इस दुनिया में लेकिन रात आपके साथ गुज़रने का मन करता है
प्यार की परीक्षा कहाँ होती है खुशी एक छोटा सा स्पर्श है!
कुछ पल तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ बाकी बल कहा किया गया है ...
क्या आपको किसी से बेइंतहा प्यार है इनमें से थोड़ा सा बाजार में बिक जाता है!
भले ही आप दे सकते हैं और अगर आप दे नहीं सकते तो भी मुझे जो एहसास है,
क्या मैं अपने सामने पैदा हो सकता हूँ मेरे पास खुशी नहीं है अब मेरे पास कोई है,
पहले जैसा प्यार अब कहा किया जाता है सुख हो या दुख हाथ से छू रहा है
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09.09.2024, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा डॉ बीसी रॉय नेशनल अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा, एरा यूनिवर्सिटी लखनऊ, डॉ निखिल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ तथा डॉ किरण विष्णु नारायण, एडिशनल प्रोफेसर, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिवेंद्रपुरम, केरल द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन रेनेसां लखनऊ होटल, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया | मुख्य अतिथि के रूप में श्री बृजेश पाठक जी, माननीय उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम में शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथियों में श्री विद्यासागर गुप्ता जी, पूर्व अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन, उत्तर प्रदेश, श्री बृजलाल जी, माननीय सांसद, राज्यसभा, श्री अशोक बाजपेई जी, माननीय पूर्व सांसद, राज्यसभा, श्री श्याम नंदन सिंह जी, पूर्व अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग, श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय एम.एल.सी., श्री बृजेश महेश्वरी जी, शिक्षाविद एवं प्रेरक वक्ता शामिल हुए | कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में डॉ. संजीव मिश्रा जी, उप कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, डॉ CM सिंह जी, निदेशक, डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ, डॉ सूर्यकांत जी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग, केजीएमयू, डॉ गिरीश गुप्ता, होम्योपैथिक चिकित्सक, लखनऊ, प्रोफेसर अमरिका सिंह, प्रो चांसलर, निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा अन्य गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी, विशिष्ट अतिथियों एवं विशेष अतिथियों को परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत की मुहिम "एक पेड़ मां के नाम" के अंतर्गत पौधा प्रदान करके सम्मानित किया |
पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक ने ह��ल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद को बधाई दी तथा कहा कि, "भारत का चिकित्सा विज्ञान नित नए आविष्कारों के साथ दुनिया में कमाल कर रहा है एवं किसी भी मामले में पीछे नहीं है क्योंकि आज जो अमेरिका में हो सकता है, जो इंग्लैंड में हो सकता है, वह भारत में भी हो सकता है | डॉ राजेंद्र प्रसाद ने चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किया है | उनके द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X-Ray" निश्चय ही पलमोनरी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी | मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल का जिन्होंने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया | मेरा ऐसा मानना है की नर सेवा ही सच्ची नारायण सेवा है और धरती पर जो नारायण के रूप में हम सब की सेवा करते हैं वह डॉक्टर हैं | अतः हमें सभी डॉक्टरों का शुक्रगुजार होना चाहिए कि वह दिन रात मानवता की सेवा में लगे रहते हैं | भगवान ने हम सभी को धरती पर लोगों की मदद करने के लिए भेजा है, अतः हम सबका या कर्तव्य है कि जिस तरह से भी संभव हो निर्बल और असहाय लोगों की मदद करें तथा मानवता की सच्ची सेवा करें |"
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि, "आज का यह अवसर हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम समाज के महत्वपूर्ण चिकित्सक डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X Ray" के विमोचन के साक्षी बन रहे हैं । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट देश भर मे अपनी जन सेवाए देने के लिए प्रयासरत है, 2012 में स्थापित, यह ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक उन्नति में महत्वपूर्ण एवं प्रभावी योगदान दे रहा है । हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रगति में हमारे मुख्य अतिथि, श्री ब्रजेश पाठक जी भाईसाहब की प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है । आज का यह अवसर हमारे समाज के प्रमुख और प्रेरणादायक डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा लिखित पुस्तक "Manual of Chest X Ray" के विमोचन का है, डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी को सम्मानित करने का है, जिनका चिकित्सा के क्षेत्र मे योगदान अनमोल है । डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य है और यह हमारे लिए गर्व की बात है | डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी पुस्तक मे Chest X Ray को देखना इतनी सरलता से समझाया है कि एक आम व्यक्ति भी इस Manual of Chest X Ray पुस्तक को पढ़ कर समझ सकता है | डॉ श्री राजेंद्र प्रसाद जी के प्रेरणादायक कार्यों से हम सबको प्रेरणा मिलती है |"
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मुख्य अतिथि श्री बृजेश पाठक जी का धन्यवाद किया तथा कहा कि, "‘मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' मेरी 12वीं पुस्तक है। मैंने अपनी पहली पुस्तक 2003 में लिखी थी जब मैं केजीएमयू, लखनऊ में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग का प्रोफेसर और अध्यक्ष था | आज मेरी 12वीं पुस्तक 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' का 2 खंडों में माननीय उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक द्वारा लोकार्पण किया जा रहा है, जो मेरे लिए अत्यंत गर्व और खुशी की बात है । 'मैनुअल ऑफ चेस्ट एक्स-रे' पूरी तरह से हमारे भारतीय मरीज़ और मेरे लगभग पांच दशकों के लंबे शिक्षण और नैदानिक अनुभव पर आधारित है । डॉ प्रसाद ने बताया कि यह पुस्तक यूजी, पीजी छात्रों, चिकित्सा अधिकारियों, जिला टीबी अधिकारियों (डीटीओ) और आयुष चिकित्सकों सहित सभी चिकित्सकों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी । मैंने यह पुस्तक अपने पुराने छात्रों के अनुरोध पर लिखी, जिन्हें मैंने पिछले 5 दशकों से पढ़ाया, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पल्मोनरी चिकित्सा के रोगियों के साथ मेरे अनुभव को भविष्य की पीढ़ियों के लिए दस्तावेज किया जाना चाहिए । तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार यह किताब आपके हाथों में है । यह पुस्तक सीबीएस पब्लिशर्स दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई है और सभी मेडिकल बुक स्टॉल और अमेज़न पर उपलब्ध है ।"
कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए |
कार्यक्रम में श्री जितेंद्र कुमार जी, अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन, जस्टिस एस.के. श्रीवास्तव जी, श्री आर.सी. सक्सेना जी, पूर्व विभाग अध्यक्ष औषधि विभाग, केजीएमयू, डॉ वी.बी. सिंह जी, सेवानिवृत्त डायरेक्टर जनरल, उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ तारिक. प्रोफेसर, पलमोनरी मेडिसिन, प्रयागराज मेडिकल कॉलेज, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री पंकज अवस्थी, श्री के.पी.एस. चौहान, श्री अरस्तु उपाध्याय, डॉ. सत्या सिंह, श्री महेंद्र प्रताप अवस्थी, लखनऊ शहर के गणमान्य चिकित्सक तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया |
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नूतन काव्य प्रभा by
प्रभा मिश्रा 'नूतन'
किताब के बारे में...
नूतन काव्य प्रभा नामक यह काव्य संग्रह प्रसिद्ध कवयित्री प्रभा मिश्रा 'नूतन' द्वारा रचित है, जो समाजिक मुद्दों और मानवीय भावनाओं को केंद्र में रखकर कविताओं की रचना करती हैं। इस संग्रह में कवयित्री ने सामाजिक विषमताओं, संघर्षों, और मानवीय संवेदनाओं को सहज और प्रभावी भाषा में व्यक्त किया है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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#राधास्वामी_निगुरा_पंथ
शंका एक श्रद्धालु ने शंका व्यक्त कीः- वचन आखिरी सं. 14 में यह भी तो लिखा है कि राधा स्वामी मत सालगराम का चलाया हुआ है। इसे भी चलने देना।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
#RadhaSoamiExposed
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मुझे भी हिंदी में कविताएं लिखनी है । लेकिन मेरे पास शब्द नहीं, कैसे व्यक्त करूँ मेरी भावनाएँ- क्योंकि हमारी भाषा में तो कभी वो बातें की ही नहीं किसी ने, उन सारी भावों को जिनके बारे में किसी ने कभी सिखाया ही नहीं क्या कहें इसको, जिनका नाम लेने पर पागल करार कर देतीं है ये दुनिया, जिनके बारे में बात करने पर पाबंदी है। क्योंकि लोग क्या कहेंगे और सोचेंगे, समाज में क्या होगा मेरा चरित्र का? अगर मैं अपनी भाषा में बोलने लगीं ??
मगर बोलना भी चाहूँ तो कैसे किन शादबो में बताऊँ- उस शोर का नाम जो इस मन में है?
कैसे बयान उस पेट के अंदर चल रहे उफान का आंखों में बनी तूफान का?? कैसे पंक्ति बनाउ उस दर्द की जो है इस तन में दबी हुई??
काश- काश किसी ने सिखाया होता इस धारणा को क्या नाम दे , बिना उसके लिए शर्म सार हुए, काश बतलाया होता है कि ये सब बातें गलत नहीं , तब शायद इतनी घुटन सी न होती अपने सोच को जाहिर करने पर , इतना सोचना ना पड़ता की कैसे बताऊँ मैं अपने विचार बिना किसी प्रकार की विफलता के ,
शायद तब मैं भी लिख पाती कविता अपनी भाषा में भी अपने दर्द की।।
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टिकटॉक स्टार संतोष मुंडेचा विजेचा धक्का लागल्याने मृत्यू ; सर्वच स्तरातून हळहळ व्यक्त
टिकटॉक स्टार संतोष मुंडेचा विजेचा धक्का लागल्याने मृत्यू ; सर्वच स्तरातून हळहळ व्यक्त
टिकटॉक स्टार संतोष मुंडेचा विजेचा धक्का लागल्याने मृत्यू ; सर्वच स्तरातून हळहळ व्यक्त
बीड : आपल्या अभिनयाने प्रेक्षकांचे मनोरंजन करणारा टिकटॉक स्टार संतोष मुंडे याचे निधन झाले आहे. विजेचा धक्का लागून संतोषचा मृत्यू झाल्याची घटना घडली आहे. निधनाची बातमी कळताच सर्वत्र हळहळ व्यक्त केली जात आहे. संतोषसोबतच बाबुराव मुंडे यांचाही मृत्यू झाला आहे. ही घटना मंगळवारी रात्री घडली.
संतोष मुंडे आणि बाबुरा…
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मेघे ढाका तारा(মেঘে ঢাকা তারা) - A cloud clapped star.(१९६० )
सत्यजित रे, मृणाल सेन आणि ऋत्विक घटक या साधारण समकालीन असणाऱ्या महान बंगाली दिग्दर्शक त्रयीमधल्या ऋत्विक घटक या प्रतिभावान बंगाली दिग्दर्शकाचा "मेघे ढाका तारा" (१९६०) हा अत्यंत वास्तवदर्शी, मनाला चटका लावून जाणारा,अनेक कौटुंबिक, सामाजिक विषयांना हात घालणारा Partition Trilogy(मेघे ढाका तारा, कोमल गंधार, सुवर्णरेखा) मधला पहिला चित्रपट. ऋत्विक घटक यांनी स्वतः १९४३ सालचा दुष्काळ आणि फाळणी अनुभवल्यामुळे साहजिकच त्याचा प्रभाव या चित्रपटावर आहे. किंबहुना त्याच पार्श्वभूमीवर या चित्रपटाचे कथानक घडते.
चित्रपटाची सुरुवात कलकत्त्या जवळच्या गावात नदीकाठच्या रस्त्यावरून पायी चालत जाणाऱ्या निता (सुप्रिया देवी) नावाच्या नायिकेच्या दृश्याने होते. निता कामावरून घरी जाताना नदीकाठी बसलेल्या तरुणाचं मन प्रसन्न करणारं शास्त्रीय गाणं ऐकते.
पुढे गावातून किराणा मालाच्या दुकानासमोरून चालत जात असताना दुकानदार तिला हाक मारून उधार चुकता करण्याची आठवण करून देतो. त्यानंतर चालत घराकडे जात असता, रस्त्याच्या पुढच्या वळणावर तिची जीर्ण झालेली चप्पल तुटते, त्यामुळे ती क्षणभर थांबते पण परत त्याकडे दुर्लक्ष करून चालू लागते. या आणि पुढील काही दृश्यांवरून तिची आणि एकूणच तिच्या कुटुंबाच्या बेतास बात आर्थिक परिस्थितीची जाणीव होते.
पुढे ती घरी पोहोचायच्या आधी,तिच्या घरात घडणाऱ्या दृश्यामध्ये तिचे वडील तिच्या आईकडे तिच्या भविष्याची, लग्नाची चिंता व्यक्त करतात. पण आई मात्र त्याकडे दुर्लक्ष करते कारण निता ही त्या घरातली एकटीच कमावती व्यक्ती आहे. तिचं जर लग्न लावून दिलं तर खाणार काय? असा खरंतर स्वार्थी प्रश्न तिच्या मनात असतो.(आई वडील सुद्धा परिस्थितीमुळे किंवा अन्य कारणांनी स्वार्थीपणाने वागू शकतात. चित्रपट बघताना अकबर- बिरबलाची गोष्ट आठवते.गरज पडल्यास, तलावात पाण्याची पातळी वाढू लागली की माकड तिच्या पिल्लाचा स्वतःच्या जीवाचे रक्षण करण्यासाठी, त्याला पायाखाली ठेवून कसा उपयोग करते)
साधारण कनिष्ठ मध्यमवर्गीय बंगाली कुटुंब जे फाळणीमुळे पूर्व बंगाल मधून विस्थापित होऊन पश्चिम बंगाल मध्ये कलकत्त्याजवळच्या स्थलांतरितांच्या गावात राहत आहे. वडील शिक्षक म्हणून निवृत्त झाले आहेत. घराला हातभार म्हणून गावात गरीब मुलांच्या शिकवण्या घेतात ज्यातून फार काही मिळत नाही आणि पुढे अपघातामुळे तेही बंद होतं. दोन धाकटी भावंडं मंटु (द्विजू भवाल), गीता (गीता घटक जी ऋत्विक यांची पुतणी देखील आहे) आणि एक थोरला भाऊ शंकर(अनिल चॅटर्जी ) म्हणजे तो नदीकाठी गाणं गाणारा तरुण ज्याचं गाणं ऐकण्यासाठी ती क्षणभर थांबली होती.
ती घरी आल्यावर लक्षात येतं की महिन्याचा पहिला दिवस असल्यामुळे तिचा पगार झाला आहे. त्यामुळे घरातले सगळे जण तिच्याभोवती तिची खुशामत करत अपेक्षेने घुटमळत असतात. ती देखील धाकट्या भावंडांवरच्या ममतेपोटी काही ना काही प्रत्येकाच्या हातावर ठेवते. गाणं शिकणारा थोरला भाऊ शंकर हा देखील काही कमावत नाही. त्याचं म्हणणं आहे की गाणं पक्क झाल्याशिवाय मी कमावणार नाही. त्यामुळे घरात त्याला काही किंमत नाही. त्याला मात्र तिच्याबद्दल खरंच आपुलकी,प्रेम वाटतं, तो प्रेमाने तिला खुकी म्हणून हाक मारतो. तिचं देखील त्याच्यावर विशेष प्रेम आहे हे त्यांच्यात घडणाऱ्या प्रसंगातून दिसून येतं,ज्यात तिला आलेल्या प्रेमपत्रावरून चेष्टा मस्करी होताना दिसते. पण त्याचं प्रेम असून सुद्धा तो तिची अगतिकता, होणारी ओढाताण समजू शकत नाही. गाणं पक्क शिकून झाल्याशिवाय त्याला पैसे कमवायचे नाहीत.त्यांच्या बोलण्यातून असं देखील समजतं की आर्थिक तंगीमुळे तिला गाणं सोडावं लागलं.आई मात्र तिच्या या वागण्याबद्दल सारखी कुरबुर करत असते की असे पैसे वाटल्यामुळे घर खर्चाला पैसे कमी राहतात. त्यावर राहिलेला जवळपास सगळा पगार ती घरात खर्चासाठी म्हणून आईला देते. थोरला भाऊ शंकरकडे न्हाव्याकडे जाऊन दाढी करण्यासाठी सुद्धा पैसे नसतात, मग उरलेसुरले पैसे देखील ती त्याला देते.
थोड्या वेळाने दुपारी तिचा प्रियकर सनत (निरंजन रे) जो तिच्या वडिलांचा पूर्वीचा विद्यार्थी देखील आहे, तिला घरी भेटायला येतो. तेव्हा लक्षात येतं की ती नोकरी करता करता पीएचडी चा अभ्यास देखील करत आहे. तो देखील तिच्याबरोबर पीएचडी करत असला तरी शक्य असून कमावत नाही. त्यामुळे तो सुद्धा असतील तर काही पैसे दे म्हणून मागणी करतो. आणि लग्नाच्या विषयावर चर्चा करू पाहतो. पण घरातल्या सर्व जबाबदाऱ्यांमुळे तिचा कल साधारण ते लांबणीवर टाकण्याचा असतो. या दोघांचं आत काय बोलणं चालू आहे याकडे आईचं बारीक लक्ष असतं, त्यातून हीने लग्न केलं तर आपलं काय, ही भीती तिच्या चेहऱ्यावर जाणवते. निता जेव्हा त्याच्यासोबत बोलत असते तेव्हा आईने सांगितल्यानंतर गीता त्याला चहा आणून देते.दिसायला थोडी उजवी असलेली, पण शिक्षणाचे फारसे गम्य नसलेली गीता त्याच्यासमोर उगाचच तारुण्यसुलभ चंचलता दाखवते आणि त्याच्याशी उगाच काहीतरी बोलायचं म्हणून बोलते,त्याच्याशी Flirt करते. तो सुद्धा तिच्याकडे वळून, जरा जास्तच बारकाईने आणि उत्सुकतेने पाहत राहतो. तिला लग्न करण्याची घाई झालेली आहे हे ती नंतर एकदा आईला बोलून देखील दाखवते आणि आईचा सुद्धा या गोष्टीला पाठिंबा असतो. गीता निताला एकदा असं सुचवते देखील की लवकर लग्न कर,नाहीतर पुरुषांचं काही खरं नाही, कधी कोण आवडेल आणि कोणाबरोबर निघून जातील सांगता येत नाही! नंतरच्या एका प्रसंगात निता कामामुळे बाहेर गेलेली असताना सनत घरी येतो, त्यावेळी गीता त्याच्याशी गप्पा मारते आणि तिथून त्यांचंच लफडं सुरू होतं!
महाविद्यालयात शिकणारा धाकटा भाऊ मंटूला खेळामध्ये रस आहे म्हणून त्याला देखील ती आर्थिक मदत करते. त्याला पारितोषिक मिळतं, घरात सर्वजण त्याचं कौतुक करतात. त्यामुळे त्याला जवळच्या कारखान्यात नोकरी लागते, पैसे मिळून आपल्या मनासारखं जगता येईल म्हणून तो वडिलांच्या इच्छेविरुद्ध शिक्षण अर्धवट सोडून नोकरी पकडतो आणि हळूहळू घरातला त्याचा वावर कमी होतो. वडील खरंतर Shelly आणि Keats च्या कविता उद्धृत करून स्वतःला आधुनिक म्हणवत असले तरी मुलाने कारखान्यात काम करणं हे काही त्यांना रुचलेलं नाही यातून त्यांची Bourgeoise मानसिकता दिसून येते. मंटू बाहेर मित्रांसोबत, नवीन प्रेयसी सोबत मुक्त राहता फिरता यावं यासाठी कारखान्या जवळ खोली घेऊन राहातो आणि घरी खर्चाला पैसे देण्यास मात्र नकार देतो.या सगळ्यात घरात होणाऱ्या अपमानांस कंटाळून शंकर गाणं शिकून,त्यात करीअर करण्यासाठी घर सोडून निघून जातो. त्यामुळे निता अजूनच एकटी पडते.
या सगळ्या जबाबदाऱ्या पेलताना निता स्वतःसाठी जगायचं जणू विसरून गेली आहे. सर्वांचं करता करता, तिच्याकडे तिच्यासाठी कधी काही शिल्लकच राहत नाही.शंकर आणि तिचं लहानपणापासून शिलाँग जवळच्या सुंदर टेकडीवर सहलीला जायचं स्वप्न होतं ते देखील अनेकदा ठरवून तिला पूर्ण करायला जमत नाही.
वडिलांचं आजारपण, घरखर्च हे सगळं निभावताना तिची पीएचडी तिला मधूनच अर्धवट सोडावी लागते. पण निता कधीही तक्रारीचा सूर लावत नाही. सनत देखील हल्ली फारसा भेटायला येत नाही असं तिच्या लक्षात येतं म्हणून ती त्याच्या खोलीवर जाते तर तिला तिथे समजतं की पीएचडी पूर्ण करून मगच नोकरी क��णार असं म्हणणाऱ्या त्याने चक्क नोकरी पकडली आहे आणि खोलीसुद्धा बदलली आहे. नवीन खोलीवर गेल्यावर तिला लक्षात येतं की आपल्या बहिणीबरोबरच आता त्याचं प्रेमप्रकरण चालू आहे. आणि ते दोघं लवकरच लग्न करणार आहेत. त्यानुसार गीताचं लग्न होतं. त्यात देखील आई तिच्यासाठी ठेवलेले दागिने गीताला देते. निता हे सगळं मूकपणे सहन करते.
एक दिवस कारखान्यात मंटूचा अपघात झाल्याची तार येते. मग त्यासाठी तिची धावपळ होते.पैशाची मदत मागावी म्हणून ती सनतकडे जाते तिथे बाहेर गेलेली गीता परत घरी आल्यावर दोघांना एकत्र बघून तिच्यावरच व्यभिचाराचा आळ घेते .अशा एकामागोमाग एक बसणाऱ्या धक्क्यामुळे ती आतून तुटत जाते पण तरीही आपल्या जबाबदाऱ्या पार पाडत, सोसत राहते. यासगळ्या घटनांत तिचं स्वतःच्या तब्येतीकडे दुर्लक्ष होतं. तिचं शारीरिक आणि मानसिक स्वास्थ्य ढासळतं. तिला क्षयरोग झाल्याचं समजतं पण गीताच्या बाळंतपणामुळे आणि एकूणच आलेलं नैराश्य यामुळे ती त्याकडे दुर्लक्ष करते आणि स्वतःच घराच्या कोपऱ्यात एका बारक्या खोलीत राहू लागते किंवा तिला तिथे ठेवलं जातं.
अशात शंकर मुंबईला जाऊन एक यशस्वी गायक बनून परत येतो. परत आल्यावर घरात, गावात जिथे पदोपदी जिथे त्याचा अपमान केला जात होता तिथे सगळेजण त्याला मान देऊ लागतात, त्याची स्तुति करू लागतात. एकप्रकारे तो स्वतःचं म्हणणं "माझ्या हुशारीची सध्या कोणाला कदर नसली तरी वर्षा दोन वर्षात भरपूर पैसे आणि नाव कमाविन" हे खरं करून दाखवतो. घरी आल्यावर तो तिची स्थिति बघून तिला लगेच उपचारासाठी घेऊन जातो. तिला शिलाँगच्या निसर्गरम्य टेकड्यांवरील चांगल्या इस्पितळात उपचारासाठी ठेवतो.अशा तऱ्हेने तिचं स्वप्न पूर्ण व्हावं हा एक दैवदुर्विलास! तो तिला तिथे भेटायला गेल्यावर तिच्या दुःखाचा बांध फुटतो, तिचा आक्रोश आपल्यालाही प्रेक्षक म्हणून असह्य होतो. तिथेच त्याच्या मिठीत तिचा मृत्यू होतो.
संपूर्ण चित्रपटात एक गोष्ट जाणवत राहते ती म्हणजे प्रेम म्हणजे नक्की काय ? कुटुंबासाठी ,मित्रांसाठी त्यातून आपल्याला समाधान मिळत नसेल किंबहुना त्रासच होत असेल तरी देखील त्याग करणे किंवा त्याग करत राहणे याला प्रेम म्हणावे का? आणि निताने त्या सर्वाना मदत करून काय साधलं? खरं म्हणजे त्या सर्वाना वेळीच चार खडे बोल सुनावून तुम्ही सगळे सज्ञान आहात, तुम्हाला पोसण्याची जबाबदारी आता माझी नाही. तुमचे तुम्ही स्वतंत्र व्हा हे सांगण्यात तिचं स्वतःचं आणि तिच्या कुटुंबियांचंही हित नव्हतं का? म्हणजे केवळ वासनेच्या आहारी जाऊन बहीण, आईच्या संमतीने तिच्या प्रियकरासोबत भानगडी करत असताना यात स्वतःचं, बहिणीचं आणि सनतचं अंतिमतः नुकसान होणार हे दिसत असून ती विरोध का करत नाही?आणि याची प्रचिती लगेचच येते. बहीण जेव्हा तिच्यावर आळ घेते तेव्हा सनतच्या चेहऱ्यावर ज्या भावना दिसतात ते पाहता तो त्या लग्नात समाधानी नाही हे लगेच समजून येतं. नंतर जेव्हा सनत लग्न झाल्यावर एकदा तिच्याशी नदीकाठी बसून बोलतो आणि तिला पुन्हा प्रेमाबद्दल, नवीन सुरुवात करण्याबद्दल विचारतो तेव्हा ती त्याला नाही म्हणते आणि स्वतः हे मान्य करते की योग्य वेळी मी चुकीच्या व अन्यायकारक गोष्टींना विरोध केला नाही त्याचं फळ म्हणजे माझी आजची स्थिति आहे आणि निघून जाते. पण या सगळ्यात ती, सनत आणि तिची बहीण तिघेही असमाधानीच राहतात.
निता तिच्यावर होणाऱ्या अन्यायाचा विरोध का करत नाही? घरातला उत्पन्नाचा प्रमुख स्रोत तीच आहे. तिला हे सहज शक्य होतं की सगळ्यांना धुडकावून लावून बुद्धीला जे योग्य वाटेल ते करणे.
खरं तर प्रेमाच्या आणि वागण्या-बोलण्याच्या रीतींबद्दल अशा काही विचित्र कल्पना आपल्या समाजाने आपल्या मनात, विशेषतः स्त्रियांच्या मनांत भरून ठेवलेल्या आहेत की याहून वेगळं काही आयुष्य असू शकतं असा विचारच बऱ्याचदा आपल्याकडून केला जात नाही. बऱ्याचदा आपण एखादया बद्दल वाटणाऱ्या आकर्षणाला,घरातल्यांबद्दल वाटणाऱ्या ममतेला किंवा प्रेमापेक्षा प्रेमाच्या प्रतिकांनाच प्रेम समजून बसतो.प्रेम म्हणजे प्रत्येकाला स्वतंत्रपणे, मुक्तपणे स्वतःच्या सद्सद्विवेक बुद्धीला जे पटेल त्यानुसार वागून आपलं आणि पर्यायाने इतरांचं, समाजाचं हित साधता येण्याचं स्वातंत्र्य.आपल्या उच्चतम संभावनेला गवसणी घालण्याचं स्वातंत्र्य,ज्यामध्ये आपलं हित आहे.मग त्यासाठी पडतील ते कष्ट करून त्या दिशेने काम करणं, त्यासाठी लागणारं वातावरण दुसऱ्यालाही देणं म्हणजेच प्रेमपूर्ण असणं.जेव्हा इतर कोणी तुम्हाला किंवा तुम्ही इतर कोणाला, त्या उच्चतम संभावनेला गवसणी घालावी म्हणून निःस्पृह पणे मदत करता, तेव्हा ते प्रेम उच्चतम, उन्नत,अध्यात्मिक पातळी गाठतं किंबहुना तेव्हाच त्याला प्रेम म्हणतात.
निता जेव्हा घरातल्यांची विशेषतः भावंडांची, स्वतः काम करून कमावण्याची क्षमता असताना देखील त्यांना मदत करत राहते तेव्हा ती एक प्रकारे त्यांना त्यांच्या उच्चतम संभावनेपर्यंत पोहोचण्यापासून रोखत असते, परावलंबी बनवत असते. आणि असं करताना ती स्वतःवर सुद्धा अन्याय करते कारण त्यांना मदत करण्यात अडकून राहील्या मुळे ती स्वतः सुद्धा त्या उच्चतम संभावनेपर्यंत पोहोचू शकत नाही किंवा त्या दृष्टीने वाटचाल करू शकत नाही.एखाद्या ताऱ्या प्रमाणे चमकण्याची क्षमता असून सुद्धा जणू ढगांनी वेढून, आच्छादून राहिल्यामुळे ती चमक कोणालाच दिसू शकली नाही.तिने जर योग्य वेळीच चार खडे बोल तिच्या भावंडांना आणि आईला सुनावले असते तर या सर्व अन्यायकारक घटना ती रोखू शकली असती.
असा हा प्रेम,कुटुंबव्यवस्था,स्त्रीचे समाजातील स्थान, स्त्रीवाद,नातेसंबंध,फाळणी आणि तिचे परिणाम,गरिबी, त्यातून निर्माण होणारे ताण-तणाव, त्याचे नात्यांवर होणारे परिणाम अशा विविध मुद्द्यांचा धांडोळा घेणारा, जीवनाकडे अधिक सजगपणे आणि सखोलपणे बघायला शिकवणारा अत्यंत सुंदर चित्रपट.
चित्रपटातील फ्रेम्स (विशेषतः नदीकाठच्या क्षितिजाच्या पार्श्व भूमीवर धूर सोडत, आवाज करत निघालेली रेल्वे, किंवा शिलोंगच्या निसर्गरम्य टेकड्यांच्या पार्श्वभूमीवर घडणारे शेवटचे दृश्य) मधून ऋत्विक घटक यांचं दिग्दर्शक, कथाकार म्हणून वेगळेपण जाणवत राहतं. चित्रपटाचे पार्श्व-संगीत (ज्योतींद्र मोईत्रा) फारच प्रभावी ठरलं आहे.त्यात केलेला शास्त्रीय संगीताचा वापर विशेष लक्षात राहतो. सुप्रिया देवी या अभिनेत्रीने निताचे काम फारच सुरेख केलं आहे. तिच्यावर होणाऱ्या मानसिक आघातांच्या पार्श्व-भूमीवर येणारा चाबकाचा आवाज यामुळे त्या फ्रेम्स विशेष लक्षात राहतात. एकूणच बराच वेळ हा चित्रपट आपल्या मनात घर करून रेंगाळत राहतो.
अनेक चित्रपट समीक्षकांनी या चित्रपटाला शतकातल्या सर्वोत्तम चित्रपटांपैकी एक असं म्हटलं आहे. मार्टिन स्कॉर्सीसी सारख्या विख्यात दिग्दर्शकाने सुद्धा घटक यांच्या चित्रपटांना नावाजलं आहे. तेव्हा नक्की पाहावा असा Must Watch Category मधला हा चित्रपट.
~ चैतन्य कुलकर्णी
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#सृष्टि_रचना_की_जानकारी
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यह प्रश्न हर व्यक्ति के मन में एक बार जरूर आता होगा।
मनुष्य शरीर बाकी जीवों से अन्य ही है हममें सोचने समझने और कुछ करने का विशेष गुण है। अपनी वाणी से भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।
हम कोन है कहां से आएं हैं?पवित्र सभी शास्त्रों से प्रमाणित
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#कबीरभगवान_के_राजा_बने_शिष्य राजा भोपाल के चौंक में जिंदा बाबा के रूप में प्रकट हुए और परमेश्वर ने राजा का महल सोने का बना दिया। इस चमत्कार को देख राजा ने जिन्दा बाबा के चरण छूए और अपनी शरण में लेने की इच्छा व्यक्त की। तब परमेश्वर ने उसे ज्ञान समझाया और राजा को सतलोक लेकर गए।
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13 अगस्त 2024, नीमसार | नीमसार स्थित प्राचीन ललिता देवी मंदिर में एक विशेष अवसर पर हेल्प यू एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवालऔर ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री मनीष भदौरिया ने दर्शन कर माता ललिता देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया ।
इस पावन अवसर पर मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित अटल बिहारी शास्त्री की भी उपस्थिति रही, जिन्होंने विधिपूर्वक पूजा संपन्न कराई ।श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और श्री मनीष भदौरिया ने माता ललिता देवी के चरणों में फूल, धूप और दीप अर्पित कर ट्रस्ट के समृद्धि और समाज के कल्याण के लिए प्रार्थना की ।
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि नीमसार स्थित यह मंदिर अत्यंत प्राचीन और पवित्र स्थल है, जहां आकर उन्हें आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है । उन्होंने बताया कि हेल्प यू एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समाज के गरीब और जरूरतमंद छात्रों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है और माता ललिता देवी की कृपा से ट्रस्ट और भी अधिक सामाजिक सेवा कार्यों में जुटा रहेगा ।
श्री मनीष भदौरिया ने भी मंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस मंदिर में आकर उन्हें विशेष आत्मिक शांति का अनुभव हुआ । उन्होंने ट्रस्ट के उद्देश्यों और भावी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी, और विश्वास व्यक्त किया कि माता ललिता देवी का आशीर्वाद ट्रस्ट के सभी सदस्यों और समाज के हित में काम आने वाले हर व्यक्ति के साथ बना रहेगा ।
पूजा के पश्चात मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया औरसभी ने मिलकर इस विशेष अवसर का उत्सव मनाया ।
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परमेश्वर कबीर जी राजा भोपाल के चौंक में जिंदा बाबा के रूप में प्रकट हुए और परमेश्वर ने राजा का महल सोने का बना दिया। इस चमत्कार को देख राजा ने जिन्दा बाबा के चरण छूए और अपनी शरण में लेने की इच्छा व्यक्त की। तब परमेश्वर ने उसे ज्ञान समझाया|
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दिल के दस्तावेज़ चिट्ठियां by
प्राची सिंह मुंगेरी
किताब के बारे में...
"दिल के दस्तावेज़: चिट्ठियां" प्राची सिंह मुंगेरी द्वारा लिखी गई एक दिल को छू लेने वाली पुस्तक है, जो शर्माजी के इर्द-गिर्द घूमती है। इस पुस्तक में प्रेम और रोमांस से भरी कई चिट्ठियां शामिल हैं, जो शर्माजी और उनकी प्रेमिका के बीच लिखी गई हैं।
कहानी उन भावनाओं को उजागर करती है जो अक्सर शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना मुश्किल होता है। इन चिट्ठियों के माध्यम से, लेखक ने प्रेम की मासूमियत, रिश्तों की गहराई और दिल के अनकहे जज्बातों को खूबसूरती से उकेरा है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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